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जघन्य
१७६ छेद पुं० कापq - छेदq ते (२) भाग; चीरवू ते; भाग पाडवा ते (५) भाग; हिस्सो (३) खंड ; टुकडो (४)दूर करवू टुकडो; खंड (६) दूर करवू ते ; नाश ते; अंत ; नाश (५)न होवू ते - न रहे, करवो ते
[करनारुं इ० छेदिन वि० कापनारु:तोडनाएं:चीरनारुं छेदक वि० कापनारुं; भाग -- खंड छेद्य वि० छेदवा - कापवा योग्य ; कापी छेदन वि० कापनाएं; छेदनाएं (२) - छेदी शकाय तेवं नाश करनारं (३) टुकडा करनारं; छो ४ प० [छचति कापवू; कापी नाखवू फाडनारु (४)न० काप - छेदq ते ; छोटिका स्त्री० चपटी; चपटी वगाडवी ते
ज वि० (समासने छेडे) जन्मेलं; उत्पन्न
थयेलु;-थी पेदा थयेलं;-मांथी बनेलं जश् २ प० [जक्षिति] खावू ; खाई जर्बु जगच्चक्षुस् पुं० सूर्य जगच्चित्र न० जगतनी अद्भुत वस्तु (२)
जगतरूपी आश्चर्य [जगदंबा - दुर्गा जगज्जननी स्त्री० जगतनी माताजगत् वि० गतिमान; जंगम (२) न०
दुनिया; विश्व (३)शरीर ; देह जगती स्त्री० पृथ्वी (२) लोको (३) विश्व (४) एक छंद जगती न० द्वि० व० स्वर्ग अने पाताळ जगतीधर पुं० पर्वत जगतीपति पुं० राजा जगतीरुह, पुं० वृक्ष जगतीश्वर पुं० राजा जगत्कर्तृ पुं० जगत्कर्ता परमेश्वर (२) ब्रह्मा
[अने पाताळ जगत्त्रय न० स्वर्ग, मृत्युलोक (पृथ्वी) जगत्पति पुं० जुओ 'जगदीश' जगत्यधीश्वर पुं० राजा जगत्सेतु पुं० परमात्मा जगत्स्रष्ट्र पुं० जगतनो सरजनहार (२) ब्रह्मा (३) शिव जगदंबा, जगदंबिका स्त्री० दुर्गा जगदात्मन् पुं० परमात्मा ।
जगदाधार पुं० काळ (२) वायु जगदायु पुं० पवन जगदीप पुं० सूर्य जगदीश पुं० जगतनो स्वामी (विष्णु; शिव) शिव (४)नारद (५)ब्रह्मा जगद्गुरु पुं० परमात्मा (२) विष्णु (३) जगद्योनि पुं० परमात्मा (२) विष्णु; शिव ; ब्रह्मा (३) स्त्री० पृथ्वी जगद्वंद्य पुं० श्रीकृष्ण जगन्नाथ पु० जगतनो नाथ - स्वामी (२) विष्णु ; दत्तात्रेय (३) जगन्नाथनी मूर्ति (पुरीमा आवेली) (४) (द्वि०व०) विष्णु अने शिव [-ईश्बर; विष्णु जगनिवास पुं० जगतमा व्यापी रहेनार जगन्मात स्त्री० दुर्गा (२) लक्ष्मी जग्ध ('अद्' तथा 'ज'न भू० कृ०) वि० खाधल जग्धि स्त्री० भोजन; भक्षण जघन न० केड; कमर; कूलो (२)
लश्करनो पाछलो - अनामत भाग जघनगौरव न० (मोटा) कुलानो भार जघनचपला स्त्री० व्यभिचारिणी (२)
नृत्यमां चपळ स्त्री जघन्य वि० हलकुं; निंद्य (२) अंतिम छेल्लु (३) हलका कुळ के पदवाळू (४) पुं० शूद्र; अंत्यज
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