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वैशसन
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व्यतिक्रम् वैशसन न० कतल; वध
वैष्णव वि० विष्णु संबंधी (२) विष्णुनी वैशंपायन पुं० व्यासना एक शिष्य उपासना करनारुं (३) न० वैकुंठ (जनमेजयने महाभारतनी कथा तेमणे
वैसारिण पुं० माछलं संभळावी हती) नो रवैयो वैसारिणकेतन पुं० मीनकेतन - कामदेव वैशाख पुं० वैशाख महिनो (२)वलोववा- वैहायस वि० आकाशमां होवू ते; वैशारद वि० कुशळ; निपुण (२)ज्ञानी आकाश संबंधी (२)न० आकाश ; अंत(३) न० गाढ ज्ञान
रिक्ष (३)आकाशमां ऊडवू ते वैशारद्य न० निपुणता
वहारिक वि० विहार - क्रीडा माटेर्नु वैशिक वि० वेश्याओ वडे सेवातुं - वहार्य वि० मजाक करवा योग्य (साळो
आचरातुं (२) पुं० वेश्याओनो संगी के पत्नीनां सगा) वैशिष्टय न० विशिष्टता; खासियत वहासिक पुं० विदूषक; मश्करो (२) उत्तमता
वोढ़ पुं० हमाल (२)आगेवान (३)पति वैशेषिक वि० विशिष्ट; खास (२) (४) बळद (५) सारथि वैशेषिक दर्शन संबंधी (३)न० छ व्यक्त ('व्यंज्'तुं भू० कृ०) वि. दर्शनोमांन एक; कणाद-दर्शन
खुल्लु; प्रगट; स्पष्ट (२) ज्ञानी (३) वैश्य पुं० चार वर्णोमांनो त्रीजो (खेती, न० अव्यक्त तत्त्वमाथी विकसित कार्य वेपार अने गोरक्षा करनारो वर्ण) व्यक्तम् अ० स्पष्टताथी; निश्चितपणे वैश्रवण पुं० कुबेर(२) रावण
व्यक्ति स्त्री० प्रगट - स्पष्ट करवू के थर्बु वैश्वदेव वि० विश्वेदेव संबंधी (२)न० ते (२) भेद; विवेक (३)साचुं स्वरूप विश्वेदेवोने अपातो बलि
(४)कोई पण वर्ग के जातिमांगें एक वैश्वस्त्य न० विधवापj
व्यग्र वि० व्याकुळ ; मुंझायेलं (२)गभवैश्वानर वि० सर्व मानवजात संबंधी; रायेलु (३)व्यापृत; लवलीन सर्व मनुष्योने माटे योग्य एवं (२) व्यग्रता स्त्री०, व्यग्रत्व न० व्याकुळता; सामान्य ; सार्वत्रिक (३) ज्योतिश्चक्र गभराट; मुंझवण (२) उत्सुकता; संबंधी (४) पुं० अग्नि (५)जठराग्नि लवलीनता (६) परमात्मा (स्थूल शरीरोनो व्यच् ६ प० [विचति ] छेतरवू; ठगवू अभिमानी)
व्यजन न० पंखो वैश्वानरी स्त्री० चंद्रना मार्गनो एक व्यतिकर पुं० संयोग; संबंध; जोडाण विभाग (भाद्रपदा अने रेवती नक्षत्रो) (२) मिश्रण; एकळं करवू ते (३) (२) वर्षना प्रारंभे करातो एक यज्ञ अथडावं ते (४) रुकावट; विघ्न (५) वैश्वासिक वि० विश्वासु
प्रसंग ; बनाव; घटना (६) विनिमय वैष पु० कतल
(७)क्षोभ (८)विनाश (९)व्यापq ते वैषमेषव वि० विषमेपु-कामदेव संबंधी व्यतिकरित वि० व्याप्त वैषम्य न० विषमता (२) खरबचड़ा- व्यतिकीर्ण वि० मिश्रित (२)संबद्ध (३) पणु; खाडाखैयावाळा होवापणुं (३) आम तेम हलावेलु
आफत; संकट (४)अन्याय (५) भूल व्यतिक्रम् १ उ० उल्लंघन करवू; वैवयिक वि० विषय-वस्तु संबंधी (२) अपराध करवो (२) टाळवं; बेदरकार इंद्रियविषय संबंधी
रहेq (३) व्यतीत करवू (समय)
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