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यशःप्रत्यापन
यभविष्य यभविष्य पुं० 'जे थवान छे ते थशे'
एवं मानीने बेसी रहेनारो यद्यपि अ० जोके ; अगर जो यद्वत् अ० जे प्रमाणे यद्वा अ० अथवा तो यद्वा तद्वा अ० गमे तेम; एलफेल यवृत्त न० साहस (२) घटना यभ १५० संभोग करवो यम् १५० [यच्छति अंकुशमा राखवू;
निग्रह करवो (२) आप यम वि० जोडकारूपे जन्मेलं (२) पुं० नियंत्रण करवू ते ; अंकुशमां राखवू ते (३) आत्मनिग्रह (४) कोई पण मोटुं नैतिक के धार्मिक कर्तव्य (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, ए पांच) (५) मृत्युनो देव; यमराज (६) जोडकुं (७) द्वि० वि० जोडकारूपे रहेला के जन्मेला (अश्विनीकुमार, नकुल-सहदेव) (८)न० जोडकुं; जोडु यमक वि० जोडकामां जन्मेलु (२) वेवडं (३) पुं० निग्रह; अंकुश (४) न० (भिन्न अर्थना समान शब्दोनी पुनरावृत्ति थती होय तेवो) एक
शब्दालंकार (काव्य) यमज वि० जोडकारूपे जन्मेलु यमद्वितीया स्त्री० भाईबीज यमधानी स्त्री० यमन धाम यमपट पुं०, यमपट्टिका, स्त्री०कपडानो पडदो, जेना पर यमपुरीनी सजाओनां चित्र बताव्यां होय छे । यमराज पुं० यमराज (मृत्युना देव) यमल वि० जोडकामांनु एक एवं (२)
पुं० वे (संख्या)(३) द्वि०व० जोडकुं यमलार्जुनौ पुं० द्वि० व० श्रीकृष्णे खांडणियो भरावी तोडी पाडेलां बे अर्जन वृक्षो यमवत् वि० संयमी; जितेंद्रिय यमशासन पुं० शिव यमशासनालय पुं० हिमालय
यमश्राय न० यमन धाम यमायते आ० (यम जेवा थर्बु) यमांतक पुं० शिव (२) यमराज पपित वि० संयम- अंकुशमां आणेलं के
राखेलु (२) बांधेलं; पकडी राखेल यमिन् वि० संयम-निग्रहमा राखनारं
(२) पुं० संयमी; यति यमी स्त्री० यमनी जोडिया बहेन;
यमुना नदी ययाति पुं० एक चंद्रवंशी राजा (नहषनो
पुत्र ; देवयानी अने मिष्ठानो पति) यहि अ० ज्यारे (२) कारण जे यव पुं० जव (२) एक जव जेटलुं वजन (३) आंगळी उपरनी यवाकार रेखा (शुभ गणाय छे) यवद्वीप पुं० जावा बेट यवन पुं० ग्रीस देशनो रहेवासी - ग्रीक
(२) परदेशी; म्लेच्छ यवनिका, यवनी स्त्री० यवन स्त्री (प्राचीन काळमां राजाओ पोतानां धनुष्यबाण ऊंचकवा तहेनातमां राखता) (२) पडदो (३) बुरखो यवप्ररोह पुं० जवनो अंकुर यवस न० चरवार्नु घास यवाग स्त्री० चोखा के जवनी कांजी यवांकुर पुं० जवनो अंकुर यविष्ठ वि० ('युवन्' नुं श्रेष्ठतादर्शक रूप) सौथी वधु जुवान; नानू (२) पुं० नानो भाई यवीयस् ('युवन्' नुं तुलनात्मक रूप)
बेमां वधु जुवान के नानुं यशस् न० ख्याति; कीर्ति; यश (२)
गुणसमुदाय यशस्कर वि० यश आपनारूं यशस्य वि. कीर्ति करनारुं यशस्विन् वि० जाणीतुं; प्रख्यात (२)
उत्तम; श्रेष्ठ यशःकाय न० यशरूपी शरीर यशःप्रख्यापन न० यश फेलाववो ते
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