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शोदर १४०
केशहस्त कृशोदर वि० कमर के पेटनो भाग क्लप्ति स्त्री० सिद्धि (२) युक्ति (३) पातळो होय तेवू
रचना; गोठवण कृष ६ उ० खेडवू (२) १५० खेंचवू; केकर वि० बाडु खेंची जq; खेंची लq (३) दोर, केका स्त्री० मोरनो अवाज (४) वश करवं; जीतवं
केकावल, केकिन पुं० मोर कृषक पुं० खेडूत
केतक पुं० केतकीनो छोड; केवडो (२) कृषि स्त्री० खेतीवाडी; खेती
ध्वज (३)न० केतकी, फूल कृष्ट ('कृष्'- भू० कृ०) वि० खेंचेलं
केतकी स्त्री० केतकीनो छोड; तेनु फूल (२) आकर्षित (३) खेडेलु
केतन न० घर; निवासस्थान (२) ध्वज कृष्ण वि. काळू (२) दुष्ट; खराब
(३) स्थान (४) संज्ञा (५) तेडु; (३) पुं० काळो रंग (४) कृष्णपक्ष निमंत्रण (६) अवश्य करवानुं कर्म (५) व्यासमुनि (६) श्रीकृष्ण केतु पुं० ध्वज; निशान (२)श्रेष्ठ व्यक्ति; कृष्णद्वैपायन पुं० व्यासमुनि
आगेवान (समासने छेडे) (३) एक कृष्णपक्ष पुं० वद पक्ष; अंधारियुं ग्रह; धूमकेतु (४)दीप्ति ; प्रकाश कृष्णवर्त्मन् पुं० अग्नि
केतुष्टि स्त्री० धजानो दंड कृष्णसार पुं० काळो मृग
केदार पुं० क्यारानी जमीन; क्यारो कृष्णसारथि पुं० अर्जुन
केयूर पुं०, न० हाथना कोणी उपरना कृष्णा स्त्री० द्रौपदी (२) यमुना नदी भागमा पहेरातुं वरेणुं; कहूं कुंतन न० कापवू ते
केलि पुं०, स्त्री०, केली स्त्री० क्रीडा; के ६५० [किरति] वेरवू ; विखेरवु (२)
रमत (२) रतिक्रीडा पाथरवु; छाई देवु (३)९ उ० [कृणाति,
केवल वि० विशिष्ट ; असाधारण (२) कृणीते] ईजा करवी; वध करवो
एकल; मात्र (३) संपूर्ण ; समग्र (४) कृत् १० उ० [कीर्तयति-ते] उल्लेख
अनाच्छादित ; खुल्लु (५) शुद्ध; साहूँ करवो; बोलवू (२)कहे; वर्णववं;
(६)निष्णात जाहेर करवू(३)प्रशंसा करवी
केवलज्ञान न० भ्रांतिशून्य, विशुद्ध ज्ञान क्लुप् १ आ० [कल्पते ] करवा माटे केवलम् अ० मात्र; फक्त (२) संपूर्ण
शक्तिमान के लायक होवू (२) थq; रीते; पूरेपूरुं बनवू (३) तैयार - सज्ज थq के होवू केश पुं० वाळ (२)माथाना वाळ (४) उपजावq
केशकर्मन् न० वाळ ओळवा ते -प्रेरक० तैयार करवू (२) नक्की केशकलाप पुं० वाळनो गुच्छो के समूह करवू; इरादो राखवो (३) सजवू केशपाश पुं० केशनो जथो (४)पूरुं पाडवू (५) मानवं; धार, केशर पुं०, न० जुओ 'केसर' (६)कापवू; भाग पाडवा (७)अमलमां केशरचना स्त्री० वाळ जुदी जुदी रीते मूकवू; निपजावq; बनाववं (८) ओळवा ते रचवू (ग्रंथ) (९) स्वीकार
केशरिन् पुं० जुओ केसरिन्' क्लुप्त ('क्लुप्'- भू००) वि० नक्की; केशव पुं० विष्णु (सुंदर केशवाळा) निश्चित; तैयार; सज्ज (२) कापेलुं केशव्यपरोपण न० केश खेंचवा ते (३) उपजावेलु (४)मानेलं; कल्पेलं केशहस्त पुं० जुओ केशपाश'
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