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धर्मिष्ठ
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धारापात धर्मिष्ठ वि. अत्यंत धर्मनिष्ठ
घटकोमानो दरेक (रस, रक्त, मांस, धर्मीपुत्र पुं० नट
मेद, अस्थि, मज्जा अने शुक्र) (४) धर्मेद्र पुं० यमराज
वात-पित्त-कफ ए त्रणमांथी दरेक धर्मोत्तर वि० न्यायी; निष्पक्ष (२) (५) खनिज धातुओमांनी दरेक (६) सद्गुणी; धर्मपरायण .
क्रियापदनु मूळ रूप (७) इंद्रिय धर्मोपचायिन् वि० धर्मपरायण; मिष्ठ धातुमत् वि० धातुओथी समृद्ध धर्म्य वि. कायदेसर (२) धार्मिक; धातु पुं० उत्पादक; कर्ता (२)संरक्षक;
शास्त्रोक्त (३) अमुक गुणधर्मवाळू पालक (३) ब्रह्मा (४) विष्णु (५) वर्ष पुं० गर्व; उद्धताई; धृष्टता (२)
सप्तर्षि (६) विधाता; नसीब अधीरता; असहिष्णुता (३) बळात्कार
धात्री स्त्री० दाई; उपमाता (२)माता (४) ईजा; नुकसान
(३) पृथ्वी (४)आमळी (वृक्ष) घर्षण न० उद्धतता; अभिमान (२)
धात्रेयिका, धात्रयी स्त्री० धाव-मातानी अपमान; अनादर (३) हुमलो;
पुत्री -- बहेन (२) दाई; धाव बळात्कार (४)पराभव
धान न०, धानी स्त्री० ठेकाणुं; स्थान धर्षित वि० बळात्कार करायेलु (२)
(उदा० 'राजधानी') पराभव पमाडेलु (३)अनादर करा
धानुष्क पुं० बाणावळी येलं; अपमानित
धान्य न० अनाज
धामन् न० घर; निवासस्थान (२) घव पुं० हालवु-भ्रूज-कंप, ते (२) पुरुष (३)पति (४) मालिक (५)शठ;
किरण; प्रकाश (३) प्रताप; बळ ठग (६)एक जातनुं वृक्ष-धावडो
धामवत् वि० बळवान; शक्तिमान धवल वि० धोळु (२) सुंदर (३) निर्मळ
धार वि० धारण करनारुं (२)वहेतुं (४) पुं० श्वेत रंग (५) उत्तम सांढ
धारक, धारण वि० धारण करनालं
धारणा स्त्री० धारण करवं ते (२) धवलपक्ष पुं० शुक्लपक्ष (२) हंस
यादशक्ति (३) मनने एकाग्न राखq पवला स्त्री० श्वेत मुखवाळी स्त्री (२)
ते (४) श्वास धारण करी राखवो धोळी गाय (३) बगली
ते (५) धैर्य; दृढता (६) निश्चित पवलित वि० धोळं करेलु (२) धोळेलं
सिद्धांत (७)खातरी(८)समजण घवलिमन् पुं० धोळापणुं; धोळो रंग
धारयित्री स्त्री० पृथ्वी; धरित्री (२) फीकाश
धारा स्त्री० धार; प्रवाह (२)जोरथी घा ३ उ० मूक; स्थापq; उपर मूकवू वरसाद पडवो ते (३)पंक्ति; परंपरा (२) -तरफ एकाग्र करवू- वाळवू (मन- (४) घोडानी गति (५) धार (चप्पु विचार) (३)आपी देवू; बक्षिस करवू वगेरेनी)(६)पर्वतनी ढळती बाजु (४)पकडवू; लेवु (५) धारण करवू; (७) रथ- पैडु अथवा तेनो परिघ । समावq (६)पहेर (७) दर्शाववू;
धारागृह न० फुवाराओथी ऊडता पाणीदेखाव धारण करवो (८) टेकवq;
वाळं स्नानागृह ऊंचकवू (९) उत्पन्न करवं
धाराधर पुं० मेध धातु पुं० मूळ घटक; अगत्यनो अंश धाराधिरूढ वि० पराकाष्ठाए पहोंचेलं (२) मूळ तत्त्व (पृथ्वी-पाणी-तेज-वायु धारानिपात, घारापात पुं० मुशळधार -आकाश) (३)शरीरमांना अगत्यना वरसाद (२)पाणीनी धार
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