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बटुक
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षष्ठ
षट्क पुं० छ (२) न० छनो समूह
(३) काम क्रोध वगेरे षड्पुि षट्कर्ण वि० छ कानथी संभळायलं
(त्रीजा-त्राहित दडे संभळायेलं) षट्कर्मन् न० ब्राह्मणोनां छ कर्म (अध्यापन, अध्ययन, यजन, याजन, दान, अने प्रतिग्रह) (२) ब्राह्मणोने आजीविका माटेनां शास्त्रोक्त छ कर्म (उंछ, प्रतिग्रह, भिक्षा, वाणिज्य, पशुपालन, कृषिकर्म) (३) योगाभ्यास माटेनां छ कर्म (धौति, बस्ती, नेती, नौलिक, त्राटक,अने कपालभाती) (४) मंततंत्रथी थतां छ कर्म (शांति, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेष, उच्चाटन अने मारण) षट्कोण न० वज्र (२) हीरो (३)
छ खूणावाळी आकृति । षट्चक्र न० तंत्रोक्त छ शारीरिक चक्रो (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञाख्य) षट्चरण, षट्पद पुं० भमरो (छ-पगो) षट्पदज्य वि० भमराओ रूपी पणछवाळू (कामदेव- धनुष्य) षट्पदी स्त्री० छ पंक्तिओनी बनेली कडी (२) भमरी (३) छ अवस्थाओ (भूख, तरस, शोक, मोह, जरा, मृत्यु; अथवा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मान) षडधिक वि० छ वधु होय तेवू षडंग न० छ भागवाळं शरीर (बे जांघ बे बाहु, शिर अने कमर) (२) वेदनां सहायक छ शास्त्रो (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष) (३) गायनी छ मांगलिक वस्तुओ (गोमूत्र, छाण, दूध, घी, दही,
गोरोचन) (४) कोई पण छ पदार्थनो समूह षडंघ्रि पुं० भमरो षडानन पु० कार्तिकेय षड्गवीय वि० छ बळदथी खेंचातुं षड्गुण वि० छ गणुं (२) छ गुणवाळू
(३) न० छ गुणनो समुदाय (४) विदेश-नीतिमां राजाए आचरवा योग्य छ कार्यो (संधि, विग्रह, यान के चडाई, आसन, द्वैधीभाव, संश्रय) षड्ज पुं० संगीतना स्वरसप्तकमांनो
पहेलो-'सा' (२) मोरनो अवाज षड्दर्शन न० हिंदु तत्त्वज्ञाननां छ शास्त्रोनो समुदाय (सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, वेदांत) षड्भाग पुं० छठ्ठो भाग षडस न० (मीठो, खारो, तीखो, तूरो
खाटो, अने कडवो ए) छ रसनो समूह षड़साः पुं० ब० व० छ रसो षड्वर्ग पुं० छ वस्तुओनो समूह (२) मानव जातना छ शत्रु (काम, क्रोध लोभ, मद, मोह अने मत्सर) (३) पांच इंद्रियो अने मन षड्विध वि० छ प्रकारषण्मासिक वि० छ महिनानु; छ
महिने आवतुं षण्मुख पुं० कातिकेय षष् वि० (ब० व०) छ षष्टि स्त्री० साठ (संख्या) षष्टिक पुं०, षष्टिका स्त्री० एक जातना
चोखा (जलदी ऊगे एवा) पष्टिभाग पुं० शिव षष्टिहायन पुं० साठ वर्षनो हाथी षष्ठ वि० छर्छ
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