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चक्रवाल
(धुवडनी)चांच (४)धरी जेमा रहे छे ते पैडानो भाग गोर वि० भयंकर; भयानक (२) उग्र; कराल गोरदर्शन वि० भयंकर आकृतिवाळु (२)
पुं० घुवड गोष पुं० ध्वनि; अवाज (२) गरबड (३) मेघगर्जना (४) जाहेरनामुं; ढंढेरो (५) अफवा (६) भरवाडनो वाडो; गोवाळोनो पडाव (७) मृदु व्यंजननो उच्चार (व्या०)(८)पुं० कांसु पोषण न०, घोषणा स्त्री० ढंढेरो
घोषवती स्त्री० वीणा घोषवृद्ध पुं० भरवाडोनो मुखियो घ्न वि० (समासने अंते)नाश करनारं; मारी नाखनारुं (उदा० 'वातघ्न') घ्रा ३ प० [जिघ्रति ] सूंघq; सूंघीने पारखवु (२) चुंबन कर घ्राण ('ब्रा' मुं० भू० कृ०) वि० सूंघेलं
(२)न० सूंघते (३)वास (४)नाक घ्राणेंद्रिय न० नाक घ्रात ('ब्रा' नुं भू० कृ०) वि० सूंघेलं घ्रय वि० संघवा योग्य (२) न० सूंघवानो पदार्थ (३) गंध; वास
[ कंठस्थानीय अनुनासिक वर्ण; आ व्यंजनथी शरू थतो शब्द नथी।].
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च अ० संयोग, समुच्चय, समाहार, निश्चय, शरत, पक्षांतर, अवधारण, के पादपूरण तरीके वपरातो अव्यय (२) अने, तथा, पण, परंतु, वळी, सिवाय, खरेखर, नक्की -ए अर्थ बतावे चकास् २ प० प्रकाशQ (२) सुखी थq;
समृद्ध थर्बु कित वि० भयथी कंपतुं (२) बिवरावेलु (३) भयभीत (४) न० कंपवं ते; भ्रूजवू ते (५) भय ; भीति कितचकितम् अ० खूब बीनीने दकितम् अ० भयभीतपणे कोर पुं० चकोर पक्षी कोरदश, चकोरनेत्र, चकोराक्ष वि० (चकोर जेवी) सुंदर आंखवाळं बक पुं० चक्रवाक पक्षी (२) समुदाय कन० गाडी, पैडु (२) एक शस्त्र (उदा० सुदर्शन चक्र) (३) कुंभारनो
चाक (४)घाणी (५) कुंडाळु (६) समूह (७) राज्य; सत्ता; साम्राज्य (८) व्यूहरचना (९) सैन्य (१०) काळy चक्र (११) क्षितिज (१२) पाणीन वमळ (१३) प्रांत; जिल्लो; तालुको चक्रगति स्त्री० चक्राकारे फरवं ते चक्रचक्र न० चक्रवाक पक्षी, टोळं चक्रधर पुं० विष्णु (२) सम्राट चक्रनेमि स्त्री० चक्रनो परिघ-घेरावो चक्रपाणि पुं० विष्णु चक्रभ्रमि स्त्री० सराण चक्रवतिन् पुं० सार्वभौम राजा (२)
श्रेष्ठ; उत्तम (पोताना वर्गमा) चक्रवाक पुं० चको पक्षी चक्रवात पुं० वटोळियो
चक्रवाल पुं०, न० वर्तुल (२) समूह; ___समुदाय (३) क्षितिज (४)पुं० चक्रवाक
(५) लोकालोक पर्वत
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