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वृश्चिक वृश्चिक पुं० वींछी |र्थ्यवान थर्बु वृष १५० वरसवं (२) १० आ० सामवृष पुं० सांढ; आखलो (२) दरेक वर्ग- मुख्य ते (समासने अंते; उदा० 'मुनिवृष') (३) इंद्र (४) पुण्य (५) कोई पण नर जानवर (६)उंदर वषण पुं० अंडकोष वृषदर्भ वि० इंद्रनो गर्व हरनारं वृषदंश, वृषदंशक पुं० बिलाडो वृषध्वज पुं० शिव वषन् पुं० आखलो; सांढ (२) कोई
पण वर्गनुं श्रेष्ठ ते (३) इंद्र वृषभ पुं० आखलो (२) कोई पण नर जानवर (३) कोई पण वर्गनुं श्रेष्ठ ते (समासने अंते; उदा. 'द्विजवृषभ') वृषभध्वज पुं० शिव वृषभस्कंध वि० पहोळा खभावाळं। वषल पुं० शूद्र; बहिष्कृत माणस (२)
चंद्रगुप्त मौर्य वषली स्त्री० शूद्रा वृषलीपति पुं० शूद्रानो पति वृषसेन पुं० कर्ण
वाळं वृषस्कंध वि० सांढ जेवा पहोळा खभावषस्यंती स्त्री० पुरुष-समागमनी इच्छावाळी स्त्री वृषाकपि पुं० शिव (२) विष्णु (३)
इंद्र (४) अग्नि (५) सूर्य वृषांकः पुं० शिवकुशनुं)आसन वृषी स्त्री० तपस्वी के ब्रह्मचारीनुं वष्ट ('वृष्' न भू००) वि० वरसेलं वृष्टि स्त्री० वरसवं ते; वरसाद वृष्णि वि० नास्तिक (२) क्रोधी (३) पुं० श्रीकृष्णना पूर्वजनुं नाम (४) श्रीकृष्ण (५)घेटो वृष्णिगर्भ पुं० श्रीकृष्ण वृष्णिपाल पुं० भरवाड वष्य वि० पौष्टिक; वीर्यवर्धक वृसी स्त्री० जुओ 'वृषी'
वेणिका बृहत् वि० जुओ 'बृहत् बृहती स्त्री० नारदनी वीणा (२)वाणी वृहतीपति पुं० बृहस्पति वृत पुं० दी]
ताक पुं० वंताक [झूम ; गुच्छो वृंद न० टोळं; समूह (२) ढग; जथो (३) वृंदा स्त्री० तुलसी (२) राधिका वृंदार पुं० देव वृंदारक वि० घणुं; मोटुं (२) उत्तम (३) मनोहर (४) आदरणीय (५) पुं० देव (६)कोई पण वर्गमां श्रेष्ठ (समासने अंते) वृंदावन न० गोकुळ नजीक- वन दिष्ठ वि० घणुं मोटुं (२) अति सुंदर
('वृंदारक' नुं श्रेष्ठतादर्शक रूप) वृंदीयस् वि० (बेमां) वधु मोटुं के
सुंदर ('वृंदारक' नुं तुलनात्मक रूप) वृ ९ उ० पसंद करवू; वर, वे १ उ० वणवं (२) गूंथवं; बांधवू वेक्षण न० देखरेख राखवी ते : वेग पुं० जुस्सो (२) गति; झडप (३) क्षोभ (४) प्रवाह (५) बळ ; ताकात (६) प्रसरवं ते (जेम के झेरनु)(७) साहस; अविचारी कृत्य (८) बाणनी गति वेगतस् अ० वेगथी; उतावळथी वेगवाहिन वि० वेगथी जतं वेगसर पुं० खच्चर वेगानिल पुं० वेगथी ऊभो थयेलो वंटोळ वेगित वि० वेगवाळू करेलु (२) वेग
बान (३) क्षुब्ध [वृद्धिंगत वेजित वि० गाभरुं; व्याकुळ (२) वेणा स्त्री० एक नदी (कृष्णाने मळे छे) वेणि स्त्री० वाळनो गूंथेलो चोटलो (२)शणगार वगर एक ज जूडामां वाळ गूंथी पीठ उपर लटकता राखे ते (पतिवियोगमा) (३)प्रवाह (४) बे के वधु नदीओनो संगम .. वेणिका स्त्री० वेणी (२) चालु प्रवाह
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