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शम्
शत्रुकर्षण शत्रुकर्षण वि० शत्रुने नमावनाएं;
शत्रुनो नाश करनारुं शत्रुघ्न पुं० सुमित्रानो पुत्र; लक्ष्मणनो जोडियो भाई
पर्वत शत्रुजय पुं० हाथी (२) गुजरातनो एक । शद् १ उ० नाश पामवृं; क्षीण थर्बु (२) पडी जवं '-प्रेरक० नीचे फेंकव; कापी नाखवं (२) दूर करवू; नाश करवो शनकैस् अ० धीमेथी शनि पुं० ए नामनो ग्रह (२) शनिवार शनि व पुं० धीमापणुं शनैश्चर वि० हळवे हळवे चालनारु
(२) पुं० शनिग्रह शनैस् अ० धीमेथी; चुपकीदीथी (२)
धीमे धीमे (३) क्रमे ऋमे । शप् १, ४ उ० शाप आपवो (२) सोगंद खावा (३) ठपको आपवो
-प्रेरक० सोगंदथी बांधवं शपथ पं० शाप (२) सोगंद शपथोत्तरम् अ० सोगंदपूर्वक शपमान वि० शाप देतुं (२) सोगंद
खातुं (३) गाळो देतुं; निंदतुं शपित वि० शाप आपेलं । शप्त ('शप' - भ० कृ०) शाप दीधेलं (२) सोगंद दीधा होय तेवू (३) न० शाप (४) सोगंद शफ पुं०, न० खरी शफर पुं०, शफरी स्त्री० एक नानी चळकती माछली
[माणस शबर पुं० पहाडी जातिनो जंगली शबरी स्त्री० किरात जातिनी एक स्त्री
(रामनी भक्त हती) शबल वि० काबरचीतरुं (२) मिश्रित
(३) म्लान; फीकुं (४) क्षुब्ध शबलिमन् पुं० काबरचीतरो देखाव शब्द १० उ० अवाज करवो; नाद करवो (२) बोलाव,
शब्द पुं० अवाज; ध्वनि; नाद (२) अर्थयुक्त एक के वधारे अक्षरोनो समुच्चय (३) नाम ; संबोधन (४) शास्त्रवाक्यरूपी प्रमाण (न्याय०) (५) व्याकरण (६) कीति (७) प्रणव शब्दगुण वि० शब्दरूपी गुणवाळू शब्दपति पुं० नामनो- कहेवातो पति के मालिक
[ताकनारं शब्दपातिन् वि० अवाज उपरथी शब्दब्रह्मन् न० वेदो (२) परामात्मानुं ज्ञान (३) परमतत्त्व; परमात्मा शब्दवेधिन् वि० अवाज उपरथी निशान ताकनारुं (२)पुं० एक जात, बाण (३) धनुर्धारी (४) दशरथ (५) अर्जुन शब्दवेध्य वि० जोया विना मात्र
अवाजथी वींधवानुं एवं शब्दशास्त्र न० व्याकरणशास्त्र शब्दसाह वि० जुओ 'शब्दवेधिन्' शब्दाख्येय वि० शब्दोमां कही शकाय तेवू शब्दानुरूप वि० अवाजना प्रमाणमां होय तेवू; अवाज जेवू के जेटलं शब्दायते आ० अवाज करवो (२)
गर्ज, (३) बोलावq शब्दित ('शब्द' नुं भू० कृ०) वि० वगाडेलु; बजावेलु ; (२)उच्चारेलु (३) बोलावेलु (४)नाम आपेलु (५)शीखवेलं; समजावेलु (६)न० अवाज; बूम शम् ४ ५० [शाम्यति ] शांत थर्बु (२) बंध पडवू; अंत आववो (३)बुझाई जवू (४) १० उ० नीरखq (५) दर्शाव
-प्रेरक० शांत पाडवू; बुझाववू (२)अंत लाववो; नाश करवो (३) आश्वासन आपq (४) हरावq; वश करवू (५) तजी देवू; अटकवू शम् अ० सुख, आरोग्य, समृद्धि बतावतो प्रत्यय; आशीर्वाद के शुभ अंत इ० बताववा वपराय छे (चोथी के छठ्ठी विभक्ति साथे)
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