________________
सांप्रत
सिद्धार्थ दृष्टिए उपयोगी (३)आफतभयु (४) सित ('सो' नुं भू० कृ०) वि० सफेद परलोकने लगतुं (५) उत्तरक्रिया (२) बंधायेलं; गंठायेलु (३)जोडायेखें; संबंधी (७)न० युद्ध; लडाई (८) पुं० सहित एवं (४) घेरायेलं (५) पुं० सफेद युद्धनो रथ [प्रस्तुत; बंधबेसतुं रंग (६)शुक्लपक्ष (७) खांड; साकर सांप्रत वि० योग्य; उचित ; अनुकूळ (२) सितकर पुं० चंद्र [जाळू सांप्रतम् अ० हमणां; आ समये (२) सितछत्र न० राजछत्र (२)करोळियानुं
तरत ज (३) वखतसर; उचितपणे सिततुरग पुं० अर्जुन (सफेद अश्ववाळो) सांप्रतिक वि• चालु समयने लगतुं (२) सितरश्मि पुं० चंद्र बराबर; खरं; उचित
सितवाजिन् पुं० अर्जुन (सफेद घोडावाळो) सांब पुं० शिव
सितवारण पुं० ऐरावत [ग्रह सांमुख्य न० हाजरी (२) सामे मोए होवू सितसौम्यो पुं० द्वि० व० शुक्र अने बुध
ते (३) अनुग्रह; महेरबानी सिता स्त्री० खडी साकर(२)चांदनी सांयात्रिक पुं० दरियाई मार्गे वेपार (३) सुंदर स्त्री(४) मद्य, दारू (५) करनारो;वहाणवटी [महान योद्धो
सफेद दरो. सांयुगीन न० वि० युद्धकुशळ (२)पु० सितापांग पुं० मोर (तेना आंखना खूणा साराविण न० कोलाहल; घोंघाट ___ दूध जेवा सफेद होय छे तेथी) सांवत्सरिक वि० वार्षिक (२)पुं० जोषी सितासितगुण वि० ताणावाणामां काळो (३)पंचांग बनावनारो [प्रलयाग्नि अने धोळो दोरो वाराफरती होय तेवू सांवर्तक वि० प्रलयकाळy (२) पुं० । सितांशु पुं० चंद्र सांशयिक वि० अनिश्चित; संशययुक्त सिति वि० सफेद (२)काळ (२) न० जोखमभरेलुं कृत्य
सितेतर वि० काळं सांसारिक वि० संसार-व्यवहार संबंधी; सिद्ध ('सिध्' भू० कृ०) वि० पूरुं दुन्यवी; आ लोकनुं
थयेलु; सफळ थयेलं;प्राप्त थयेलं(२) सांसिद्धिक वि० स्वभावसिद्ध; सहज; पुरवार थयेलं; निश्चित थयेलु (३)
नैसर्गिक (२) सिद्धिबळथी उपजावेलु रंधायेलं (४) परिपक्व थयेलं (५) सि ५,९ उ० बांधवू; गांठवू(२) फांदवू
प्रख्यात प्रसिद्ध (६)पुं० आठ सिद्धिओ सिकता स्त्री० रेताळ भूमि (२) रेती
के चमत्कारी शक्तिओवाळो देव के (मोटे भागे ब० व०)
मनुष्य (७)दिव्य दृष्टि के शक्तिवाळो सिकतिल वि० रेताळ
मुनि (८) ऋषि (९) जादुगर । सिक्त ('सिच् ' नुं भू० कृ०) सींचेलं;
सिद्धयात्रिक पुं० सिद्धिओ मेळववा छांटेलु; रेडेलु
भटकनारो सिक्थ पुं० (रांधेलो) भात (२)भातनो सिद्धरस पुं० पारो (२) कीमियागर
गोळो (३)न० मीण (४) गळी सिद्धव्यंजन पुं० तपस्वी वेशधारी जासूस सिच ६० [सिंचति-ते छांटवू (२) सिद्धादेश पुं० कोई मुनिए भाखेलु पाणी पावं; सींचq (३) अंदर रेडवू भविष्य (२) भविष्य भाखनार पेगंबर (४)अर्पण करवु (जलांजलि इ०)(५) सिद्धान्न न० रांधेलुं अनाज पलाळवं
जीर्ण वस्त्र सिद्धापगा स्त्री० गंगानदी सिघय पुं० वस्त्र; कपडं (२) फाटेलू- सिद्धार्य वि० इच्छित वस्तु प्राप्त के पूर्ण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org