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यशः शरीर
यशः शरीर न० जुओ 'यशःकाय' यशः शेष वि० ( जेनी मात्र कीर्ति बाकी रही छे तेवुं ) मृत
पालक माता
यशोदा स्त्री० नंदनी पत्नी; श्रीकृष्णनी [ विख्यात यशोधन वि० यशरूपी धनवाळु; अति यष्टि स्त्री० लाकडी (२) गदा (३)
दांडो (धान) (४) शाखा ; डाळी (५) दोरो (सेरनो) (६) कोमळ के नाजुक एवं जे कई ते (उदा० ' अंगयष्टि ) यष्टिनिवास पुं० मोर वगेरेने बेसवा मानी लाकडी (२) ऊंचा दंडा उपर ऊभुं करेलुं कबूतरखानुं यष्टिप्राण वि० नबळं; ताकात वगरनुं ( लाकडीरूपी आधारवाऴु) यष्टी स्त्री० जुओ 'यष्टि' यष्टृ पुं० यज्ञथी यजन-पूजन करनारो यष्टयुत्थान न० लाकडीने टेके ऊठवुं ते यस् १, ४ प० आयास - प्रयत्न करवो
- प्रेरक० त्रास उपजाववो यस्मात् अ० जेथी; जे कारणे यंत्र वि० नियंत्रण करनाएं; अंकुशमां राखनाएं (२) दोरनारुं (३) पुं० नियामक ; शासक (४) हांकनार ( रथ - वाहन इ० नो ) (५) महावत यंत्र १,१० उ० नियंत्रण करवु;अंकुशमां राख (२) बांध (३) फरज पाडवी यंत्र न० जकडी-पकडी राखनार के
कारूप जे होय ते (२) बंधन; बंध; गांठ लगाम (३) कोई पण क्रिया करवा माटे संचा जेवी युक्ति, रचना के साधन (४) आगो; ताळु; चावी (५) तावीज तरीके वपराती आकृति (६) काणुं पाडवानुं साधन; सारडो यंत्रक पुं० यंत्रविद्या जाणनाशे ( २ ) नियामक; अंकुशमां राखनारो (३) न० पाटो ( घानो ) ( ४ ) कोथळी; झोळो यंत्रrifset स्त्री० जादुई करंडियो यंत्रकर्मकृत् पुं० कारीगर
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याग
यंत्रकोविद पुं० यंत्र चलाववानुं के वापरवानुं जाणनारो
रक्षण कर
यंत्रगृह न० तेल काढवानी घाणी (२) त्रास गुजारवानो ओरडो यंत्रचेष्टित न० जादुटोणांनो प्रयोग यंत्रण न०, यंत्रणा स्त्री० रुकावट; नियंत्रण; अंकुश ( २ ) बंध; बांधवं ते (३) पीडा ; त्रास (४) पाटो ( ५ ) [ साळी यंत्रणी स्त्री० पत्नीनी नानी बहेन; यंत्रतक्षन् पुं० यंत्र बनावनारो ( २ ) जादुटोणा करना [(वारण) यंत्रदृढ वि० आगळाथी बंध करेलु यंत्रधारागृह न० फुवाओवाळु स्नानगृह [कराती पूतळी यंत्रपुत्रिका स्त्री० दोरीथी संचालित यंत्रप्रवाह पुं० पाणीनो कृत्रिम प्रवाह यंत्रमुक्त न०एक जातनुं हथियार-अस्त्र यंत्रशर पुं० यंत्र वडे छोडातुं बाण यंत्रारूढ वि० रेंट जेवां चक्र पर चडावेलुं के चडेलुं यंत्रिका स्त्री० जुओ 'यंत्रणी' यंत्रित ('यंत्र' नुं भू० कृ० ) वि० जकडेलं; बांधेलु (२) नियंत्रित; अंकुशमां राखे (३) प्रेरालुं ( ४ ) नियमना शिस्तमा रहेलुं (५) बराबर खेंचेलुं (६) आकर्षाय
यंत्रितकथ, यंत्रित वाच् वि० पराणे चूप करेले के थयेलुं; जीभ जाणे पकडी राखी होय ते
या २५० जनुं (२) चडाई करवी ( ३ ) जवा दे; पडतुं मूक (४) लुप्त वं (५) व्यतीत थ; चाल्या जबुं ( ३ ) माथे लेवु ; वहोखुं ( ७ ) संभोग करवो - प्रेरक० जाय तेम करवुं ( २ ) हांकी काढनु; दूर करवुं (३) व्यतीत करवु पसार करवुं याग पुं० यज्ञ; होम
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