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नाम ।
दर्शनसमनन्तरमेव च जनोऽभ्युत्थानादि समाचरति तदादेय(प्रज्ञा २३.३८ वृ प ४७४, ४७५) २. जिसके उदय से शरीर प्रभायुक्त होता है । प्रभोपेतशरीरताकरणम् आदेयनाम । (तवा ८.११.३६)
आदेश
श्रुत के वे अंश, जो आगम में निबद्ध नहीं हैं, किन्तु जो आचार्य-परम्परा अथवा अनुश्रुति के आधार पर चलते हैं । वे आदेश पांच सौ हैं।
....अबद्धं आएसाणं हवंति पंचसया । (आवनि १०२३) आधाकर्म
उद्गम दोष का एक प्रकार । साधु के निमित्त पचन-पाचन आदि का संकल्प कर आहार आदि निष्पन्न करना । 'आधाय' विकल्प्य यतिं मनसि कृत्वा सचित्तस्याचित्तीकरणमचित्तस्य वा पाको निरुक्तादाधाकर्म ।
( योशा १.३८ वृ पृ १३३)
आधिकरणिकी क्रिया
१. हिंसात्मक अनुष्ठान और शस्त्र के संयोजन अथवा निर्माण से होने वाली क्रिया ।
अधिक्रियते आत्मा नरकादिषु येन तदधिकरणम्-अनुष्ठानं बाह्यं वा वस्तु, इह च बाह्यं विवक्षितं खड्गादि, तत्र भवा आधिकरणिकी। (स्था २.५ वृप ३८ ) २. वह क्रिया, जिसमें हिंसा के साधनभूत उपकरणों का संग्रह किया जाता है। हिंसोपकरणादानादाधिकरणिकी क्रिया । ( तवा ६.५.८ )
आध्यात्मिक क्रिया
क्रियास्थान का आठवां प्रकार, वह क्रिया, जिसमें किसी बाह्य कारण के बिना अपने अंतरंग कारण से कषाय की प्रवृत्ति होती है। केइ पुरिसे सयमेव हीणे दीणे तस्स णं अज्झत्थिया असंसइया चत्तारि ठाणा एवमाहिज्जंति, तं जहा- कोहे माणे माया लोहे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जं ति आहिज्जइ । अमेरियट्टा अझथिए त्ति आहिए ॥
( सूत्र २. २.१० )
आन
श्वासयोग्य पुद्गलों को ग्रहण करने वाली ऊर्जा ।
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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
'आणमंति' त्ति आनन्ति ' अन प्राणने '। (द्र अपान)
आन-अपान
उच्छ्वास - नि:श्वास की आन्तरिक शक्ति ।
(भग १.१४ वृ)
(भग १.१४ भा)
आनत
नौवां स्वर्ग । कल्पोपपन्न वैमानिक देवों की नौवीं आवासभूमि । ( उ ३६.२११ )
(देखें चित्र पृ ३४६)
आनप्राण पर्याप्ति
(प्रसा १३१७)
(द्र आनापान पर्याप्ति)
आनयनप्रयोग
देशावकाशिक व्रत का एक अतिचार । संकल्पित देश से बाहर स्थित व्यक्ति से सचित्त आदि द्रव्य मंगाना । इह विशिष्टावधिके भूदेशाभिग्रहे परतः स्वयं गमनायोगाद्यदन्य: सचित्तादिद्रव्यानयने प्रयुज्यते सन्देशकप्रदानादिना 'त्वयेदमानेयम्' इत्यानयनप्रयोगः । (उपा १.४१ वृ पृ १९)
आनापान पर्याप्ति
छह पर्याप्तियों में चतुर्थ पर्याप्ति । श्वासोच्छ्वास के योग्य पुद्गलों का ग्रहण, परिणमन और उत्सर्जन करने वाली पौद्गलिक शक्ति की संरचना ।
पोग्गलजोग्गाणापाणूण गहण - णिसिरणसत्ती आणापाणुपज्जत्ती । (नन्दीचू पृ २२)
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आनापान वर्गणा
वर्गणा का एक प्रकार । श्वासोच्छ्वास प्रायोग्य पुद्गल - - समूह | (विभा ६३६ वृ)
आनुगामिक अवधिज्ञान
वह अवधिज्ञान, जो अवधिज्ञानी का अनुगमन करता है, उसके साथ-साथ रहता है ।
गच्छन्तमनुगच्छति तदवधिज्ञानमानुगामिकम्।
( नन्दी ९ मवृ प ८१ )
आनुपूर्वी
द्रव्यों की क्रम-व्यवस्था । पदार्थ-संरचना और उसके क्रम
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