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पुनः सूत्र २ । २ । ६७ ॥ पर लिखते हैं
य एवाप्ता वेदार्थानां द्रष्टारः प्रवक्तारश्च त एवायुर्वेदप्रभृतीनामिति ।
किसी विलुप्त ब्राह्मण, वा वात्स्यायन के इस लेख से स्पष्ट प्रतीत होता है कि महाभारत-काल से बहुत पहले, आदि सृष्टि अर्थात् अथर्वाङ्गिरस ऋषियों के काल से ही, तथा मन्त्रार्थद्रष्टा ऋषियों के काल में भी ये ग्रन्थ विद्यमान थे।
१-इतिहास २-पुराण-सृष्ट्युत्पत्ति आदि विषयक बातें । ३-धर्म शास्त्र-मानवादि । ४-आयुर्वेद
शतपथ ब्राह्मण ११ । ५। ६ । ८ ॥ में जो निम्नलिखित वाक्य हैं, उस के अनुसार इन ब्राह्मण-ग्रन्थों के सङ्कलन से पहले ये ग्रन्थ भी विद्यमान थे ।
यदनुशासनानि विद्या वाकोवाक्यमितिहासपुराणं गाथा नाराशस्यः ।
अर्थात्५-अनुशासन ग्रन्थ ६-वाकोवाक्य , ७-गाथा , ८-नाराशंसी , तथा शतपथ १४ । ६ । १०॥ ६॥ के अनुसार
इतिहासः पुराणं विद्या उपनिषदः श्लोकाः सूत्राण्यनुव्याख्यानानि व्याख्यानानि ।
९-उपनिषद् ( मौलिक उपनिषद् ) १०-श्लोक-ग्रन्थ ११-सूत्र ग्रन्थ १२-अनुव्याख्यान १३-व्याख्यान तथा छान्दोग्य उपनिषद् ७ । २ ॥ के अनुसार---- इतिहासपुराणं पञ्चमं वेदानां वेदं ब्रह्मविद्यां भूतविद्या क्षत्र
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