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स्थिरकार्य ५७५
स्निग्ध अचळ; स्थावर; खसे नहीं तेवं (३) स्थेष्ठ वि० खूब मक्कम ('स्थिर'नुं कठोर; निर्दय
उद्यमी श्रेष्ठतादर्शक रूप) स्थिरकार्य वि. कर्मने वळगी रहेतुं; स्थैर्य न० स्थिरता; दृढपणुं(२) मननी स्थिरता स्त्री० दृढता;मननी मजबूताई दृढता; निश्चयीपणुं (३)धीरज (४) स्थिरषी वि० दृढ मनन; निश्चयी कठोरपणुं; घनता (५)जितेंद्रियत्व स्थिरप्रतिज्ञ वि० हठीलं; जक्की (२)
स्थैर्यज वि० स्थावर वचन पाळनाएं मक्कम; हठील
स्नपन न० स्नान करते स्थिरप्रतिबंध वि० विरोध करवामां स्ना २ प० नाह; स्नान करवू (२) स्थिरसंगर वि० सत्यवचनी; साचुं।
गुरुने त्यांथी पाछा फरती वखते स्थिरात्मन् वि० दृढ मनवाळं; निश्चयी स्नाननो विधि करवो स्थिरापाय वि० सतत क्षीण थतुं एवं
स्नात ('स्ना' - भू० कृ०)वि० नाहेलु स्थिरीकृ ८ उ० दृढ करवू (२) आश्वासन (२)भणेलं; विद्वान (३) पुं० जेनो आपq (३)समर्थन करवू
विद्याभ्यास पूरो थयो छे ते । स्थूणा स्त्री० घरनो थांभलो (२)स्तंभ;
स्नातक पुं० ब्रह्मचर्यव्रत परिपूर्ण करेलो थांभलो (३) एरण
ब्राह्मण (२) गुरुने घेरथी आवी गृह
स्थाश्रममा प्रवेशेलो ब्राह्मण (३) स्थूणाकर्ण पुं० रुद्रनुं एक स्वरूप स्थरीपृष्ठ पुं० जेने हजी नाथ्यो के केळव्यो
व्रतने कारणे भिक्षुपणुं करतो ब्राह्मण नथी एवो घोडो
(४)कोई पण गृहस्थाश्रमी । स्थूल वि० मोटुं; मोटा कद- (२) जाडु
स्नान न० नाहवू ते; डूबकुं मारवू ते (३) जोरवाळ (४) जड बुद्धि-; मूर्ख
(२) मतिने नवराववानो विधि (३)
नाहवामां वपरायेलं जे कांई ते(४) (५)खरबचईं; कर्कश (६)न० तंबू स्थूलता स्त्री० मोटापणुं; जाडापणुं
धोई काढवू ते; साफ करवू ते
स्नानगृह न० नाहवानो ओरडो (२)जडता; मूर्खपणुं
स्नानतृण न० दर्भ स्थूलनासिक पुं० भूड; डुक्कर
स्नानवस्त्र न० जे वस्त्र पहेरीने नाह्या स्थूललक्ष, स्थूललक्ष्य वि. दानवीर;
होईए ते
[ वस्त्र उदार (२) डायु; विद्वान
स्नानशाटी स्त्री० नाहती वखते वींटवानुं स्थूलशरीर नं० पंचभूतात्मक देह (लिंग
स्नानीय वि० स्नान माटेनें; स्नान वखते सूक्ष्म देहथी ऊलटुं)
पहेरवा, (२)न० स्नानोपयोगी पाणी स्थूलहस्त पुं० हाथीनी संढ
के चंदन-- चूर्ण वगेरे सामग्री स्थलेच्छ वि० अमर्याद कामनाओवाळू स्नापक पुं० स्नान करावनार के स्नान स्थूलोच्चय पुं० पर्वतनी गबडी पडेली
माटे पाणी लावनार नोकर मोटी शिला (२)हाथीनी मध्यम गति स्नापित वि० नवरावेलू दोरी स्थेमन् पुं० स्थिरता; दृढता; मक्कमता स्नायु पुं० मांसनी पेशी (२)धनुषनी स्थय वि० मूकवानुं (२)नक्की करवानुं स्निग्ध ('स्निह'न भू० कृ०)वि० स्नेह(३)पुं० बेनी तकरारनो निवेडो वाळु; प्रेमाळ (२) तेलवाळु; चीकj लाववा चूंटेलो मध्यस्थी
(३)चोटीजाय तेवू(४) चळकतुं (५) स्थेयस् वि० वधारे मक्कम ('स्थिर'नं माया-ममताभर्यु (६) सुंदर; मनोहर तुलनात्मक रूप)
(७) गाढुं (८)पुं०मित्र (९) न० तेल
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