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शांतगुण येलु (४) बंध पडेलु; अटकेलं (५) पाळेलं; वश करेलुं (६) मंद; मधुर (७) नम्र (८) बिनअसरकारक बनेलं शांतगुण वि० मृत शांतनव पुं० भीष्म (शांतनुना पुत्र) शांतनु पुं० भीष्मना पितानुं नाम शांतम् अ० 'अरे ना!', 'एम ते होय!' 'ईश्वर एम न करे' -एम निवारणना अर्थमां वपरातो अव्यय शांतरजस् वि० रज; धूळ विनानुं; रजोगुण के तृष्णाओ विनानुं शांता स्त्री० दशरथ राजानी पुत्री; ऋष्यशृंगनी पत्नी शांति स्त्री० शांत पाडवू, धीमुं पाडवू के दूर करवू ते (२)वेग, क्षोभ के क्रिया न होवां ते (३) क्लेश कंकास के यद्धनो अभाव (४) विश्रांति; निवृत्ति (५) मानसिक के शारीरिक उपद्रव के विकार- मटी जq ते (६) सांसारिक तृष्णानो अभाव शांतिमार्ग पुं० मोक्षमार्ग शांत्युवक न० शांति माटेनुं पवित्र जळ शांबरी स्त्री० इंद्रजाळ; माया । शांभव, शांभवीय वि० शिवने लगतुं शिक्य न०, शिक्या स्त्री० शींकु शिन १ आ० शीखवू; अभ्यास करवो शिक्षक पुं० शीखनारो (२)शीखवनारो शिक्षण न० शीखवू ते (२)शीखवयूँ ते । शिक्षा स्त्री० शीखवू ते; अभ्यास (२) कशं करवाने शक्तिमान थवानी इच्छा (३) शिक्षण; उपदेश (४) एक वेदांग; उच्चारशास्त्र (५) शास्त्र । शिक्षित ('शिक्ष' न भू० कृ०) वि० शीखेलं; अभ्यास कर्यो होय तेवू (२) शीखवेलुं (३) तालीम आपेलं (४) कुशळ; प्रवीण शिक्षितव्य, शिक्ष्य वि. शिक्षण आपवा योग्य (२) शीखवा लायक
शितिकंठ शिखर पुं०, न० पर्वतनी टोच (२)
झाडनी टोच (३) कलगी। शिखरिन् वि० कलगीवाळू (२) अणी
दार (३) पुं० पर्वत (४) झाड । शिखंड पु० चूडाकर्म वखते माथा
उपर के बे बाजुए जे कानशेरियां रखाय छे ते (२) मोरनु पीछांवाळं पुच्छ (३) कलगी शिखंडक पुं० माथानी बाजुओ उपर रखातां जुलफां (क्षत्रियो त्रण के पांच राखे छे) (२) कलगी (३) मोरपुच्छ शिखंडिन पुं० मोर (२) द्रुपदनो पुत्र शिखंडिनी स्त्री०ढेल शिखा स्त्री० माथा उपर रखाती वाळनी लट (२) कलगी (३)शिखर; टोच (४) तीक्ष्ण अणी (५) वस्त्रनो छेडो (६) ज्योत (७) किरण (८) मोरनी कलगी
[माळा शिखादामन् न० माथानी टोचे पहेराती शिखाधर पुं० मोर शिखाधरज न० मोरनुं पीछु शिखामणि पुं० माथानी टोचे पहेरातो ___ मणि; चूडामणि शिखावत् वि. कलगीवाळू (२)ज्योतवाळू (३) अणीदार (४) पुं० अग्नि (५) दीवो शिखावल पुं० मोर शिखिध्वज पुं० कार्तिकेय शिखिन् वि. अणीदार (२)कलगी के
चोटीवाळु (३) पुं० मोर(४)अग्नि शित ('शो' नुं भू० कृ०) वि० धार
काढेलु(२)पातळ; कश(३)क्षीण; अशक्त शितषार वि० तीक्ष्ण धारवाळू शितशूक पुं० जव (२) घउं शितान पुं० कांटो शिति वि० श्वेत (२) काळु (३) घेरुं
भूरुं; नील रंगनुं शितिकंठ पुं० नीलकंठ; महादेव
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