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सोस्थ्यन सौस्थ्येन अ० सुखेथी; खुशीथी सौस्नातिक पुं० स्नानादि ठीक थयु ने?' एम पूछनारो
प्रेमभाव सौहार्द पुं० मित्रनो पुत्र (२)न० मैत्री; सौहार्य न. मैत्री; प्रेमभाव सौहित्य न० तृप्ति; पूरतुं होवानो संतोष (२) पूर्णता; समाप्ति (३) मित्रता; मायालुता ['सौहार्ड' सौहृद, सौहृदय, सौहृद्य व० जुओ सौंदर्य न० सुंदरता स्कन्ध ('स्कंभ'नुभू० कृ०) वि. आधार आपेलं; टेको आपेलं (२) रोकेलं;
अटकावेलु स्कंद १५० कूद (२) ऊंचे कूदqचडवु (३) नीचे पडq (४)नाश पामवू -प्रेरक० रेडवू; ढोळq (२)बाकात राखवू; उपेक्षा करवी स्कंद पुं० कूदq ते (२) कार्तिकेय
(३) नदीनो किनारो स्कंदपुत्र पुं० घरफाडु; चोर स्कंध पुं० खभो (२) शरीर (३) थड (४) मोटी डाळी (५) ज्ञाननी शाखा (६) प्रकरण (७) सैन्यनो विभाग (८) समूह; टूकडी स्कंधचाप पुं० कावड स्कंधदेश पुं० खभो (२) हाथी उपर
ज्यां महावत बेसे छे ते भाग (३) झाडनुं थड़
[बळद स्कंधवाह पुं० भार वहन करवा केळवेलो स्कंधावार पुं० सैन्य; टुकडी (२) राज
धानी; राजमहेल (३) छावणी स्कंभ १ आ०, ५,९५० रोकवू; निग्रह
करवो (२) टेको आपको स्कंभ पुं० आधार; टेको स्कु ५,९ उ० कूदq; ठेकडो भरवो(२) ऊंचक, (३) छाई देवू; ढांकी देवू स्कुंभ ५, ९ प० रोकवू; अटकावq स्खल १ प. ठोकर खावी; लपस,
स्तनितसुभगम् (२) लथडियुं खावू; आमतेम डोलवू (३) भंग करवो (आज्ञानो) (४) स्खलन पाम; भ्रष्ट थर्बु (५) भूल करवी (६)तोतडावं (७)निष्फळ जवू; असर न करवी (८) झमवू; झरवू स्खलन न० ठोकर खावी ते; लपसq ते; गबडते (२) लथडियुं खावं ते (३) भ्रष्ट थर्बु ते (सन्मार्गेथी) (४) भूल; चूक (५) निष्फळता (६) तोतडावं ते (७) झम - झर, ते (८) अथडावं ते; भटकवू ते (९) वीर्य स्खलित थq ते स्खलित( स्खल' न भू० कृ०)वि० ठोकर खाधेलं; लथडेलु (२)गबडी पडेलु (३) अस्थिर; कंपतुं; डोलतुं (४)तोतडातुं (५)भूल करतुं (६)न० भूल (७) लथडियु (८)दोष; पाप स्खलितसुभगम् अ० मनोहर रीते ऊछ
ळतुं के अफळातुं वहे तेम स्तन् १५०,१० उ० अवाज करवो; रणकार करवो (२) निसासो नाखवो
(३) मोटेथी गर्जदूं स्तन पुं० थान; धाई (२) स्तननी दींटी
(३) आउ; अडण (पशुनी मादा) स्तनकुड्मल न० (कळी जेवो) स्तन स्तनपान पुं० धावq ते स्तनभर पुं० स्तननो भार स्तनयित्नु पुं० गर्जना; मेघगर्जना
(२) वादळ (३) वीजळी स्तनवेपथु पुं० स्तन- ऊछळवं ते स्तनंषय वि० धावतुं; धावणुं (२) पुं०
धावणुं बाळक स्तनांतर न हृदय (२) बेस्तन वच्चेनी स्तनित वि० अवाज करतुं; ध्वनियुक्त
(२) गर्जना करतुं (३)न० मेघगर्जना; ___ कडाको (४) धनुष्यनी पणछनोटंकारव स्तनितसुभगम् अ० घेरो रव करतुं होवाथी मधुर लागतुं होय तेम
[जगा
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