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क्षेमशूर
१४८ न. सुख-शांति (४) कल्याण; श्रेय आणि स्त्री० जओ क्षोणि' (५) सुरक्षितता; सहीसलामती
औणिधर, क्षौणिभृत् पुं० पर्वत क्षेपशूर वि० सुरक्षित स्थळे पराक्रमी; क्षौणी स्त्री० जुओ'शोणि' घरमां शूरु
क्षौद्र न० क्षुद्रता; अल्पता (२) मध म्य वि. मुखशांतिवाळु (२)आबाद (३) पाणी (४) धूळनी रजकण मोड पुं० हाथीने बांधवानो थांभलो. क्षौम वि० शणनुं बनेलु (२) पुं०, न० शोणि स्त्री० पृथ्वी
शण, वस्त्र (३) वंडो कोट (४) मेडी शोणिपति, क्षोणिभुज पुं० राजा (५) न० रेशमी वस्त्र (६) अळसी भोणी स्त्री० पृथ्वी
क्षीर न० हजामत भोद पुं० खांडवं ते (२) जेनी उपर
सौरिक पुं० वाळंद; हजाम वाटयामां आवे छे ते पथ्थर (३) भमा स्त्री० पृथ्वी सूक्ष्मांश; रजकण ....
क्षमाप, क्षमापति, क्षमाभुज ० राजा क्षोदीयस् वि० घणुं नानु (२) तुच्छ श्माभृत् पुं० राजा (२) पर्वत क्षोद्य वि० पग तळे कवरी नाखवा श्देड पुं० अवाज ; गरबड (२) विष ; झेर
योग्य; उपर पग मूकत्रा योग्य । स्वेडित पुं०, न० सिहनी • जना (२) क्षोभ पुं० कंपवं ते; ऊछळवु ते (२) युद्धनी गर्जना खळभळाट (३) गभराट ; व्यग्रता (४) श्वेल १५० कूद, उश्केरणी खळभळाट करनारं ते वेलन न०, श्वेला, श्वेलि, वेलिका क्षोभण न० उश्केरणी करनारं ते; स्त्री० खेल; रमत (२) सश्करी
सन० आकाश (२) इंद्रिय (३) शरीरनुं छिद्र (मों, कान, आंख, नाक बगेरे) (४)बिंदु; अनुस्वार; शून्य । अग पुं० पक्षी (२) सूर्य (३) वायु (४) ग्रह खगपति पुं० गरुड
!' खगाधिप, सगेस, खगेंद्र पुं० गरुड खच् १५० देखावं; बहार नीकळवं (२) १०प० बांधवू; जकड, (३) जडवू (मणि वगेरेने) पुं० पक्षी खचर वि० आकाशमां गति करतुं (२) . खचित ('खच्'- भू००)वि० बांधेलु;
जकडेलु (२) सज्जड बेसाडेलु; जडेलू खज, खजक पुं०, खजा स्त्री० रवैयो; मंथनदंड
.. . खट्वा स्त्री० खाटलो खदवारूढ वि० आळसु (खाटले. सूई
रहेतुं) (२)नीच ; अधम (३) मूर्ख खट्वांगपुं०खाटलाना पायाना आकारनी
-माथे खोपरीवाळी गदा (शिव इ०नी) खड्ग पुं० तरवार ... खड्गपत्र न० तरवारनुं फळ खद्योत पुं० आगियो (२) सूर्य सन् १ उ० खोदg; खोदी काढy खनक पुं० खाणमां खोदनार - खाणियो
(२) चोर (३) उंदर खनन न० खोदवं ते खनि स्त्री० खाण खनित्र न० कोदाळी खनी स्त्री० खाण . वस्तु खपुष्प न० आकाशकुसुम - असंभवित खर वि० कठण; कर्कश ; नक्कर (२) तीक्ष्ण ; तीव्र (३)अणीदार; धारवाळू
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