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मनोरम मनोरम वि० सुंदर; आकर्षक ' मनोरंजन न० मनने राजी करवू ते (२)
मजा; आनंद मनोराग पुं० (हृदयनो) प्रेम ; राग मनोरुज् स्त्री० हृदयनी वेदना के शोक मनोलौल्य न० मननो तरंग मनोवृत्ति स्त्री० मननी वृत्ति (२)इच्छा
(३) मननुं वलण मनोहर वि० सुंदर; रम्य । मनोहर्तृ, मनोहारिन् वि० मनोहर मनोह्लाद पुं० मननो आहलाद - खुशी मन्मथ पुं० कामदेव (२) कामवासना मन्मथलेख पुं० प्रेमपत्र मन्मन पुं० धीमेथी (बीजं न सांभळे तेम) करेली वातचीत (२) कामदेव मन्य वि० (समासने छेडे) - पोताने
अमुक मानतुं (जेम के 'पंडितंमन्य') मन्यु पुं० क्रोध; गुस्सो(२) शोक ; खेद
(३)दीन अवस्था (४) यज्ञ मन्युमत् वि० क्रोधी (२) दुःखी (३) ।
जुस्सादार मन्वंतर न० एक मनुनो समय के युग
(४३,२०,००० वर्षनो) ममता स्त्री०, ममत्व न० मारापणुं; मालकीपणानो भाव (२) आसक्ति (३) घमंड मय वि० -नुं बनेलं; '-थी भरेलु' (उदा० 'काष्ठमय') (२) पुं० एक दानव; असुरोनो शिल्पी मयूख पुं० किरण मयूखमालिन् पुं० सूर्य मयूखिन् वि० प्रकाशयुक्त; तेजस्वी मयूर पुं० मोर(२) एक कवि मयूरपत्रिन् वि० मोरना पीछां खोसेलु
(बाण) मयूरी स्त्री० ढेल मरकत न० लीलो मणि; लीलम मरण न० मृत्यु ; मोत
मर्त्य मरणधर्मन् वि० मरणशील मरणनिश्चय वि० मरवाना निश्चयवाळू मरणमंडन न० (पति पाछळ सती थनारी स्त्री पहेरे छे ते) मरणनां आभूषणो अने पोशाक पहेरवां ते मरणात्मक वि० मोत उपजावे तेवू. मरंद, मरंदक पुं० फूलमांनुं मध मराल वि० पोचुं; चीकj (२) मृदु;
कोमळ (३)पुं० हंस (४) कारंडव पक्षी मरिच, मरीच न० मरी मरीचि पुं०, स्त्री प्रकाशनुं किरण (२) मृगजळ (३)अग्निनो तणखो (४)पुं० दश प्रजापतिमांना एक (५) श्रीकृष्ण मरीचिका स्त्री० मृगजळ । मरीचिन् वि० जुओ 'मरीचिमत्' मरीचिप वि० तेजना कण पीनारु मरीचिमत् वि० तेजस्वी (२) पुं० सूर्य मरीचिमालिन् वि० तेजस्वी (२)पुं० सूर्य मरु पुं० रेतीनुं रण;पाणी विनानो वेरान प्रदेश (२) खडक; पर्वत(३)मद्यपान न कर ते [(३)वायुदेव (४) देव मरुत् पुं० पवन; वायु (२)प्राणवायु मरुत पुं० वायु (२) देव मरुत्पट पुं० सढ मरुत्पति पुं० इंद्र मरुत्पथ पुं० आकाश मरुत्वत् पु० इंद्र (२) मेघ (३) हनुमान मरुत्सख वि० पवन जेनो मित्र छे तेवू
(मेघ) (२) पुं० अग्नि (३) इंद्र मरुत्सुत पुं० हनुमान (२) भीम मरुधन्व, मरुधन्वन् पुं० वेरान प्रदेश
[वेरान मरुपय पुं०, मरुपृष्ठ न० रण; निर्जळ मरुवक पुं० एक फूल [वरान प्रदेश मरुस्थल न०, मरुस्थली स्त्री० रण; मर्कट पुं० मांकडु मर्तव्य न० मोत मर्त्य वि० मरणधर्मी (२) पुं० मनुष्य
(३) मृत्युलोक; पृथ्वी (४)न० शरीर
रण
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