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पाइअसद्दमहण्णवो
विलंगयाम-विवइ
विलंगयाम वि [दे] निर्ग्रन्थ, अकिंचन, साधुः विलेवण न [विलंपन] १ शरीर पर लगाने विलोल देखो विलोड । वकृ. विलोलंत (उप 'एस विलुगयामो सिजाए' (प्राचा २,१, का चन्दन, कुंकुम आदि पिट द्रव्य (कुमाः । पृ८७) २, ४) 10
उवाः पात्र) । २ लेपन-क्रिया (प्रौप) विलोल अक [वि + लठ् ] लेटनाः 'विलो. विलुंचण न [विलश्चन] उन्मूलन, जड़ से क्लेिविअ वि [विलेपित ] विलेपन-युक्त - लंति महीतले विसूरिणयंगमंगा' (पएह १, उखाड़ना (पएह १, १-पत्र २३)। (सण)।
१-पत्र १८) विलुप सक [वि + लुप ] १ लूटना। २ विलेविआ स्त्री [विलेपिका ] पान-विशेष विलोल वि [विलोल] चंचल, अस्थिर (से काटना। ३ विनाश करना। विलुपति, (राज)
। २, १६; गउड; कप्पू) । विलुपह (आचा; सूत्र २, १, १६; पि विलेहिअ वि [विलेखित] चित्रित किया विलोव पु [विलोप] लूट, डकैती; 'सत्थ४७१); 'प्रथं चोरा विलुपंति' (महा)।
| विलोवे जाए' (सुर १५, १८)। वकृ. विलुपमाण (सुपा ५७४)। कवकृ. विलोअ सक [वि + लोक ] देखना। कर्म. | विलोवण न [विलोपन] ऊपर देखोः 'परधविलप्पंत, विलुप्पमाण (पउम १६, ३१; विलोइज्जति, विलोईअंति (पि ११)। पविलोवरणाईणं' (उव)। सुपा ८०; सुर २, २१; उवा)
कवकृ. विलोइज्जमाग (उप पृ ६७)। संकृ. विलोक्य वि [विलोपक लूटनेवाला, लुटेरा; विलंप सक [काङ्क्ष ] अभिलाष करना,
'प्रद्धाणम्मि विलोवए' (उत्त ७, ५) चाहना । विलुपइ (हे ४, १६२)। विलोअ पुं [विलोक आलोक, प्रकाश (उप विलोह देखो विलोभ । हेकृ. विलोहइदु विलंपइत्तु वि [विलोप्त ] विलोप-कर्ता,
(शौ) (मा ४२) काटनेवाला (सूम २, २, ६)।
विलोअ देखो विलोव (सुपा ४४०)। विलोहण वि [विलोभन] १ आश्चर्य-कारक । विलंपय [दे] कोट, कीड़ा (दे ७, ६७)। विलोअण पुन [विलोचन] अाँख, नेत्र (कार
२ लुभानेवाला; 'मुद्ध मइविलोहणं नेयं' (श्रावक विलुपिअ वि [काङ्क्षित] अभिलषित १६१: गा ६७०; सुपा ५२६)।
१३२) । (कुमा ७, ३८ दे. ७, ६६) विलोअण न [विलोकन] १ देखना, निरी
विल्ल प्रक [ वेल्लू ] चलना, हिलनाः 'विल्लंति विलाप दे. विलुप्तप्राशित, कवलित, क्षण । २ वि. देखनेवाला; 'लोयालोयविलो
दुमपल्लवा' (रंभा) खाया हमाः 'घत्थं कवलिनं असिनं विलु- यणकेवलनाणेण नायभावस्स' (सुर ४,
विल्ल देखो बिल्ल (हे १, ८५; राज)।। पिनं बंफि खइग्रं' (पान)। देखो विलुत्त । बलुत्त । ८६)
विल्ल वि [दे] १ अच्छ, स्वच्छ । २ विलसित, विलुपित्तु देखो विलुंपइत्तु (प्राचा)। विलोट्ट अक [विसं + वद्] १ अप्रमाणित
विलास-युक्त (दे ७, ८८)। ३ पुंन. सुगंधी होना, भूठा साबित होना। २ उलटा होना,
द्रव्य-विशेष, जो धूप के काम में विलुक्क [दे] छिपा हुआ (भवि)।
आता है; विपरीत होना। बिलोट्टइ, विलोट्टए (हे ४, विलक्क वि [विलुश्चित] विमुण्डित, सर्वथा
'डज्झंतविल्लगुग्गुलुपवियंभियघूमसंघाय' (स १२६; भविः स ७१६)
४३६) केश-रहित किया हुप्रा (पिंड २१७) । विलुत्त वि [विलुप्त] १ काटा हुआ, छिन्न
विलोट्ट । वि [विसंवदित] १ जो झूठा
जो मा विल्लय देखो चिल्लअ (प्रौप).
विलोहिअ साबित हुआ हो (कुमा ६, विल्लय देखो वेल्लग (सुपा २७६) ।। 'विलुतकेसि' (पउम १०२, ५३; पण्ह १,
८८)। २ जो कहकर फिर गया हो, प्रतिज्ञा३-पत्र ५४)। २ लुएिटत, लुटा हुआ
विल्लरी स्त्री [दे] केश, बाल (दे ७, ३२)।' च्युतः 'कन्नाए सयणमहिलाईलोयवरुयो 'इमाइ अडवीइ वारिणयगसत्थो। मह पुरि
विल्लल देखो बिल्ल (इक)। विल्लिट्टो सो' (उप ५६७ टी) । ३ विरुद्ध सेहि विलुत्तो, पत्तं वित्तं तहिं पउरं' (सुर | बना हुआ; 'चउरो महनरवइणो विलोठ्ठि
विल्लहल देखो वेल्लहल (प्रवि २३) ।। ११, ४८) । ३ विनष्टः 'तुम उण जलविलु
(? ट्टि) या चउदिसि पि अइबलियो' (सुपा विल्ली स्त्री [विल्वी] गुच्छ-वनस्पति-विशेष तप्पसाहणं जेव सुमरसि' (कप्पू)। ४५२)
(पएण १-पत्र ३२)विलत्तहिअअ वि [दे| जो समय पर काम | विलोम विलोय मंथन करना। विल्ह वि[दे धवल, सफेद (३७, ६१)। करने को न जानता हो वह (दे ७, ७३) ।। विलोडेइ (कुप्र ३४७) ।
विव देखो इव (हे २, १८२; गा २६०; विलप्पंत । देखो विलंप । विलोडिय वि [विलोडित] मथित (कुप्र
६०६ कुमा)।
विवइ स्त्री [विपद् ] विपत्ति, कष्ट, दुःख विलुलिअ वि [विलुलित] उपमदित (से ६, विलोभ सक [वि + लोभय ] १ लुब्ध । (उप ७७१; हे ४, ४००) गर वि १२)
करना, लुभाना, आसक्त करना । २ लालच । [°कर] दुःख-जनक (कुमा)। विलूण वि [विलून काटा हुआ, छिन्न (सुपा देना। ३ विस्मय उपजाना । कृ. विलोभ- विवइ स्त्री [विवृति] व्याख्या, विवरण, णिज्ज (कुंप्र १३८)
टीका (कुप्र १६) । देखो विवदि ।।
विलप्पमाण देखो विलुप।
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