________________
सरकुटी
१४९ (४)तीखं(५) उष्ण (६)निर्दय (७) पूछडी सतत हाल्या करे छे) व्यथाकारक (शब्द)(८)पुं० गधेडो खंड १ प० भांगq; कापq; टुकडा खरफुटी स्त्री० हजामनी दुकान ; करवा (२) पराजय करवो; हराहजामनी थेली
व (३) दूर करवू; माबूद करवू खरम् अ० तीव्रपणे; तीक्ष्णपणे खंड वि० भांगेलु (२) तूटक (सतत खरांशु पुं० सूर्य
नहि तेवू) (३) पुं०, न० भाग ; टुकडो खर्जन न० वलूर ते
(४) पुस्तकनो विभाग; प्रकरण (५) ख— स्त्री० वलर; खुजली
समूह (६) पृथ्वीनो विभाग। खजूर पुं० खजूरीनुं वृक्ष (२)न० खजूर खंडक पुं०, न० टुकडो; भाग खर्पर पुं० खोपरी (२)भिक्षापात्र (३) खंडन वि० भांगनाएं; तोडनाएं; नाश ठीकलं; कलाडु
करनाहं (२) न० भांगवू - तोडq ते खर्म न० रेशम (२) पुरुषातन; मरदाई (३) ईजा करवी-करडते (४) खर्व वि० ठीगणुं ; वामj (२) पुं०, न० दलीलने तोडवी - जवाब आपवो ते खर्वनी संख्या (१०,००,००,००,०००) (५) निराश करते। (३) कुबेरनो एक निधि
खंडपरशु, खंडपशु पुं० शंकर (२) खवंट पुं०, न० पर्वतनी तळेटी आगळ
परशुराम
टुकडा आवेलं शहेर (२) बसो गामडां वच्चे- खंग्शस् अ० ककडे ककडे (२) टुकडे मुख्य शहेर
खंडशः कृ८ उ० टुकडा करवा खवित वि० वामणुं बनेलु
खंडित ('खंड्' नुं भू० कृ०) वि० भांगेलं; खल पुं० शठ; दुर्जन (२) पुं०, न० तूटेलु; नाश पामेलुं (२) तोडेलु
अनाजनुं खळु - खळी (३) तेलनो (दलील); जवाब आपेलु (३)निराश नीचे जामतो कचरो (४) खरल थयेलं; छेतरायेलं खलक पुं० घडो (२) लोटो
खंडितवृत्त वि० भ्रष्टचरित्र; पतित खलति वि० टालवाळु; टालियु खंडिता स्त्री० बेवफा प्रेमी के पतिथी खलि(-ली) स्त्री० तेलनो कचरो (२) छतरायेली अने तेथी रूठेली स्त्री
खोळ तिरस्कार; अपमान । खंडीकृ ८ उ० टुकडा करवा खलोकार पुं०, खलीकृति स्त्री० भत्सर्ना ; खात ('खन्' न भू० कृ०) वि० खोदेखें; खलीन पुं०, न० लगामनो मोढामा खोदी काढेलु (२) न० खाडो; खाई रहेतो भाग - चोकडं
खाद् १५० खावू खलु अ० खरेखर ; नक्की (२) वाक्या- खादक वि० खानाएं (२) पुं० देवादार लंकार तरीके पण वपराय छ
खादन न० खोराक (२) खावू ते खल्ल पुं० पथ्थरनो खल (२) चामड्; खादिर वि० खेरना लाकडान खाल (३) मशक ; पखाल .
खाद्य वि० खावा लायक; खावानुं खल्वाट वि० बोडा माथावाळं ; टालियं खानि स्त्री० खाण [एक माप खष्प पं० क्रोध : गुस्सो (२) निर्दयता खार पुं०, खारि(-री) स्त्री० अनाजनुं खस पुं० चामडीनो एक रोग
खांडव न० कुरुक्षेत्रनुं एक बन (तेने खंज् १५० लंगडावं
अग्निए बाळी नाख्यं हतुं) खंज वि० लूलु; लंगडु
खिद् ४,७ आ० दुःखी थर्बु (२) खिन्न खंजन, खंजरीट पुं० एक पक्षी (जेनी थ; थाकी जवू सं.ग.-१०
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org