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प्रजांगना
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शकृत्पिडक व्रजांगना स्त्री० वजनारी; गोपी . द्रात पुं० टोळं; मंडळी (२) न० रोजे अजित न० जq ते ; भटकवू ते
करवानी मजूरी (३) शारीरिक श्रम वण १५० अवाज करवो (२)१० उ० (४) बरात; जान घायल करवू; ईजा करवी
वातीन वि० दहाडियु; रोजे मजूरी व्रण पुं०, न० जखम, धा (२) चाटुं
करतुं (२) हिंसा-लूटफाटथी जीवनारु वणन न० वींधवं ते
वात्य पुं० संस्कार न करवामां आव्या विरोपण वि० धा रूझवनारु
होवाथी पोतानो वर्ण गुमावी वेठेलं वणित वि० घवायेल
(प्रथम त्रण वर्णनुं माणस) (२) व्रत पु०, न० नियमपूर्वक आचरवारों भामटो; अधम माणस (३) शूद्र पुण्यकर्म (२)अमुक करवा न करवानो
पिता अने क्षत्रिय मातानो पुत्र धार्मिक निश्चय (३) भक्ति के श्रद्धानो
बीड ४ प० शरमावू (२) फेंक, विषय (४) विधि; अनुष्ठान; कार्य
बीड पुं०, व्रीडा स्त्री शरम; लज्जा (५) नियम, कानून (६) ब्रह्मचर्यव्रत ।
वीडित वि० शरमिंदुं करायेलं व्रतति (-ती) स्त्री० वेल (२) विस्तार व्रतपारण न० व्रत के उपवासनी
वील पुं० शरम ; व्रीडा समाप्ति; उपवास पछी खावं ते
व्रीहि पुं० डांगर; चोखा व्रतवैकल्य न० व्रत-नियमनी अपूर्णता ब्ली ९ ५० [ग्लिनाति] टेको आपवो अतिक, वतिन् वि० व्रत धारण करनारु (२) पसंद करवू (३) दबाववं; (२) पुं० ब्रह्मचारी विद्यार्थी (३) तोडी पाडवू तपस्वी (४) यजमान (यज्ञ करावनारो) -कर्मणि० भागी पडवू; बेसी पडवू
श न० सुख ; कल्याण शक ५ ५०, ४ उ० शक्तिमान थq; शकवू (२) सहन कर, -कर्मणि शकावं शक पुं० एक राजा (२) शालिवाहन राजाथी शरूथयेलो संवत(खिस्ताब्दथी ७८ वर्ष बाद) शकट पुं०, न० गाडु; गाडी (२)पुं० कृष्णे मारेलो एक राक्षस शकटिका स्त्री० नानी गाडी (रमकडु) शकन न० मळ; छाण (शकृत्ना रूपमा बीजी विभक्ति द्विवचन पछी विकल्पे
आवे छे) शकल पुं०, न० टुकडो; भाग (२)घडानुं ठीकरुं (३) तणखो
शकार पुं० राजानी रखातनो भाई
(नाट्य०; मूर्ख अने गर्विष्ठ होय छे) शकाः पुं० ब० व० एक देश (२) एक
जातिना लोक शकुन पुं० पक्षी (२) न० भावि शुभा__ शुभ सूचक चिह्न (४) शुकन शकुनि पुं० पक्षी (२) दुर्योधननो मामो - गांधार देशनो राजा शकुंत पुं० पक्षी शकुंतला स्त्री० विश्वामित्र अने मेनकानी पुत्री; दुष्यंतनी पत्नी शकुंति पुं० पक्षी शकुंतिका स्त्री० पक्षी (२)तीड; तमरूं शकृत् न० विष्टा; छाण शपिंडक पुं० छाणनो पोदळो
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