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विधायिन् करवा अपातुं भोजन (१०) कृति; कार्य (११) यत्न (१२) चिकित्सा (१३) प्रतीकार (१४) दान बक्षिस (१५) दैव विधायिन् वि० गोठवनारूं; करनारूं;
सर्जनारु (२) हुकम करतुं (३)-ना हाथमां सोंपतुं [(वाहनने) विधारण न० रोक के अटकावq ते विधि पुं० करवू ते; कृत्य ; क्रिया (२) पद्धति; रीत (३) विधान; हुकम; नियम (४) कोई पण धार्मिक क्रिया (५) वर्तणूक ; वर्तन (६) सर्जन; रचना (७) विधाता; ब्रह्मा (८) नसीब; दैव (९) उपाय विधित्सा स्त्री० करवानी इच्छा - इरादो विधिदष्ट वि० जेनो नियम के विधान
होय तेवू (शास्त्रमा) विधिपूर्वकम अ० विधि-रीत प्रमाणे विधियोगतः विधियोगात् अ० दैव
वशात् ; नसीबजोगे [घन विधिलोप पुं० विधि के विधान- उल्लंविधिवशात् अ० नसीबजोगे विधिविपर्यय पुं० कमनसीब ; दुर्दैव विधु पुं० चंद्र विधुति स्त्री० कंपq ते; हलाव, ते
(२) दूर करवू ते; नाश विधुर वि० धुरा विना- (रथ) (२) पीडित; दुःखित (३)वियोगथी पीडित (४)-विनानु; -रहित (५)विरोधी; शत्रुवटवाळु (६)अशक्तिमान; करी के आचरी न शके तेवू (७) नमी पडेलं; झूकी गयेल (८) पुं० जेनी पत्नी मरी गई होय तेवो पुरुष (९) न० भय; चिंता डर (१०) वियोग (पतिथी के पत्नीथी) (११) दुःख ; आफत विधुरदर्शन न० आपत्ति आवी पडवी ते विधुरित वि० फीकुं; निस्तेज विधुवन न० कंप; ध्रुजारी विधुतुब पुं० राहु (चंद्रने पीडनारो)
विध्वस्त विधू ५, १० उ०, ६ प० हलाववं; कंपावQ (२) दूर कर: खंखेरी नाखवू (३) अनादर के तिरस्कार करवो (४) तजवू; छोडवू विधूत वि० हलावेलु ; कंपावेलु (२)
अस्थिर (३) दूर करेलु; खंखेरी नाखेलं (४) तजेल (५) न०
अनादर; तिरस्कार विधूतकल्मष वि० पापमांथी मुक्त थयेलं विधूतकेश वि० पोताना वाळ आमतेम । हलाव्या होय तेवू विधतनिद्र वि० जागेलं विधुति स्त्री०, विधूनन न० क्षोभ ; कंप;
ध्रुजारो (२) अनादर (प्रेमनो) विधम वि० धुमाडा विनानुं विध १० उ० पकडवं (२) धारण करवं; पहेरवु (३) टेको आपवो (४) अटकाव; रोकवं विधत वि० पकडेलु (२) छूट पाडेलं (३)धारण करेलु; धरेलु(४)अटकावेलु
(५) टेको आलु विधेय वि० करवा के आचरवा योग्य (२) हुकम, आज्ञा के नियम करवा योग्य (३)-नु परवश होय तेवू; -नी असर, काबू के बळ हेठळ होय तेवू (४) आज्ञाधारक; वश (५) कर्मचारी; कशं काम सोपवामां आव्युं होय तेवू (६) न० कर्तव्य ; करवान कार्य (७) पुं० दास; नोकर विधेयज्ञ पुं० पोतानुं कर्तव्य जाणनारं विध्वंस् १ आ० भागी पडवू (२)
विखेराई जवं (३) नाश पामवं विध्वंस पुं० विनाश; बरबादी (२)
शत्रुता; अणगमो (३) अपमान विध्वंसिन् वि० नाश पामतुं (२)नाश
करतुं (३) भ्रष्ट करनाएं (स्त्रीने) विध्वस्त वि० नष्ट करेलु (२) विखेरी नाखेलु (३) ग्रस्त; झांखु पडेलु
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