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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
ऋजुगति
(द्र ऋजुआयता श्रेणि)
ऋजुड
वह साधु, जो स्वभाव से ऋजु और मति से जड़ होता है। उसे धर्म का तत्त्व समझाना कठिन होता है। 'उज्जुजड्डे' त्ति ऋजवश्च प्राञ्जलतया जडाश्च तत एव दुष्प्रतिपाद्यतया ऋजुजडाः । ( उ २३.२६ शावृ प ५०२) (द्र वक्रजड)
(प्रज्ञा वृ प ३१३)
ऋजुदर्शी
जिसकी दृष्टि मोक्षमार्ग पर टिकी हुई है। उज्जू मोक्खमग्गो, तं पसंतीति उज्जुदंसिणो ।
ऋजुप्रज्ञ
वह साधु, स्वभाव से ऋजु और प्रज्ञावान होता है, उसे धर्म का तत्त्व समझाना सरल होता है।
जो
(द ३.११ अचू पृ ६३ )
'ऋजुप्रज्ञा: ' ऋजवश्च ते प्रकर्षेण जानन्तीति प्रज्ञाश्च सुखेनैव विवक्षितमर्थं ग्राहयितुं शक्यन्त इति ऋजुप्रज्ञाः । ( उ २३.२६ शावृ प ५०२)
(द्र ऋजुजड)
ऋजुमति मनः पर्यव
मनः पर्यवज्ञान का एक प्रकार । मन के सामान्य अथवा एकरूप पर्यायों को जानने वाला मनः पर्यवज्ञान |
रिजु सामण्णं तम्मत्तगाहिणी रिजुमई मणोनाणं ।
ऋतुबद्धकाल
(द्र द्वितीय समवसरण)
ऋद्धि
१. ऐश्वर्य, सम्पदा । २. योगविभूतिजन्य शक्ति ।
(द्र लब्धि)
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ऋजुसूत्र नय
वर्तमान पर्याय को ग्रहण करने वाला दृष्टिकोण | वर्तमानपर्यायग्राही ऋजुसूत्रः ।
( विभा ७८४)
( भिक्षु ५.१० )
(भग ३.४ )
ऋद्धि गौरव
गौरव का एक प्रकार । वह अशुभभाव, जिसके द्वारा ऋद्धि की प्राप्ति का अभिमान, अप्राप्तऋद्धि की प्रार्थना की जाती है।
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ऋद्धिप्राप्त्यभिमानाप्राप्तप्रार्थनाद्वारेणात्मनोऽशुभ भाव: ऋद्धयादिषु गौरवमादरः । (स्था ३.५०५ वृ प १६३) ऋद्धिप्राप्त
१. लब्धि अथवा योगजविभूति से सम्पन्न । २. विशुद्ध भावधारा वाला।
यत्र तु कीलिका नास्ति तद् ऋषभनाराचम् ।
ऋषभनाराच संहनन
संहनन का एक प्रकार, जिसमें हड्डियों की आंटी और वेष्टन होते हैं, कील नहीं होती।
( प्रज्ञा १.९० )
(स्था ६.३० वृ प ३३९)
(द्रवज्रऋषभनाराच संहनन)
ऋषिभाषित
कालिक श्रुत का एक प्रकार, जिसमें पैंतालीस अर्हतों के प्रवचन संकलित हैं । (नन्दी ७८)
ए
एक अवग्रहमति
योषिदादिस्पर्शानां यं किञ्चिदेकं स्पर्शमवगृह्णाति, अन्यान् सतोऽपि क्षयोपशमापकर्षात् न गृह्णाति तदाल्पम् - एकमवगृह्णातीत्युच्यते । (तभा १.१६ वृ)
(द्र अल्प अवग्रहमति )
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एकजीवक
वह वनस्पति, जिसके एक शरीर में एक जीव होता है । पत्राणि एकजीवकानि - एकजीवाधिष्ठितानि ।
(प्रज्ञावृ प ३३) (प्रज्ञा १.३५ )
पत्ता पत्तेयजीविया ।
एकत: खा श्रेणि
आकाश श्रेणि का एक प्रकार । वह श्रेणि जिसमें स्थावर जीव (अथवा पुद्गल) त्रसनाडी के किसी भी एक पार्श्व से उसमें प्रवेश कर मुड़कर उसके अन्दर नीचे (या ऊपर) की
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