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बतिका वतिका स्त्री० चीतरवानी पींछी (२) दीवानी दिवेट; मसाल उपर वींटेली वाट (३) रंग (४) बटेर पक्षी (मादा) (५) लाकडी वर्तित वि० वींटेलु; आमळेलं (२) अस्तित्वमा आणेलं (३) सिद्ध करेल (४) वितावेलु (समय) . वतिन् वि० (मुख्यत्वे समासने छेडे) रहेनाएं; रहेतुं (२)जतुं (३)वर्ततुं (४)
आचरतुं (५) पालन करतुं (आज्ञानु) वर्ती स्त्री० जुओ 'वति' [न० कुंडाळू वर्तुल वि० गोळाकार; वर्तुलाकार (२) वर्त्मन् न० रस्तो; मार्ग (२) चीलो;
रूढि (३) अवकाश; तक वर्त्मपात पुं० मार्गमां वच्चे आवq ते
(२) मार्गमांथी आडा फंटा, ते वय॑त् वि० बनवानी के वधवानी
तैयारीमां होय तेवू वर्षक, वर्षकि, वर्षकिन् पुं० सुतार वर्षकी स्त्री० वेश्या वर्षन वि० वधारनारु (२) न० वधq
ते (३) कापवू ते (४) विनाश वर्षमान वि० वधतुं(२)पुं० एक जिल्लो (आजनो बर्दवान) (३) २४ मा जैन तीर्थंकर (४) पुं०, न० अमुक
आकार- पात्र वर्षमानक पुं० एक जात, ढांकणा जेवू पात्र (२) माथे के हाथमां दीवा राखी नाचनार लोकोनो एक वर्ग वर्षमानगृह न० क्रीडागृह वर्णित वि० वधेलु (२) मोटुं करेलुं ।
(३) कापेलं (४) भरेलु वधिष्णु वि० वृद्धि पामतुं; वधतुं वर्ध न० चामडानो पटो (२) चामडुं वधिका, वर्षी स्त्री० चामडानो पटो वर्मन् पुं० क्षत्रियोना नामने लागतो एक शब्द ('चंडवर्मन् ') (२) न० कवच; बख्तर (३) छाल
वर्मन् वर्महर वि० बख्तर धारण करवा के
युद्धमां ऊतरवा जेटली उमरखें वर्य वि० मुख्य; श्रेष्ठ, प्रधान (घj
खरं समासने अंते) वर्ष पुं०, न० वरसाद (२) कोई पण वस्तुनुं वरसादनी पेठे वरस ते (बाण, फूल इ०) (३)संवत्सर (४)दुनियानो विभाग-खंड (कुरु, हिरण्मय, रम्यक, इलावृत, हरि, केतुमाल, भद्राश्व, किंनर, भारत) (५) भारतवर्ष (६) दिवस (७) निवासस्थान वर्षगिरि पुं० जुओ ‘वर्षपर्वत' वर्षघ्न वि० वरसादमांथी रक्षतुं वर्षण न० वरसवं ते वर्षत्र न० छत्री वर्षपर पुं० वादळं (२) अंतःपुरनो नपुं
सक रखवाळ के नोकर वर्षपर्वत पुं० दुनियाना जुदा जुदा विभागोने जुदा पाडती पर्वतमाळामांनी दरेक (हिमवान्, हेमकूट, निषध, मेरु,
चैत्र, कर्णी, शृंगी - ए सात) वर्षप्रवेग पुं० वरसादनुं सखत झापटुं वर्षवर पुं० अंतःपुरनो नपुंसक रखवाळ
के नोकर वर्षा स्त्री० वरसादनी ऋतु; चोमासुं वर्षाकाल पुं० वर्षाऋतु वर्षाघोष (वर्षा+आघोष) J० देडको वर्षामद (वर्षा + आमद) पुं० मोर वर्षारात्र पुं० चोमासानी रात (२) वर्षा ऋतु
[ऋतु वर्षावसान न०, वर्षावसाय पुं० शरद वर्षिष्ठ वि० ('वृद्ध'नु श्रेष्ठतादर्शक
रूप)अति वृद्ध (२) बलिष्ठ (३)समृद्ध वर्षीयस् वि० ('वृद्ध'नुं तुलनात्मक रूप)
वधु मोटुं-वृद्ध-बलवान-अगत्यनुं वर्षक वि० वरसतुं ; पाणी वरसावतुं वर्षोपल पुं० करो (२) एक मीठाई वर्मन् न० देह; शरीर (२)कद; ऊंचाई
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