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________________ मर्त्यधर्मन् [ पृथ्वी मर्त्यधर्मन् मर्त्यमन् वि० मरणधर्मी (२) पुं० मनुष्यप्राणी मर्त्यभुवन न०, मर्त्यलोक पुं० मृत्युलोक; मर्द वि० मर्दन करतुं ; दळी नाखतुं (२) पुं० दळवु के कचरवुं ते · मर्दन वि० दळनाएं के कचरनाएं (२) न० दळवुं के कचरवुं ते ( ३ ) लेप करवी ते (४) मसळवुं ते ( ५ ) दाबवुं ते गदडवु तें ( ६ ) नाश करवो ते मर्दल पुं० एक जातनुं वाद्य (तबला जेवुं ) मर्मच्छिद् मर्मच्छेदिन् वि० मर्मवेधी मर्मज्ञ वि० अंदरनुं रहस्य के तात्पर्य जाणनारुं (२) कोई पण बाबतमां अंडी दृष्टिवाळु 3 मर्मत्र न० बख्तर मर्मन् न ० ज्यां वागवाथी मृत्यु थाय तेवो शरीरनो कोमळ भाग ( २ ) कोई पण नबो के वींधी शकाय तेवो भाग (३) तात्पर्य रहस्य [ जाणनारु मर्मपारग वि० ऊंडुं रहस्य के तात्पर्य मर्मभेदिन् वि० मर्मवेधी ( २ ) पुं० ब्राण मर्मर वि० ' फडफड' एवो अवाज करतुं (पांदडा, कपडां इ० ) (२) गणगणतुं ( ३ ) पुं० ' फडफड ' एवो अवाज (४) गणगणाट मर्मविद् वि० जुओ मर्मज्ञ मर्मस्थल, मर्मस्थान न० ज्यां वागवाथी मोतीपवं कोमळ स्थान (शरीरनुं) (२) नबो के वींधी शकाय तेवो भाग मर्मस्पृश वि० मर्मस्थानने बींधे तेवुं मर्माति वि० मर्मस्थानने आरपार ऊंडे सुधी मर्माविधु, मर्मोपघातिन् वि० मर्मस्थानने बींधी नाखे तेव Jain Education International " मर्यादा स्त्री० ० हद; सीमा (२) अंत; छेडो (३) सीमाचिह्न (४) रूढि के नीतिए स्थापेली सीमा (५) शिष्टाचारनो नियम ( ६ ) करार ३६८ मल्ल मर्यादाव्यतिक्रम पुं० मर्यादानुं उल्लंघन [ सलाह कर मर्श पुं० विचार; मसलत (२) उपदेश ; मर्शन न० घसवु के मसळवुं ते ( २ ) तपास; विचारणा (३) सलाह ( ४ ) समजाववं ते (५) स्पर्श; संभोग (स्त्रीनो) मर्ष, मर्षण न० सहनशीलता; क्षमा मति वि० सहन करेल; क्षमा करेलुं मन् वि० क्षमा करतुं सहन करतुं मल वि० गंदु (२) लोभी; दुष्ट (३) नास्तिक ( ४ ) पुं०, न० गंदकी (५) विष्टा; छाण (६) नैतिक दोष ; पाप ( ७ ) शरीरमाथी नकळत कोई पण गंदी चीज मलन न० दबाव के कचरवुं ते मलपकिन वि० गंदकीथी ढंकायेलुं मलमल्लक न० लंगोटी; कौपीन मलमास पुं० अधिक मास मलय पुं० दक्षिणनो एक पर्वत ( चंदन वृक्ष माटे प्रसिद्ध ) [ लाकडु; चंदन मलयज पुं० चंदन वृक्ष ( २ ) न० चंदननुं मलयवात, नलयसमीर, मलयातिल पुं० मलय पर्वत उपरथी आवतो दक्षिणतो पवन (विरहीने सतावतो गणाय छे ) मलिन वि० मेलुं; गंदु (२) काळु (३) पापयुक्त; दुष्ट (४) वादळवी ढंकालुं (५) न० ० पाप ( ६ ) गंदुं वस्त्र मलिनयति प० ( मेलुं करवुं; कलंकित करवुं; अपजश अपाववो ) मलिनिमन् पुं० मेलाश; गंदकी ( २ ) काळाश (३) पाप मलिनीभू १ प० मेलं थ; गंदु श्रनुं मलिम्लुच पुं० चोर, डाकु ( २ ) राक्षस (३) मच्छर [ दुष्ट; पापी मलीमस वि० गंदु मेलुं (२) काळु (३) मलोत्सर्ग पं० मळत्याग मलोपहत वि० गंदु के मेलुं थयेलुं मल्ल वि० मजबूत : पहेलवान जेवुं (२) सारुं; उत्तम ( ३ ) पुं० मजबूत माणस ( ४ ) पहेलवान कुस्तीबाज For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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