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________________ ५०३ शुश्रूषा स्त्री० सेवा; चाकरी (२) सांभळवानी इच्छा (३) आज्ञांकितपणुं शुश्रूषु वि० सांभळवाने आतुर एवं (२) सेवा करवाने तत्पर एवं शुष ४ प० सुकावं (२)चीमळावं (३) क्षीण थq (४) दुःखी थएँ, पीडावू शुषिर वि० छिद्रोवाळू (२)न० फूंकीने वगाडवानुं वाद्य शुषी स्त्री० सुकावूते(२) दर (जमीनमां) शुष्क ('शुष्' न भू० कृ०) वि० सुकाई गयेल; सूकुं (२)चीमळाई गयेल (३) ढोंगथी करेलु (४) पोकळ; फोगट; नाहक (५) कठोर शुष्ककलह पुं० फोगट तकरार (२) ढोंगी तकरार केवळ गावं ते शुष्कगान न० (नृत्य वगेरे विनानु) शुष्मन् पुं० अग्नि (२)न० तेज (३) बळ शुष्मिन् वि० शक्तिशाळी ; तेजस्वी शंग न० अंकुरनो दोडो शुठि(-ठी) स्त्री० सुंठ शुंडा स्त्री॰ हाथीनी सूंढ (२) मद्य ; दारू (३) वेश्या (४) दारूनुं पीठं शुंडार पुं० हाथीनी सूंढ (२) कलाल शुभ पुं० दुर्गाए मारेलो एक राक्षस शूक पुं०, न० तीक्ष्ण अणी के छेडो (२) अणियाळो वाळ शूकर पुं० भुंड; डुककर शकशिखा स्त्री० (जव वगेरे)अनाजना पोपटा उपरनी तीव्र अणी शूद्र पुं० चतुर्थ वर्णनो माणस शून ('शिव'- भू० कृ०) वि० सूजी गयेलं (२) वधी गयेलं शूना स्त्री० कतलखानु (२)जेनाथी जीवहिसा थाय तेवं कोई पण घरगथु साधन शन्य वि० खाली (२) लक्ष के विषय विनानुं (दृष्टि, हृदय इ०) (३)अभाव होय ते, (४) निर्जन (५)हताश (६) -विना-;-रहित (७) अर्थहीन (८) HEARTHATAme शंखल न० निर्जन स्थान (९)आकाश (१०) मीडु (११)अभाव (१२)एरिंग शून्यपाल पुं० अवेजी; प्रतिनिधि शून्यमय वि० निष्फळ; बिनअसरकारक शन्यवादिन् पुं० (दरेक वस्तुनो अभाव माननारो) बौद्ध (२) नास्तिक शून्यहृदय वि० शून्य मन के चित्तवाळं; बेध्यान (२)खुल्ला दिलवाळु; संदेह विनानु (३)लागणी विना-; क्रूर शर् ४ आ० ईजा करवी; हणq (२) १० उ० शौर्य दाखवQ शूर वि० शूरवीर; पराक्रमी (२)पुं० शूरवीर माणस (३)श्रीकृष्णना दादा शूरकोट पुं० तुच्छ योद्धो (जंतु जेवो) शूरता स्त्री०, शूरत्व न० शूरपणुं . शूरमानिन् पुं० पोताना शौर्यनी खोटी बडाई मारनारो शूरसेनाः पुं० ब० व० मथुरा नजीकनो एक प्रदेश के तेना लोको शूर्प पुं०, न० सूपडं शूर्पकर्ण पुं० हाथी (२)गणेश शूल पुं० भाला जेवू अणीदार हथियार (२) त्रिशूल (३) मांस सेकवानो सळियो (४) शूळी (५) शूळ; तीव्र वेदना(६)विक्रय देव(त्रिशूलधारी) शलधक, शूलपाणि, शलभत् पुं० महाशलाधिरोपित वि० शूळीए चडावेलं शूलारोपण न० शूळीए चडावq ते शूलावतंसित वि० शूलीए चडावेलु शूलांक पुं० शिव [(त्रिशूलधारी) शूलिन् वि० भालाधारी (२)पुं० शिव शल्य वि० सळिया उपर शेकेलं शगाल पुं० शियाळ शृणि स्त्री० अंकुश (हाथी माटेनो) शृत वि० रांधेलु (२) उकाळेलं शृंखल पुं०, न० लोढानी सांकळ (२) सांकळ (लाक्षणिक पण) (३) कमरे पहेरवानी सांकळी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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