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व्याहृत
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वजन समजाव (३) चीस - बूम पाडवी व्युदस्त वि० दूर - बाजुए फेंकी दीधेलं (४) विहरवू; खूब आनंद करवो व्युदास पुं० बाजुए फेंकी देवं ते (२) (५) कापी नाखवू; जुएं करवू बाकात राखq ते (३) निषेध (४) व्याहृत वि० बोलेलं; उच्चारलं (२) उपेक्षा; उदासीनता (५) वध; नाश न बोलवू ते (३) शब्दोच्चार विनानी व्युपरत वि० अटकेलं; थोभेलं वाणी के गीत (पशु-पंखीनां)
व्युपरम पुं० उपशम ; विराम; अंत व्याहृति स्त्री० वाणी; शब्दो (२)कथन; व्युपशम पुं० पूर्ण विराम - अंत (२)
उक्ति (३) संध्या वखते उच्चारातो अशांति (३) विरमवू नहि ते पवित्र शब्द (भूर्, भुवस् अने स्वस्) व्युप्त वि० बोडेलु (२) वीखरायेलं व्युच्चर् १ प० उल्लंघन करवू (२) व्युषित वि० प्रभातकाळ थयेलं
बेवफा नीवडQ (३)व्यभिचार करवो व्युष्ट वि० बळेलं (२)प्रभातकाळ थयेलं व्युच्छित्ति स्त्री० सम्ळ नाश; उच्छेद (३)वासो रहेलुं (४)न० प्रातःकाळ व्युत्क्रम् १ प० [व्युत्क्रामति] उल्लंघन व्युष्टि स्त्री० प्रातःकाळ (२) समृद्धि करवं
(३) लावण्य (४)फळ ; परिणाम व्युत्क्रम पुं० अतिक्रमण; उल्लंघन (२) व्यूढ वि० विशाळ; विकसित (२) दृढ ऊलटो क्रम (३) अव्यवस्था
(३) क्रममां गोठवेलु (४) अव्यवस्थित व्युत्क्रांत वि० उल्लंघेलु (२) चाल्यं गयेलं (५) परणेलं (६) मोटुं। व्युत्क्रांता स्त्री० एक जातनी समस्या व्यूह १ उ० सैन्यनी व्यूहरचना करवी व्युत्था १ आ० [व्युत्तिष्ठते] ऊठवू; (२) क्रममा गोठवq - मूकवु (३) जुहूं ऊभा थर्बु (२) बळमां वधq; शक्ति- पाडवू (४) अव्यवस्थित करवू मान थq (३) विरोधमां कहे व्यूह पुं० लश्करनी गोठवणी(२)लश्कर; व्युत्थान न० प्रबळ उद्योग (२)-नी सैन्यविभाग (३) टोळं; जूथ(४)विभाग सामे थq ते ; बंड (३)स्वतंत्रपणे कार्य व्ये १ उ० सीववू (२) ढांक करवं ते (४) समाधिमांथी ऊठवू ते व्योकार पुं० लुहार (५) उठाडवं ते (हाथीने)
व्योमग पुं० आकाशचारी-देव व्युत्थित वि० विरुद्ध अभिप्रायन (२) व्योमगमनीविद्या स्त्री० आकाशमां शास्त्र विरुद्ध वर्तनारु
ऊडवानी विद्या व्युस्थिति स्त्री० जुओ 'व्युत्थान' व्योमन् न० आकाश; अंतरिक्ष व्युत्पत्ति स्त्री० उत्पत्ति; मूळ (२) व्योमसद् पुं० देव (२) गंधर्व
शब्दनी मूळ उत्पत्ति (व्या०) (३) ब्रज १ प० जq (२) पासे जर्बु (३) पारंगतता; निष्णातपणुं(४)विद्वत्ता। विदाय लेवी; पाछा फरवू (४)पामवं व्युत्पद् ४ आ० --मांथी उत्पन्न थर्बु (२) (स्थिति) (५)१० उ० [वाजयति-ते (धातुमाथी)नीकळवू (३)-मां प्रवीण जq (६) साफ- शुद्ध करवू; संस्कारवू थर्बु (४) पाछा आवq (समुद्रमांथी) वज पुं० टोळं; समूह (२.) गोवाळोनो व्युत्पन्न वि० अनुभवी; प्रवीण (२) वास (३) गायोनो वाडो(४)निवासव्युत्पत्ति शोधेलं (शब्द)
स्थान (५) मथुरा नजीकनो प्रदेश व्युदस् ४ ५० विखेरवू (२)दूर फेंक व्रजन न० जवू ते ; भटकवू ते (२) देश(३)बाजुए मूकवू (४)तजी देवू निकाल थर्बु ते
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