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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
अंगबाह्यमनेकविधम् । तद्यथा - सामायिकं ।
(तभा १.२० ) समभावो यत्राध्ययने वर्ण्यते तत्तेन वर्ण्यमानेनार्थेन निर्दिशति- सामायिकमिति । (तभा १.२० वृ पृ९० ) ५. आचाराङ्ग सूत्र का पर्यायवाची नाम । यह समता का प्रतिपादक है इसलिए इसका नाम सामायिक है । आचाराङ्गं समताया: प्रतिपादकं सूत्रं वर्तते, अत एवास्य 'सामायिकम्' इति नाम विद्यते । (आभा पृ १६० )
सामायिक कल्पस्थिति
सामायिक चारित्र वाले साधुओं की कल्प मर्यादा । सामायिकं - सर्व सावद्ययोगविरतिरूपं तत्प्रधाना ये संयताः - साधवस्तेषां कल्पस्थितिः । (बृभा ६३४९ वृ)
सामायिक चारित्र
यावज्जीवन सर्व सावद्ययोग की विरति ।
'सव्वं मे अकरणिज्जं पावकम्मं' ति कट्टु सामाइयं चरितं पडिवज्जइ । (आचूला १५.३२) सावज्जजोगविरइत्ति तत्थ सामाइयं... | (विभा १२६३) (द्र सामायिक)
सामायिक प्रतिमा
उपासकप्रतिमा का तीसरा प्रकार | प्रतिमाधारी इस प्रतिमा में सावद्य प्रवृत्ति के परिवर्जन और निरवद्य प्रवृत्ति के आसेवन के प्रति जागरूक रहता है। प्रतिदिन दोनों सन्ध्याओं में (प्रात: और सायं) सामायिक की साधना करता है। सामायिकं - सावद्ययोगपरिवर्जननिरवद्ययोगासेवनस्वभावं कृतं विहितं देशतो येन स सामायिककृतः ''अप्रतिपन्नपौषधस्य दर्शनव्रतोपेतस्य प्रतिदिनमुभयसन्ध्यं सामायिककरणं तृतीया प्रतिमा । (प्रसा ९८० वृप २९४)
सामुच्छेदिकवाद प्रवचननिह्नव का चौथा प्रकार । यथार्थ का अपलाप करने वाला दृष्टिकोण, जिसके अनुसार प्रत्येक पदार्थ का सम्पूर्ण विनाश माना जाता है।
प्रसूत्यनन्तरं सामस्त्येन प्रकर्षेण च छेदः समुच्छेदो - विनाशः । समुच्छेदं ब्रुवत इति सामुच्छेदिकाः, क्षणक्षयिक भाव(स्था ७.१४० वृ प ३८९)
प्ररूपकाः ।
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सामुदानिक भिक्षा
सामूहिक घरों से प्राप्त होने वाली भिक्षा। माधुकरी वृत्ति से प्राप्त भिक्षा - मधुकर की भांति सर्वत्र थोड़ा-थोड़ा लेकर की जाने वाली भिक्षा ।
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सामुदानिकं समुदानं भिक्षासमूहस्तत्र भवं सामुदानिकम्, एतदुक्तं भवति - मधुकरवृत्त्याऽवाप्तं सर्वत्र स्तोकं स्तोकं गृहीतम् । (सूत्र २.१.६६ वृ प ३९ ) (द्र गोचरचर्या)
साम्भोगक
(द्र साम्भोजिक)
साम्भोजिक
समसामाचारी वाला मुनि, जिसका भोजनमण्डली अथवा भोजन, स्वाध्याय आदि सभी मण्डलियों के साथ संबंध हो । साम्भोगिकं - एक भोजनमण्डलीकादिकम् ।
(स्था ९.१ वृप २८५) साम्भोगिकाः - परस्परमेकसामाचारीकाः ।
(बृभा १६१७ वृ)
(द्र सदृशकल्पी) सारूपिक
वह मुनि, जो श्रमण की आचार मर्यादा से मुक्त होकर तुम्बा लेकर भिक्षाटन करता है, सफेद वस्त्र रखता है, मुण्डित सिर वाला और रजोहरण-रहित होता है । वह भार्यासहित अथवा भार्यारहित दोनों प्रकार का होता है।
सारूपिको शिरोमुण्डो रजोहरणरहितो अलाबुपात्रेण भिक्षामटति सभार्योऽभार्यो वा । (व्यभा ३६७१ वृ) 'सारूपिकाः नाम 'श्वेतवाससः क्षुरमुण्डितशिरसो भिक्षाटनोपजीविनः । (बृभा १११४ वृ)
सास्वादन सम्यग्दृष्टि जीवस्थान जीवस्थान/गुणस्थान का दूसरा प्रकार। औपशमिक सम्यक्त्व से गिरते हुए प्राणी की मिथ्यात्व - प्राप्ति से पूर्ववर्ती छ:आवलिका प्रमाण अंतराल अवस्था ।
उवसमसंमत्ताओ चयओ मिच्छं अपावमाणस्स । सासायणसंमत्तं
तदंतरालंमि
छावलियं ॥
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(विभा ५३१)
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