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भूमिका ।
ब्राह्मण-ग्रन्थों का इतिहास ।
(१) सङ्कलन काल
ब्राह्मण ग्रन्थों की मौलिक सामग्री प्राचीनतम कालों से चली आई है । शतपथ १०|६|५|९||१४|७|३|२८ || वा बृहदारण्यक ४१६ | ३ || ६ |५|४|| के वंश ब्राह्मणों के अनुसार ब्राह्मण - वाक्यों का आदि- प्रवचनकर्ता ब्रह्मा = स्वयम्भु ब्रह्म हुआ है। प्रजापति*, मन्वादि। महर्षियों ने भी अनेक ब्राह्मण - वाक्यों का प्रवचन किया था । ऐसे ही अन्य ऋषि लोग भी समय २ पर इन ब्राह्मणों के अनेक पाठों का प्रवचन करते आये हैं । इन सब का संकलन महाभारत-काल अर्थात् द्वापर के अन्त या कलि के आरम्भ में भगवान् कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास वा उनके शिष्य प्रशिष्यों ने किया था । इसमें प्रमाण भी है । शतपथादि ब्राह्मणों में अनेक स्थलों पर उन ऐतिहासिक व्यक्तियों के नाम पाये जाते हैं, जो महाभारत काल से कुछ ही पहिले के थे । देखो—
तेन हैतेन भरतो दौः षन्तिरीजे...
तदेतद् गाथयाभिगीतम्
अष्टसप्ततिं भरतो दौः षन्तिर्यमुनामनु ।
गङ्गायां वृत्रने वनात् पञ्चपञ्चाशतः हयान् ॥ इति ॥ ११ ॥ शकुन्तला नाडपित्यप्सरा भरतं दक्षे ॥ १३ ॥
* आधानं ब्राह्मणं प्रजापतेः । इष्टिब्राह्मणानि प्रजापतेः ||
चारायणीय मन्त्राषध्यायः ९, ११ ॥
+ आपो वा इदं निरमृजन् । स मनुरेवोदशिष्यत ।
स एता मिष्टिमपश्यत्तामाहरत्तयायजत
काठक सं० ११ | २ || तथा देखो तै० सं० ३ | १ | ९ | ३० ॥
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महाभारत काल से हमारा अभिप्राय महाभारत युद्ध के लगभग १०० वर्ष पूर्व और १०० वर्ष उत्तर का है । महाभारत युद्ध विक्रम संवत् से ३००० वर्ष से कुछ
पूर्व हुआ था ।
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