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विदग्धता
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विद्याधर युक्तिबाज (७) सुंदर (८) पुं० डाह्यो विदुल पुं० एक जातनुं नेतर के विद्वान माणस (९) जार; कामी विष ५० ज्ञानी; पंडित विदग्धता स्त्री०, विदग्धत्व न० विदुषी स्त्री पंडित स्त्री चालाकी; कुशळता
एवं विदूर वि० आधेनुं; दूरनु (२)पु० एक विदग्धवचन वि० बोलवामां कुशळ पर्वतन के शहेरनुं नाम, ज्यांथी वैदूर्य विदर पुं० फाडवू- चीरवु के फाटवं ते मणि मळे छे
(२) फाट'; चीरो इनळनी राणी विदूरभूधर, विदूरादि पुं० एक काल्पविदर्भजा, विदर्भतनया स्त्री० दमयंती; निक पर्वत(लंकानो)ज्यां मेघगर्जनाथी विदर्भाः पुं० ब० व० आजना वराड रत्न पेदा थतां मनाय छे प्रांतनुं प्राचीन नाम (२) ते देशना विदूषक वि० भ्रष्ट करना; कलंक वतनी लोक
लगाडनाएं (२) गाळ के आळ देनारुं विदल १५० भागवू; चीरवु; फाडवू (३) मश्करु (४) पुं० मश्करो (खास
(२) खोदव (३)ऊघडवू ; पहोळं थवं करीने नाटकमां नायकना रमूजी विदलन न० फाड-काप-चीरबं ते अने विश्वासु मित्र) (५) टीका विवंश पुं० तरस लगाडे तेवू तीख करनारो; प्रतिपक्ष करनारो
खावान ते (चटणी - अथाj) विदूषण न० भ्रष्टता (२) कलंक (३) विदारण न० फाडवु --चीरवं - तोडव ठपको ; गाळ टुकड़ा करवा ते (२) पीड; त्रास आपवो ते (३) विदृ ९५०, ६, १ उ० फाड; चीरव; दध; कतल
-कर्मणि चिराई ज; फाटी जवू विदारु प० सरडो; काचंडो
(दुःख इ० थी) विदासिन वि० नाश पामतुं
-प्रेरक ० फाडी नाखव ; चीरी नाखवू विदाहिन पुं० बळतरा ऊभी करे तेवो विदेश पुं० परदेश खाद्य पदार्थ
विदेह वि० देह के देहसंबंध विनानु विदिक्चंग पुं० एक जात पीळ पंखी (२) मृत (३) पुं० विदेह प्रांत (४) विदित ('विद्' न भू० कृ०)वि० जाणेलं - जनक राजा प्राचीन देश समजेलं; भणेलं (२) जणावेलं (३) विदेहाः पुं० ब० व० मिथिला नामनो प्रसिद्ध ; जाणीतुं (४) कबूलेलं (५) विद्ध ( 'व्यध् 'नुं भू० कृ०) वि० वींधापुं० पंडित; विद्वान (६) न० ज्ञान; येल; घवायेलु (२) फटकारायेलं माहिती (७) प्रसिद्धि (८) मेळववं (३) फेंकायेलं; मोकलायेलु (४) एक ते; प्राप्ति
वीजाने वळगेलं- चोटेल (५) सदृश विदितात्मन् वि० प्रसिद्ध; जाणीतुं विद्यमान वि० हयात; वर्तमान;
(२) आत्मज्ञानी (३) पुं० परमेश्वर हाजर (२) खरं; वास्तविक विदिथ पुं० ज्ञानी (२) ऋषि विद्या स्त्री ज्ञान; शास्त्र (२) साचं विदिशा स्त्री० दशार्ण देशनी राजधानी ज्ञान; तत्त्वज्ञान (३)मंत्र; तंत्रविद्या (२) माळवानी एक नदी
विद्यागम पुं० विद्या प्राप्त करवी ते विदीपक पुं० दीवो; फानस
विद्यागुरु पुं० ज्ञान आपनार गुरु विदीर्ण वि० फाडेलं; चीरेलं
विद्याधन न० विद्यारूपी धन (२)विद्या विदुर पुं० धृतराट्र तथा पांडुनो नानो वडे मेळवेलं धन भाई (दासी-पुत्र)
विद्याधर पुं० एक देवयोनिनो देव
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