________________
आकारय- अक्ख
पाइअसहमहण्णवो
अकिरिय वि [अक्रिय] १ आलसी, निरुद्यम। अकंड देखो अकंड (प्राउ ५३) ।
अक्किट्ठ वि [अक्लिष्ट] १ क्लेश-वर्जित (जीव २ अशुभ व्यापार से रहित (ठा ७)। ३ अकंत वि [आक्रान्त] १ बलवान् के द्वारा ३)। २ बाधारहित (भग ३, २)। परलोक-विषयक क्रिया को नहीं माननेवाला,
दबाया हुआ (गाया १, ८)। २ घेरा हा, अक्किट्ठ वि [अकृष्ट] अविलिखित (भग ३,२)। नास्तिक (णंदि) । यि वि [आत्मन] आत्मा
ग्रस्त (आचा)। ३ परास्त, अभिभूत (सूप १, अक्किय वि [अक्रिय] क्रियारहित (विसे को निष्क्रिय माननेवाला, सांख्य (सूअ १,
१, ४)1४ एक जाति का निर्जीव वायू (ठा २२०६)।
५, ३)। ५ न. आक्रमण, उल्लंघन (भग १, अक्कुट्ठ वि [दे] अध्यासित, अधिष्ठित (दे १, अकिरिया स्त्री [ अक्रिया ] १ क्रिया का ३)। दुक्ख वि [°दुःख दुःख से दबा ११)। प्रभाव (भग २६, २)। २ दुष्ट क्रिया, खराब हुआ (सूम १, १, ४)।
अक्कुस सक [गम्] जाना। अकुसइ (हे व्यापार (ठा ३, ३) । ३ नास्तिकता (ठा ८)। अकंत विदे] बढ़ा हा, प्रवृद्ध (दे १.६)।। ४, १ बाइ विवादिन् परलोक-विषयक क्रिया अकंत वि अकान्ता अनिल अनभिलषित अक्कुहय वि[अकुहक निष्कपट, मायाराहत को नहीं माननेवाला, नास्तिक (ठा ४,४)। अनभिमत (सूप १, १, ४, ६)।
(दस ६, २)। अकीरिय देखो अकिरिय, 'जे केइ लोगम्मि अक्कंद अक /आ+ क्रन्दु] रोना, चिल्लाना |
अक्कूर ' [अकर] श्रीकृष्ण के चाचा का अकीरियाया, अन्नण पुट्ठा धुयमादिसंति' (सूप (प्रामा) । वकृ. अक्कंदंत (सुपा ५७४)।
नाम (रुक्मि ४६)।
अक्कूर वि [अकर] क्रूरतारहित, दयालु (पव अकंद (अप) देखो अक्कम = आ + क्रम् । अकुइया स्त्री [अकुचिका] देखो अकुय ।
२३६)। अकंदइ; संकृ. अकंदिऊण (सरण)। अकुओभय वि [अकुतोभय जिसको किसी
अक्केज देखो अकिज। अक्कंद पु[आक्रन्द] रोदन, विलाप, चिल्लातरफ से भय न हो वह, निर्भय (प्राचा)।
अकेल्लय वि [एकाकिन् ] अकेला, एकाको
कर रोना ( सुर २, ११४ ) । अकुंठ वि [अकुण्ठ] अपने कार्य में निपुण
(नाट)। (गउड)। अकंद वि [दे] वारण करनेवाला, रक्षक (दे
अक्कोड पुंदे] छाग, बकरा (दे १,१२) । अकुय वि [अकुच निश्चल, स्थिर (निचू १) १, १५)।
अक्कोडण न [आक्रोडन] इकट्ठा करना, संग्रह स्त्री. अकुझ्या (कप्प)।
अक्कंदावणय वि [आक्रन्दक] रुलानेवाला | करना (विसे)। अकोप्प वि [अकोप्य रम्य, सुन्दर (पग्रह (कुमा)।
अक्कोस न [अक्रोश जिस ग्राम के अति नजअकंदिय न [आक्रन्दित] विलाप, रोदन (से दीक में अटवी, श्वापद या पर्वतीय नदी आदि
४, ६४; पउम ११०, ५)। अकोप्प दे] अपराध, गुनाह (षड् )।
का उपद्रव हो वह अकोस देखो अक्कोस = अक्रोश ।
अक्कम सक [आ+ क्रम्] १ आक्रमण करना, 'खेत्तं चलमचलं वा, इंदमणिदं सकोसमकोस । अकोसायंत वि [अकोशायमान] विकसता
दबाना । २ परास्त करना। वकृ. अक्कमंत वाघातम्मि अकोस, अडवीजले सावए तेणे' हुप्रा, 'रविकिरणतरुणबोहियाकोसायंतपउम
(पि ४८१)। संकृ. अकमित्ता (पएह १,१)। (बृह ३)। गभीर वियडणाभे' (औप)।
अक्कम पं [आक्रम] १ दबाना, चढ़ाई करना। अक्कोस सक [आ+ क्रुश ] आक्रोश करना । अक्क पं [अ]१ सूर्य, सूरज (सुर १०, २ पराभव (आव)।
वकृ. अक्कोसिंत (सुर १२, ४०)। २२३) । २ आक का पेड़ (प्रासू १६८)। ३ | अक्कमण न [आक्रमण] १-२ ऊपर देखो अकासपु आकाश कटु वचन, शाप, सुवर्ण, सोनाः 'जेरण अन्नुन्नसरिसो विहिरो । (से १४, ६६)। ३ पराक्रम (विसे १०४६)।
भर्त्सना (सम ४०)। रयणकसंजोगो' (रयण ५४)। रावण का । ४ वि. आक्रमण करनेवाला (से ६.१)। अक्कोसग वि [आक्रोशक] प्रानोश करनेवाला एक सुभट (पउम ५६,२)। "तूल न [तूल] | अकमिअ देखो अकंत = आक्रान्त (काप्र १७२; (उत्त २)। आक की रूई (पएण १)। तेअपुं[तेजस्] सुपा १२७)।
अक्कोसणा स्त्री [आक्रोशना] अभिशाप, निर्भविद्याधर वंश का एक राजा (पउम ५,४६)। अक्कसाला स्त्री[दे]१ बलात्कार, जबरदस्ती। संना (गाया १, १६)। 'बोंदीया स्त्री [ बोन्दिका] वल्ली-विशेष २ उन्मत्त-सी स्त्री (दे १,५८)।
अकोसिअ वि[आक्रोशित] कटु वचनों से (परण १)।
अक्का स्त्री [दे] बहिन (दे १, ६)। जिसकी भर्त्सना की गई हो वह (सुर ६, अक ' दे] दूत, संदेश-हारक (दे १,६)। अक्का स्त्री [अका] कुट्टनी, दूती (कुप्र १०)। २३४ )। "अक्क देखो चक्र (गा ५३०, से १, ५)। अक्कासी स्त्री [अक्कासी] व्यन्तर-जातीय एक अकोह वि [अक्रोध] १ अल्प-क्रोधी (जं २)। अक्का वि [अकृत] नहीं किया गया। पुव्व देवी (तो है)।
२ क्रोधरहित (उत्त २)। वि [ पूर्व] जो पहले कभी न किया गया हो अक्किज्ज वि [अकेय] खरीदने के अयोग्य (ठा | अक्ख पुं[अक्ष] १ जीव, आत्मा (ठा १)। (से १२, ५०)।
। २ रावण का एक पुत्र (से १४, ६५)। ३
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org