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छेतु
१७५ छल पुं०, न० छळ ; कपट ; (२)बहानुं; छायातर, छायाद्रुम पुं० गाढ छायावाळू मिष (३) शठता; लुच्चाई
झाड (२) 'नमेरु' वृक्ष छलन न०, छलना स्त्री० छळकपट छायाद्वितीय वि० एकल (पोतानी छाया छलिक न० गीत-अभिनय साथेनुं गीत ज साथमा छे एवं) छलित वि० छेतरायेलं; ठगायेलं छायापथ पुंआकाशगंगा छल्लि (-ल्ली) स्त्री० छाब
छांदस वि. वैदिक (२)वेद भगेलं (३) छवि स्त्री० चामडीनो वर्ण; रंग (२) छंद संबंधी (४)पुं० वेद भणेलो ब्राह्मण शोभा; कांति
(५) वेद छंद् १० उ० खुश - संतुष्ट करवू (२) छिक्का स्त्री० छींक समजाव - पटावQ (३) ढांकवू (४) छिद् ७ उ० कापवूछेदQ; फाडवू; चीर -मां राचवं स्वच्छंद; मनस्वीपणुं (२) खलेल करवी; हरकत करवी छंद पुं० इच्छा; स्वेच्छा; रुचि (२) (निद्रादिमां) (३) दूर करवू छंदस् न० इच्छा; स्वेच्छा; रुचि (२) छिन् वि० (समासने छेडे) कापनाएं स्वच्छंद; मनस्वीपणुं (३.) वेद (४) छेदनाएं; नाश करना वृत्त ; छंद (५)एक वेदांग; छंदशास्त्र छिदा स्त्री० कापवू ते; छेदन छंदानुवृत्त न०, छंदानुवृत्ति स्त्री० छिदुर वि० जलदी भागे तेवू; बरड (२) बीजाना छंदने अनुसरयूँ - अनुकूळ कापतुं; छेदतुं; भाग पाडतुं (३)छिन्न; थर्बु ते संतुष्ट थयेलं-करेलं भागेल; तूटेलु [(३) दोष;भूल;खामी छंदित ('छंद्'- भू० कृ०) वि० खुश; छिद्र वि० छिद्रवाळ (२)न० काणुं छेद छाग पुं० बकरो
छिद्रदर्शन,छिद्रदशिन वि० छिद्र जोनाएं; छागमुख पुं० कार्तिकेय
दोषद्रष्टा छागरथ पुं० अग्निदेव
छिद्रानुजीविन,छिद्रान्वेषिन् वि० बीजाछागल पुं० बकरो
नां छिद्र शोधनाएं; निंदाखोर छागवाहन पुं० जुओ 'छागरथ'
छिद्रित वि० छिद्रवाळू; काणावार्छ छात ('छो'नुं भू० कृ०) वि० छिन्न छिन्न ('छिद्नु भू० कृ०) वि० कापेलुं; (२) दुर्बळ ; कृश
__ छेदेलं; भांगेल तोडेलं दूर करेलू छात्र पुं० शिष्य; विद्यार्थी
छिन्नभिन्न वि० कापीने जुएं करायेलं छात्रव्यंसक वि० जडसु शिष्य छिन्नमूल वि० मूळमाथी कापी नाखेलं छाद पुं० छापरुं; छाज
छिन्नसंशय वि० संशय नाश पामेलं छादन न० ढांकण (२) न० छुपावq ते छुर् १५० कापq (२) कोतरवु (३) छादित ('छद्'- भू० कृ०) वि० ढांकेलं ६५० खरडवू; लेप करवो (२) छुपावेलु
-प्रेरक० खरडवू छाया स्त्री० छायो; छांयडो (तत्पुरुष छुरण न० लेपq ते; खरडवं ते समासने अंते 'गाढ छाया' अर्थमां छुरित न० काप; कापो 'छायम्' थाय छे) (२) प्रतिबिंब (३) छुरी, छूरिका, छूरी स्त्री० छरी; चप्पु कांति; तेज (४) सौंदर्य ; शोभा (५) छक वि० पाळेलु (पशु) (२) शहेरनी वर्ण; रंग (६) सादृश्य (७) भ्रमः चतुराई के दुर्गुणवाळं भास (८)प्राकृतनुं संस्कृत रूपांतर छेतृ वि० कापनाएं (२) दूर करनारं
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