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________________ विश्चक्षुस् दिव्यचक्षुस् वि० दिव्यदृष्टिवाळ दिव्यधुनी स्त्री० भागीरथी दिव्यस्त्री, दिव्यांगना स्त्री० अप्सरा दिशु ६ उ० बताववु; दर्शाववुं ( २ ) -ने हिस्से नाखवु; आपकुं; सोपवु (३) आज्ञा करवी; हुकम करवो (४) संमति आपवी; अनुज्ञा आपवी - प्रेरक० दर्शाववु; कहेवुं; जणाववुं (२) हुकम करवो (३) अर्पव दिश स्त्री० दिशा ( २ ) सूचन ( ३ ) पद्धति ( ४ ) स्थळ प्रदेश ; दिशा स्त्री० पूर्व वगेरे चार दिशाओमांनी दरेक (२) बाजु; तरफ दिष्ट ( 'दिश्' नुं भू० कृ० ) वि० बतावायेलं; निर्देशायेलं; सूचवायेलु; वर्णवायेलुं ( २ ) विधाताए नियत करेलु (३) निश्चित थयेलु (४) न० दैव; नसीब ( ५ ) हुकम ; आज्ञा दिष्टभाव, दिष्टांत पुं० मरण; मृत्यु दिष्टि स्त्री० निर्देश; आज्ञा (२) सद्भाग्य ( ३ ) नसीब दिष्टधा अ० सारे नसीबे दिष्टा वृ ' - ना बदल अभिनंदन घटे छे' ( - अर्थमां ) दिह २ उ० लेपवु ; खरडवुं दी ४ आ० क्षीण थवु; नाश पामवु दीक्ष १ आ० दीक्षा लेवी के आपवी (२) समर्पित थ - प्रेरक ० प्रेवु; फरज पाडवी दीक्षा स्त्री० यज्ञ व्रत नियम माटे विधिपूर्वक संकल्प करवो ते (गुरु पासे) (२) यज्ञोपवीत धारण करवुं ते (३) कोई कार्य समर्पित थवुं ते दीक्षाश्रम पुं० वानप्रस्थाश्रम दीक्षांत पुं० यज्ञने अंते दोषनिवारणार्थे रातो वधारानो यज्ञ ( २ ) अवभृथस्नान दीक्षित वि० दीक्षा लीघेलुं (२) यज्ञ माटे संकल्प कर्यो होय तेवुं (३) अभिषेक करेलु Jain Education International २१० वीर्घदृष्टि afafत स्त्री० प्रकाशनुं किरण ( २ ) तेज; प्रकाश ( ३ ) पराक्रम; बळ दीधितिमत् पुं० सूर्य दीन वि० निर्धन; गरीब (२) दुःखी (३) कंगाळ; क्षुद्र (४) भयभीत (५) पुं० गरीब माणस; दुःखी माणस (६) न० दु:ख, कंगालियत दीनार पुं० चलणी सिक्को (२) सोनामहोर ( ३ ) सोनानुं घरेणुं दीपू ४ आ० दीपवु; प्रकाशवुं ( २ ) सळावं; प्रज्वलित थनुं ( ३ ) प्रदीप्त थवं; वधवुं ( ४ ) गुस्से थवुं ( ५ ) प्रसिद्ध थ दीप पुं० दीवो दीपक वि० प्रकाशक (२) उत्तेजक; वधारनाएं (३) जठराग्निने प्रदीप्त करना (४) पुं० दीवो दीपन वि० दीपक; प्रकाशक; उत्तेजक (२) न० प्रदीप्त करवुं ते; सळगावबुं ते (३) उत्तेजक औषधि दीपपात्र, दीपभाजन न० कोडियं दीपमाला स्त्री० दीपमाळ दीपर्वात स्त्री० दिवेट दीपवृक्ष पुं० दीवी (२) दीपमाळ दीपशिखा स्त्री० दीवानी ज्योत दीपालि ( - ली), दीपावली स्त्री० दीवानी पंक्ति - हार (२) दिवाळी दीपांकुर पुं० दीवानी ज्योत दीपिका स्त्री० दीवी; दीवो दीपिन् वि० प्रदीप्त - उद्दीपित करनाएं (२) प्रकाशित; तेजस्वी दीप्त ( 'दीप' नुं भू० कृ० ) वि० सळ गेलं; प्रदीप्त ( २ ) प्रकाशित; तेजस्वी दीप्ति स्त्री० तेज; प्रकाश ( २ ) सौंदर्य; अतिशय कांति दीप्र वि० तेजस्वी ; प्रकाशित दीर्घ वि० लांबु (२) विस्तृत ( ३ ) ऊंडु दीर्घदर्शन, दीर्घदशन्, दीर्घदृष्टि वि० दूरदर्शी अगमचेतीवाळु डाहघुं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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