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लुप्त वा अप्रकाशित ब्राह्मण-ग्रन्थ । ब्राह्मण ग्रन्थों के पाठ के लिये यह आवश्यक है कि हम इस वाङ्मय के अधिक से अधिक ग्रन्थों का परिचय करें । प्राचीन काल से लेकर बौद्ध-काल तक सहस्रों ब्राह्मण ग्रन्थ विद्यमान थे, इस में अणुमात्र भी सन्देह नहीं। इस समय जो पन्द्रह ब्राह्मण-ग्रन्थ छप चुके हैं, उन के नाम हम प्राकथन में लिख चुके हैं। इन के आतारक्त जिन लुप्त ब्राह्मणों का उल्लेख संस्कृत-साहित्य में मिलता है, उन का नाम हम नीचे देते हैं । सम्भव है, इस सूची में से कुछ नाम रह गये हों। जिन विद्वानों को ऐसा पता कहीं मिले, वे कृपया हमें सूचित करें ।
वे ब्राह्मण जिन के हस्तलेख मिल चुके है। (१) काण्वीय शतपथ ब्राह्मण ( यजुर्वेदीय ) । यह अब लाहौर में ही छप रहा है।
(२) जैमिनीय ब्राह्मणम्-तलवकार ब्राह्मणं वा । (सामवेदीय ) इस का संस्करण हमारे हां पं०वंद व्यास एम० ए० कर रहे हैं।
अप्राप्त परन्तु साहित्य में उद्धत ब्राह्मण । (१) चरक ब्राह्मण । ( यजुर्वेदीय ) विश्वरूपाचार्यकृत बालक्रांडा टीका में उद्धृत । भाग प्रथम पृ० ४८, ८० । भाग द्वितीय पृ० ८६ । भाग २, पृ० ८७ पर लिखा है
तथा अग्नीषोमीयब्राह्मणे चरकाणाम् । याजुष चरक शाखा का यह प्रधान ब्राह्मण था । इस के आरण्यक का एक प्राचीन हस्तलेख (सं० १७५ ) हमारे पुस्तकालय में है । यह आधकांश में सप्त प्रपाठकात्मक मैन्युपनिषद् से मिलता है।
(२) श्वेताश्वतरब्राह्मण । ( यजुर्वेदीय ) बालक्रीडा टीका भाग १, पृ० ८ पर उद्धृत । श्वेताश्वतरोपनिषद् इसी के आरण्यक का भाग प्रतीत होता है ।
(३) काठक ब्राह्मण । ( यजुर्वेदीय ) तैत्तिरीय ब्राह्मण के छुछ अन्तिम भागों को भी कठ वा काठक ब्राह्मण कहते हैं । परन्तु यह काठक ब्रा० उस से मिन है। यह चरकों के द्वादश अवान्तर विभागों में से एक है। इस के आरण्यक का कुछ भाग हस्तलिखित रूप में योरुप के कुछ पुस्तकालयों में विद्यमान है । श्रीनगर कश्मीर में एक ब्राह्मण ने हम से कहा था कि इसका हस्तलेख मिल सकता है । एफ० ओ० श्रेडर सम्पादित, "माईनर उपनिषद्स्" प्रथम भाग पृ०३१-४२ तक जो
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