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नरंतर्य
नैरंतर्य न० सातत्य नैराश्य न० निराशा (२) इच्छा के
अपेक्षानो अभाव
नैर्ऋत पुं० राक्षस नैर्ऋती स्त्री० दुर्गा ( २ ) नैर्ऋत्य खूणो नैर्ऋत्य वि० दक्षिण-पश्चिम तरफनुं नैर्गुण्य न० गुणोनो अभाव (२) सारा गुणोनो अभाव
निर्गुणता
नर्घुण्य न० क्रूरता; घातकीपणुं नर्मल्य न० निर्मळता
नैवेद्य न० देवने धरेलो भोज्य पदार्थ नैश, नैशिक वि० रात्रीनुं; रात्री संबंधी (२) राते देखातुं
नैवध पुं० (निषध देशनो ) नळराजा नैषधीय वि० नळराजा संबंधी नैष्कर्म्य न० कर्मरहितता ( २ ) कर्म के कर्मनां फळोमांथी छुटकारो (३) आत्मज्ञान (४) मोक्ष
नैष्किक विo एक निष्कना मूल्यनुं (२) पुं० टंकशाळनो उपरी
नैष्ठिक वि० छेल्लु; छेवटनुं ( २ ) निश्चित ( ३ ) स्थिर; दृढ़ ( ४ ) उत्तम श्रेष्ठ; संपूर्ण (५) पूरेपूरुं माहितगार ( ६ ) मरण पर्यंत ब्रह्मचर्य धारण करनाएं (७) आवश्यक ; करवु ज पडे तेवुं (८) पुं० नैष्ठिक ब्रह्मचारी नष्ठुर्य न० निष्ठुरता; कठोरता नैसर्गिक वि० स्वाभाविक; कुदरती नो (न+उ) अ० नहि ; ना नो चेत् अ० नहि तो [ प्रेवुं ते नोदन न० काढी मूकवं ते (२) हांक के नोधा अ० नव प्रकारे
नौ स्त्री० नौका; वहाण नौका स्त्री० वहाण; होडी नौक्रम पुं० होडीओतो बनावेलो पुल नौचर पुं० खलासी नौव्यसन न० मधदरिये वहाण डूबबुं ते नौसाधन न० नौकानो काफलो
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म्यून
न्यक् अ० तिरस्कार - तुच्छकार बतावे ('कृ' के 'भू' धातु साथे ) न्यक्करण न०, न्यक्कार पुं० निंदा; तिरस्कार; अपमान
न्यग्भाव पुं० नीचापणुं ( २ ) तिरस्कार न्यग्भावित वि० तिरस्कृत (२) हलकुं के पार्छु पाडेलु न्यग्रोध पुं० वड [ सुंदर स्त्री न्यग्रोधपरिमंडला स्त्री० सुविकसित - न्यस् ४ १० नीचे मूकवु ; नीचे फेंकवुं (२) दूर करवं; तजवुं (३) उपर के अंदर मूकव (४) -ने सोंपवुं (५) बक्षवुं; अर्पवुं (६) रजू करवुं (दलील) न्यस्त ( ' न्यस्' नुं भू० कृ० ) नाखेल; फेंकेलं (२)अंदर के उपर मूकेलं ( ३ ) चीतरेलु (४) सोंपेलं (५) तजेलुं (६) न्यासविधिथी स्पर्शेलु (७) धारण करेलु न्यस्तचिह्न वि० चिह्न के लक्षण विना न्यस्तशस्त्र वि० जेणे आयुधो छोडी
दीघां छे तेवुं ( २ ) निःशस्त्र न्याय पुं० रीत; पद्धति; धारो; रिवाज ( २ ) योग्यता; वाजबीपणुं ( ३ ) कायदेसर - धर्मानुसार वर्तन (४) फरियाद ( ५ ) फेंसलो; चुकादी (६) दृष्टांत कहेवत ( ७ ) ( गौतमप्रवर्तित ) न्यायदर्शन
न्यायतः अ० योग्य रीते; विधि प्रमाणे न्याय्य वि० यथार्थ; वाजबी; कायदेसर ( २ ) हरहमेशनुं
न्यास पुं० मूकवं ते (२) चिह्न (३) थापण (४) चीतर के दोरखं ते (५) त्याग; संन्यास ( ६ ) मंत्र अने विधिसहित शरीरनां जुदां जुदां अंगोने देवताओने सोंपवा ते - एक धर्मविधि न्यासीकृ ८ उ० थापण तरीके मूकवुं (२) -ती संभाळमां मूकवं [ सूतेलुं न्युब्ज वि० नीचुं नमेलं; वळेलु (२) ऊंधुं न्यून वि० ओछु (२) हलकुं; ऊतरतु (३) खोडवाळं (४) विनानुं - रहित
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