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________________ न्यायसंग्रह ६३३ पूछवा लाग्या. मुनि बोल्या नहि, पण लई लेवी अने बीजीने वेठी लेवी के चोर एमना ज आश्रममां संताई रहेला पडती मूकवी. पकडाया एटले मुनिने पण शूळी उपर ६२. नटांगनान्यायः रंगभूमि उपर नटी चडावी दीधा. जेनी पत्नीनो स्वांग भजवती होय तेनी ५३. जलताडनन्यायः पाणी वलोववा वह कहेवाय ; सीता बनी होय तो राम जेवी मिथ्या प्रवृत्ति. बननारा नटनी, अने मंदोदरी बनी ५४. तक्रकौंडिन्यन्यायः बधा ब्राह्मणोने होय तो रावण बननारा नटनी. दहीं आपवान होय, पण एकला ६३. नष्टाश्वदग्धरथन्यायः बे जणा कौडिन्य ने छाश आपवा जेवो अपवाद बे रथमां बेसी दूरनी मुसाफरीए करवो ते. नीकळ्या होय; तेवामां मार्गमा एकना ५५. तिलतंडुलन्यायः डांगर अने तल घोडा मरी जाय अने बीजानो रथ भागी जाय, तो एकना बाकी रहेला घोडा भेगां न मळे ; अने भेळवीए तो पण झट जुदां पाडी शकाय. 'क्षीरनीर अने बीजाना बाकी रहेला रथथी बने न्यायः' थी ऊलटुं. मळी मुसाफरी पूरी करी शके. जेम, आंधळो अने पांगळो, एकनी आंख ५६. तुषकंडनन्यायः ढूणसां खांडवा जेवो मिथ्या प्रयत्न. अने बीजाना पगथी बने मळी पोतानु काम चलावी शके. ५७. तुष्यतुदुर्जनन्यायः दुर्जन- मों चूप ६४. न हि विवाहान्तरं वरपरीक्षा करवा एक वखत तेनी वात स्वीकारी परण्या पछी वरनी जात न पुछाय. लेवी, अने पछी योग्य रीते तेनो जवाब ६५. न हि सहस्रणाप्यन्धैः पाटच्चरेभ्यो वाळवो. दुर्जन साथे कोई वातनी गृहं रक्ष्यते आंधळा हजार भेगा थाय, बाबतमां जके चडवाथी ते वध जक्की पण तेओ चोरथी घरने शी रीते बचावे? थाय ; तेनां करतां तेनी वात स्वीकार्या ६६. न ोष स्थाणोरपराधो यदेनजेवं करी तेने ठंडो पडवा देवो, अने मन्धो न पश्यति आंधळो ठुठं न जए पछी तेने योग्य जवाब वाळवो. अने तेनी साथे अथडाय, एमां ठूठानो ५८. दग्धबीजन्यायः भुजेलं बी पछी शो वांक? ऊगे नहि. कारणनो नाश थतां कार्यनी ६७. निर्धनमनोरथन्यायः निर्धन माणस आशा नहि. कल्पनाना घोडा दोडावे, तेना जेवू. ५९. दंडापूपिकान्यायः लाकडी पडी, शेखचल्लीना तरंग जेवु. तो तेनी साथे बांधेला रोटला पण ६८. नीरक्षीरन्यायः हंस जेम दूध-पाणी पड्या ज गणवा जोईए. भेगां होय तेमांथी दूध जुदं पाडीने ६०. देहलोदीपन्यायः बे ओरडानी पी जाय छे तेम सारासारनो विवेक वचला ऊमरा उपर मूकेलो दीवो करवो. बंने बाजुना ओरडाने प्रकाश आपे.(एक ६९. नृपनापितन्यायः राजाए हजामने क्रियाथी बे परिणाम नीपजे ते माटे.) राज्यमांथी सुंदरमां सुंदर छोकरो ६१. धान्यपलालन्यायः धान्य साथै शोधी लाववा कहयुं ; हजाम बधे फरी फोतरां होय ज. पण धान्य लईने वळयो, पण कोई छोकरो तेने नजरमां फोतरां फेंकी देवाय.तेम जे बे वस्तुओ न आव्यो. छेवटे, पोतानो छोकरो साथे ज मळे तेम होय, तेमांथी कामनी (जे कदरूपो ज हतो) ते सौ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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