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ब्रह्मदाय बुभूषु वि० बनवा के थवानी इच्छावाळू बोधपूर्व वि० जाणतुं; समजतुं (२) (२)समर्थ के समृद्धिमान बनवानी जाणी-बूजीने करेलु [पूर्वक इच्छावाळु (३)-नुं हित इच्छतुं बोधपूर्वम् अ० जाणी समजीने; इरादाबुंद् १ उ० जोवू; निहाळg (२) बोधि पुं० पूर्णज्ञान ; साक्षात्कार विचारवू; समजवु (३)सांभळवू बोधिसत्त्व पुं० बौद्ध मुमुक्षु; पूर्ण बोध बुध १० प० बांधq(२)१ उ० जुओ 'बुद्' प्राप्त करवाने मार्गे पळेलो साधक बृह १,६५० वधq (२) गर्जवं बोध्य वि० जाणवा - समजवा योग्य बहत् वि० मोटुं; विशाळ (२)पहोर्छ; (२) जाणी- समजी शकाय तेवू विस्तरेलु (३) अफाट;पुष्कळ (४) बळ
(३)जणाववा के खबर आपवा योग्य वान (५) लांबु ; ऊंचु (६) स्त्री० वाणी बौद्ध वि० बुद्धिने लगतुं (२) बुद्ध (७) न० वेद (८) एक साममंत्र । संबंधी (३) पुं० बुद्धनो अनुयायी बृहती स्त्री० मोटी वीणा (२)नारदनी
अध्नमंडल न० सूर्य- बिंब वीणा (३)वाणी
ब्रह्मकूट पुं० संपूर्ण विद्वान एवो ब्राह्मण बृहद्भानु पुं० अग्नि (२) सूर्य
ब्रह्मकोश पुं० समग्र वेद बृहस्पति पुं० देवोना गुरु (२)एक ग्रह
ब्रह्मगौरव न० ब्रह्मास्त्रनो आदर बंह १,६५० वधq (२) गर्जवं (३)
बह्मघातक, ब्रह्मघातिन् पुं० ब्रह्महत्या
करनार १५०, १० उ० बोलवू (४) चळकवू
ब्रह्मघोष पुं० वेदोनुंपठन (२) समग्र वेद बृंहण वि० पोषतुं (२) न० गर्जना (हाथीनी) (३) पोषवं ते
ब्रह्मचर्य न० जीवननो प्रथम आश्रम, जे
दरम्यान वेदो भणे छे तथा ब्रह्मचारी बृंहित ('बृंह 'नुं भू००) वि० वधेलु;
रहे छे (२) इंद्रियनिग्रह; ब्रह्मचारी विकसेलु (२) गर्जेलु (३) न० गर्जना रहेवानुं व्रत (३)पुं० ब्रह्मचारी विद्यार्थी (हाथीनी)
ब्रह्मचर्या स्त्री० ब्रह्मचर्यव्रत बेह १ आ० प्रयत्न करवो
ब्रह्मचारिन् वि० वेद भगनारं (२) बैले वि० बिल - दरमा रहेनारु
ब्रह्मचर्यव्रतधारी । (३) पुं० चार बैंबिक पुं० स्त्रीओ प्रत्ये प्रेम-संमान
आश्रमोमांथी पहेला आश्रममा रहेलो; दर्शाववामां प्रयत्नशील माणस
गुरुने घेर रही, ब्रह्मचर्य पाळी बोद्धव्य वि० जुओ ‘बोध्य'
विद्याभ्यास करनार विद्यार्थी बोध पुं० समज; ज्ञान (२)विचार (३) ब्रह्मज्ञ वि० ब्रह्मने जाणनारं; ब्रह्मवेत्ता समजशक्ति; बुद्धि (४) जागवू ते; ब्रह्मज्ञान न० ब्रह्म अने जगतना अभेदतुं जानदवस्था
ज्ञान; परमज्ञान; तत्त्वज्ञान बोधक कि० जणावनारु (२)शीखवनारुं ब्रह्मण्य वि० ब्रह्म संबंधी (२) ब्रह्मा (३)दर्शक (४)जगाडनाएं
संबंधी (३) ब्राह्मण माटे उचित (४) बोधतस् अ० समजपूर्वक
ब्राह्मणना हितनुं (५)पवित्र (६)पं० बोपन वि० जाण - खबर करनारु (२) वेदवेत्ता [(३) अभिचार ; मंत्रतंत्र
समजावनार (३) नगाडनारुं (४)सळ- ब्रह्मदंड पुं० ब्राह्मणनो शाप(२)ब्रह्मास्त्र गावनाएं (५) पुं० बुध ग्रह (६) न० ब्रह्मदाय पुं० वेद भणाववा ते (२) समजाववं-जणाववं-शीखवq ते (७) वारसामां मळेलं वेदज्ञान (३) अर्थ दर्शाववो ते (८) जगाडवू ते
ब्राह्मणनो वारसो
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