SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 359
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्रह्मन् ब्रह्मन् न० परब्रह्म परमतत्त्व ( २ ) स्तुतिनो मंत्र ( ३ ) शास्त्रवाक्य ( ४ ) वेद (५) ॐकार (६) ब्राह्मण वर्ण (७) ब्राह्मणनुं सत्त्व - तेज ( ८ ) तपस्या (९) ब्रह्मचर्य (१०) वेदनो ब्राह्मण खंड ( ११ ) समृद्धि (१२) अन्न (१३) सत्य (१४) पुं० जगतनी रचना करनार - ब्रह्मा (१५) ब्राह्मण (१६) सोमयज्ञना चार ऋत्विजोमांनो एक ( १७ ) गुरु ग्रह (१८) ब्रह्मलोक ब्रह्मनिर्वाण न० ब्रह्म साथे अभेद; मोक्ष (२) ब्रह्मानंद ब्रह्मनिष्ठ वि० ब्रह्मना चितनमां लवलीन ब्रह्मपारायण न० पूर्ण वेदनो अभ्यास ब्रह्मपाश पुं० ब्रह्मा जेना अधिष्ठाता छे एवं एक अस्त्र ब्रह्मपुर न० हृदय ( २ ) शरीर ब्रह्मप्राप्ति स्त्री० ब्रह्म साथे अभेद थवो ते ब्रह्मबंधु पुं० मात्र जन्मथी ब्राह्मण ( पण कर्मथी नहीं ) ब्रह्मभुवन न० ब्रह्मलोक [ तेवुं; मुक्त ब्रह्मभूत वि० ब्रह्म साथे अभेद थयो होय ब्रह्मभूय न० ब्रह्मप्राप्ति ( २ ) ब्राह्मणपणुं ब्रह्ममय वि० वेदरूप; वेद संबंधी; वेदमांथी नीपलुं (२) ब्राह्मणने योग्य ब्रह्ममीमांसा स्त्री० वेदांत सिद्धांत ( ब्रह्मना स्वरूप विषेनो ) ब्रह्मयज्ञ पुं० वेदनुं अध्ययन-अध्यापन ( पंच महायज्ञोमांनो एक ) ब्रह्मयोनि वि० ब्रह्माथी उत्पन्न थयेलं ( २ ) स्त्री० वेदोनो के ब्रह्मानो कर्ता ब्रह्मरंध्र न० मस्तकमा मानेल एक छिद्र, ज्यांथी नीकळेलो जीव ब्रह्मलोकमां जाय छे राक्षस पुं० भूत थयेलो पापी ब्राह्मण ब्रह्मवर्चस् ( स ) न० ब्रह्मचर्य, वेदाभ्यास के ब्रह्मज्ञानथी उत्पन्न थतुं तेज ब्रह्मवादिन् पुं० वेद भणावनार ( २ ) वेदांत मतनो अनुयायी Jain Education International ३४५ ब्राह्मण ब्रह्मविद्या स्त्री० ब्रह्मनुं ज्ञान ब्रह्मविहार पुं० शुद्ध-बुद्ध-मुक्त स्थिति ब्रह्मव्रत न० ब्रह्मचर्यव्रत ब्रह्मसत्र न० वेदनुं अध्ययन-अध्यापन ; ब्रह्मयज्ञ (२) ब्रह्मचिंतन ब्रह्मसायुज्य न० ब्रह्म साथै अभेद ब्रह्मसूत्र न० यज्ञोपवीत (२) बादरायणरचित वेदांतसूत्र ब्रह्मस्तंब पुं० विश्व; जगत ब्रह्मस्थली स्त्री० वेद भणवानी शाळा ब्रह्महत्या स्त्री० ब्राह्मणनी हत्या ब्रह्मानंद पुं० ब्रह्म साथे अभेदनो आनंद ब्रह्मावर्त पुं० सरस्वती अने दृशद्वती नदी वच्चेनो देश ( हस्तिनापुरथी वायव्यमां) - ब्रह्माश्रम पुं० ब्रह्मचर्याश्रम ब्रह्मास्त्र न० ब्रह्मा जेना अधिष्ठाता छे ते अस्त्र For Private & Personal Use Only ब्रह्मांगभू पुं० घोडो (२) मंत्रो बोली जेणे पोताना अवयवोने स्पर्श कर्यो छे ते ब्रह्मांड न० मूळ अंड, जेमांथी विश्व उत्पन्न थयुं छे ( २ ) विश्व ब्रह्मांडभisोदर न० ब्रह्मांडरूपी पोलाण ब्रह्मिष्ठ वि० वेदपारंगत; वेदवेत्ता ब्राह्म वि० ब्रह्मा संबंधी ( २ ) ब्रह्म संबंधी (३) ब्राह्मगोनुं ( ४ ) वेदाभ्यासने लगतुं; ब्रह्मज्ञानने लगतुं (५) वेदविहित; शास्त्रविहित ( ६ ) ब्रह्मलोक संबंधी ( ७ ) पुं० विवाहना आठ प्रकारोमांनो एक (कोई पण दायजो लीधा विना आभूषणयुक्त कन्या परणावी देवी ते - श्रेष्ठ प्रकार ) ब्राह्मण वि० ब्रह्मने जाणनारुं (२) ब्राह्मण संबंधी (३) ब्राह्मणने उचित (४) पुं० चार वर्णोमांना प्रथम वर्णनो पुरुष (५) न० यज्ञक्रियामां कया वेदमंत्रोनो प्रयोग करवो तेना नियमो वगेरेनी चर्चा करतो वेदनो खंड (मंत्रखंडथो जुदो ) (६) ए प्रकारना ग्रंथोनो समुदाय www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy