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________________ प्रह्लादक ३२६ प्राच्य प्रह्लादक (-1) वि० हर्ष उपजावनाएं तुमाखी (३) कुशळता (४) विकास; प्रह वि० ढाळवाळु; नमेलुं (२)नीचुं परिपक्वता (५)प्रागटय ; देखाव (६) वळेलु (३)नम्र ; विनयी (४)आसक्त वक्तृता (७) दृढनिश्चयीपणुं प्रह्वयति प० (नमावq; ताबे करवू) प्रागवस्था स्त्री० पहेलांनी अवस्था प्रहांजलि वि० कपाळे बंने हाथ जोडीने प्रागुत्तर, प्रागुदंच वि० उत्तर-पूर्वनुं नमन करतुं (आदर बताववा) प्राग्जन्मन् न०, प्राग्जाति स्त्री० पूर्वजन्म प्रा २ ५० भरवू; पूर, प्राग्ज्योति पुं० कामरूप देश प्राक् अ० पहेलां; अगाउ; पूर्वे (२) प्राग्भव पुं० पूर्वजन्म पहेलेथी ज (३) पूर्व दिशामा (४) सामे प्रागभार पुं० पर्वतनुं शिखर (२) आगलो (५) सुधी (६) सवारे के छेडानो भाग (३) मोटो जथो प्राकटघ न० प्रगट थq ते (२) प्रसिद्धि प्राग्रसर वि० अग्रेसर; आगेवान प्राकरणिक वि० प्रस्तुत; जे प्रकरण प्राग्रहर वि० मुख्य ; प्रधान ऊपडयुं होय तेने लगतुं प्राग्य वि० मुख्य ; श्रेष्ठ प्राकाम्य न० मरजी मुजब वर्तवं ते (२) प्राग्वचन न० पहेलांनां ऋषिओए कहेलु स्वच्छंदीपणुं(३) ते नामनी एक सिद्धि के ठरावेलुं ते प्राकार पुं० भींत; वाड (२)किल्लो प्राग्वंश पुं० पूर्ववंश के पेढी (२) जेना प्राकारस्थ वि० बुरज उपरथी लडनाएं थांभला पूर्वदिशाभिमुख होय तेवू प्राकाश्य न० जाहेरात (२) प्रसिद्धि यज्ञस्थान (३) यजमाननां सगांसंबंधी (३) चळकाट जेमां बेसे ते ओरडो प्राकृत वि० कुदरती; सहज; अकृत्रिम प्राग्वृत्त न० पहेलांनु वर्तन (२) सामान्य (३) संस्कार विनानु; प्राग्वृत्तांत पुं० पहेलांनी घटना के बनाव अशिक्षित (४) तुच्छ; अगत्यनुं नहि प्राघुण, प्राघुणक. प्राघुणिक, प्रापूर्ण, तेवू (५) प्रकृति संबंधी (६) देशी के प्राणिक पुं० महेमान; अतिथि गामठी (भाषा) (७) पुं० सामान्य प्राणिका स्त्री० आतिथ्य ; सत्कार पामर माणस (८)न० देशी के गामठी प्राङ्मुख वि० पूर्व तरफ मोवाळु (२) भाषा (९)पाछो प्रलय (प्रकृतिमां) -नी इच्छावाळं; -ना वलणवाळं प्राकृतिक वि० कुदरती; स्वाभाविक । प्राच् वि० जुओ ‘प्रांच्' प्राक्कर्मन् न० पूर्वजन्ममां करेलु कर्म (२) प्राचंडय न० प्रचंडता प्रारंभमां करवानुं कार्य प्राचीन वि० पूर्व तरफनु (२)पहेलांचें; प्राक्कृत न० पूर्वजन्ममां करेल कर्म ____ अगाउनुं (३) जूनू; पुराणुं (४) पुं० न० प्राक्तन वि० पहेलांनु; पूर्व- (२)प्राचीन पूर्व तरफनो प्रदेश (३)पूर्वजन्मनु (४)न० दैव; भाग्य प्राचीनहिस् पुं० इंद्र प्राक्तनकर्मन् न० पूर्वजन्ममां करेलुं कर्म प्राचीमूल न० पूर्व दिशा तरफनु क्षितिज प्राक्तनजन्मन् न० पूर्वजन्म प्राचीर न० वाड; कोट । प्राखर्य न० तीक्ष्णता; धार (२)तीव्रता; प्राचुर्य न० प्रचुरता; पुष्कळपणु प्रखरता(३) दुष्टता (४) उत्साह प्राचेतस पुं० मनु (२) दक्ष (३) वाल्मीकि प्रागनुराग पुं० पहेलांनो प्रेम प्राच्य वि० सामेनुं (२)पूर्व तरफनु (३) प्रागल्भ्य न० हिंमत ; विश्वास (२) गर्व ; आगळy (४)प्राचीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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