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अमृतदीषिति
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करे नेवो रस (१०) पाणी (११) घी (१२) दूध (१३) मिष्टान्न (१४) यज्ञमां वधेलं ते (१५) वगर माग्ये मळेलु ते (१६) मनगमती वस्तु अमृतदीधिति, अमृतधुति पुं० चन्द्र अमृतप पुं० विष्णु (२) देव अमृतभुज पुं० देव मंथन अमृतमंथन न०अमृतप्राप्ति अर्थे (समुद्रन) अमृतलता,अमृतलतिका स्त्री० अमरवेल अमृतसार वि०अमृतमय;अमृत जेवू मधुर अमृता स्त्री० सुरा;मद्य (२) तुलसी,हरडे,
गळो इ० केटलीक वनस्पतिनुं नाम अमृतांशु पुं० चन्द्र अमेषस् वि० बुद्धिहीन; मूर्ख । अमेध्य वि० यज्ञने माटे अयोग्य (२)
अपवित्र (३) न० विष्टा अमेय वि० अपरिमित; मापी न शकाय तेवू (२) अज्ञेय (अचूक; सफळ अमोष वि० कदी निष्फळ न नीवडतं; अम्ल वि० खाटुं (२) पुं० खटाश;
खाटो रस (३) न० छाश अम्लान वि० नहि करमायेलं (२) झांसुं नहि तेवू (३) स्पष्ट; चोखं अय १ उ० जq अय पुं० जनार (ममासने अंते; उदा० 'अस्तमय') (२) सद्भाग्य अयज्ञ वि० यज्ञ न करनारुं . अयति वि० पूरो प्रयत्न न करनारं;
यत्नमां मंद अयतिन वि० अनिग्रही; असंयमी अयत्न वि० यत्न न करवो पडे तेवू (२) पुं० यत्ननो अभाव अयया अ० जेम होवू जोइए, के जेवुधार्यु
होय तेवू नहि तेम नहि एम अयथावत् अ० खोटी रीते; यथायोग्य अयन वि० जतुं (समासने अंते) (२) न० गति (३) मार्गः (४) व्यूहनो प्रवेशमार्ग (५) आश्रयस्थान (६)
अयुग्म विषुववृत्तनी उत्तरमा अने दक्षिणमा देखाती सूर्यनी गति (७) ए गतिने लागतो वखत (छ मास) (८) मोक्ष अयमित वि० काबूमां नहि राखलु के रहेलु (२) नहि कापेलं; संस्कारेलु नहि तेवु (नख इ.) अयशस् वि० अपकीर्तिवार्छ; बेआबरू
थयेल (२) न० अपयश ; अपकीर्ति अयस् न० लोढुं (२) पोलाद (३) कोई पण धातु अयस्कांत,अयस्कांतमणि पुं० लोहचुंबक अयःशंकु पुं० भालो (२) लोढानो अणी
दार खीलो माग्ये मळेलुं दान अयाचित वि० नहि याचेलं (२) नवगर अयाचितवत न० वगर माग्ये जे मळे
ते वडे जीववानुं व्रत अयाज्य वि• यज्ञ करवानुं अधिकारी नहि तेवू; जेने माटे यज्ञ न करी शकाय तेवू के नबळू नहि थयेलं अयातयाम वि० ताजु; वापरवाथी जीर्ण अयि अ० 'हे' एवा अर्थ- एक प्रेमसंबोधन (२) प्रार्थना, विनंती, सौम्य प्रश्न इ०नो भाव दर्शावे छे अयुक्त वि० नहि जोतरेलू (२) नहि जोडेलु (३)चंचळ ; असावध; बेध्यान (४) नहि रोकेलु-योजेलं (५) अनुचित ; अयोग्य (६)खोटुं; जूळू अयुक्ति स्त्री० जोडायलं न हो, ते (२) अयोग्यता (३) युक्तिपुरःसर न होवू ते; असंबद्धता अयुग वि० एकलं (२)एकी संख्यावाळू
अयुगपद् अ० एक साथे नहि तेवी रीते; एक पछी एक अयुगल वि० जुओ 'अयुग' अयुगाचिस् पुं०(सात ज्वाळावाळो)अग्नि अयुग्म वि० जोडीमां नहि तेवं ; एकलं; छु? (२)एकी संख्यावाळं (३,५,७,३०)
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