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मीत-मुंड
पाइअसहमहण्णवो मीत देखो मित्त = मित्र (संक्षि १७)। मुअ वि [स्मृत] याद किया हुआ (सूत्र २, मुउउंद पुं [मुचुकुन्द] १ नृप-विशेष (मच्च मीमंस सक [ मीमांस्] विचार करना । ७, ३८ प्राचा)।
६६) । २ पुष्पवृक्ष-विशेष (कप्पू)।। कृ. 'अ-मीमंसा गुरू' (स ७३०)। मुअंक देखो मिअंक (प्राकृ८)
मुउंद पुं[मुकुन्द विष्णु, नारायण (नाटमीमंसा स्त्री [मीमांसा] जैमिनीय दर्शन, मुअंग देखो मिअंग (षड्, सम्मत्त २१८)। चैत १२६)। पूर्वमीमांसा (सुख ३,१: धर्मवि ३८)। मुअंगी स्त्री [दे] कोटिका, चींटी (दे ६,
मुउर देखो मउर = मुकुर (षड्) मीमंसिय वि [मीमांसित] विचारित (उप १३४)
मुउल देखो मउल = मुकुल (षड् : मुद्रा ८४)। ९८६ टी)
मुअग्ग पुं [दे] 'प्रात्मा बाह्य और अभ्यन्तर मीरा स्त्री [३] दीर्घ चुल्ली, बड़ा चुल्हा | पुद्गलों से बना हुआ है ऐसा मिथ्या ज्ञान
मुंगायण न [मृङ्गायण गोत्र-विशेष, विशाखा (सूअनि ७६)।(ठा ७ टी-पत्र ३८३)।
नक्षत्र का गोत्र (इक)। मील अक [ मील ] मीचाना, बन्द होना, | मुअण न [मोचन] छुटकारा, छोड़ना (सम्मत्त मुंच देखो मुअमुच् । मुंचइ, मुंचए ( षड्; सकुचाना। मीलइ (हे ४, २३२; षड् )। ७८ विसे ३३१६; उप ५२०)।
कुमा)। भूका. मुंची (भत्त ७६)। भवि. मील देखो मिल (वि ११)
मुअल (अप) देखो मुअ = मृत (पिंग)। मोच्छं, मोच्छिहि, मुचिहिइ (हे ३, १७१, मीलच्छीकार पुं [मीलच्छीकार] १ यवन मुआ स्त्री [मृत् ] मिट्टी (संक्षि ४)
पि ५२६)। कर्म. मुच्चइ मुचए, मुच्चति देश-विशेष, 'मोलच्छीकारदेसोवरि चलिदो मुआ स्त्री [मुद्] हर्ष, खुशी, प्रानन्द
(प्राचाः हे ४, २०६, महाः भग)। भवि. खप्परखाणराया' (हम्मोर ३५)। २ एक
मुचिहिति (भग) । वकृ. मुंचंत (कुमा)। 'सुरयरसामोवि मुयं अहियं उवजणइ तस्स यवन राजा (हम्मीर ३५)।
कवकृ. मुच्चंत (पि ५४२) । संकृ. मोत्तं, सा एसा' (रंभा) मोलण न [मीलन] संकोच (कुमा)। मुआइणी स्त्री [दे] डुम्बी, डोमिन, चाण्डालिन
मोत्तुआण, मोत्तूण (कुमाः षड् ; प्राकृ ३४)। मीलण देखो मिलणः 'खणजणमणमीलणोबमा
हेकृ. मोत्तं (कुमा), मुंचणहि (अप) (कुमा)। | (द ६, १३५). विसया' (वि ११ राज)
कृ. मोत्तव्य, मुत्तव्य (हे ४, २१२; गा मुआविअ वि [मोचित] छुड़वाया हुआ (स
६७२; सुपा ५८६) मीलिअ देखो मिलिअ = मिलित (पिंग)। | ४४६)
मुंज पुन [मुञ्ज] मुंज, तृण-विशेष, जिसकी मीस सक [मिश्रय ] मिलाना, मिश्रण | मुइ वि [मोचिन्] छोड़नेवाला (विसे ३४०२)
रस्सी बनाई जाती है (सूम २, १, १६; करना । कर्म. मीसिजइ (पि ६४)। | मुइअ वि [मुदित] १ हर्षित, मोद-प्राप्त (सुर
गच्छ २, ३६; उप ६४८ टी)। "मेहला मीस वि [मिश्र] १ संयुक्त, मिला हुआ,
७, २२३; प्रासू १०५, उवः प्रौप)। २ पुं.
स्त्री [ मेखला] पूँज का कटिसूत्र (गाया १; मिश्रित (हे १,४३, २, १७०; कुमाः कम्म रावण का एक सुभट; (पउम ५६, ३२)।
१६-पत्र २१३)।२, १३, १५, ४, १३, १७, २४ भगा | मुइअविदेयोनि-शुद्ध, निर्दोष मातावाला;
मुंजइ न [मौञ्जकिन] १ गोत्र-विशेष । २ औपः दं २२)। २ न. लगातार तीन दिनों 'मुइनो जो होई जोणिसुद्धो' (औप-टी)।
पुंस्त्री, गोत्र में उत्पन्न (ठा ७–पत्र ३६०)। का उपवास (संबोध ५८)। मुइअंगा देखो मुअंगी; 'उवलिप्पंते काया
मुंजकार पुं [मुञ्जकार] मूंज की रस्सी मीसालिअ वि [मिश्र] संयुक्त, मिला हुआ मुइभंगाई नवरि छ?' (पिंड ३५१)।
बनानेवाला शिल्पी (अणु १४६) । (हे २, १७०; कुमा)
मुइग देखा मिअग (ह १,४६ १३७, प्राप्र; मुंजायण पुं [मौजायन] ऋषि-विशेष (हे मीसिय वि [मिश्रित] ऊपर देखो (कुमा उवा; कप्प; सुपा ३६२ पास)। "पुक्खर
। १, १६०प्राप्र)। कप्पा भवि) पुंन [पुष्कर] मृदंग का ऊपरवाला भाग
मुंजि पुं[मौअिन्] ऊपर देखो (प्राकृ १०)
(भग)। मुअ सक [ मोदय् ] खुश करना । कवकृ. | मुइंगलिया) स्त्री [दे] कीटिका, चींटी (उप |
मुंट वि [दे] हीन शरीरवाला, मुइज्जत (से ७, ३७)।
मुइंगा १३४ टी; संथा ८६; विसे | जे बंभचेरभट्ठा पाए पाडंति बंभयारीणं । मुअ सक [मुच्] छोड़ना । मुअइ (हे ४, १२०८; पिंड ३५१ टी)
ते हंति टुटमुटा बोहीवि सुदुल्लहा तेसि ६१), मुअंति (गा ३१९) । वकृ. मुअंत, मुइंगि वि [मृदङ्गिन] मृदंग बजानेवाला
(संबोध १४)। मुयमाण (गा ६४१ से ३, ३६; पि ४८५)। (कुमा)।
मुंड सक [मुण्डय] १ मुंडना, बाल संकृ. मुइत्ता (भग)। मुइंद देखो मइंद = मृगेन्द्र (प्राक ८)।
उखाड़ना । २ दीक्षा देना, संन्यास देना। मुअ वि [मृत मरा हुआ (से ३, १२; गा |
मुडइ (भवि), मुंडेह (सूत्र २, २, ६३) । मुइजंत देखो मुअ = मोदय । १४२, वजा १५८; प्रासू ५७; पउम १८
प्रयो., वकृ. मुंडावेत (पंचा १०, ४८ टी)। १६ उप ६४८ टी) । वहण न [वहन] | मुइर वि [मोक्त] छोड़नेवाला (सण) हेव. मुंडावेउ, मुंडावित्तए, मुंडावेत्तए शव-यान, ठठरी, प्ररथी (दे २, २०)। मुउ देखो मिउ (काल)।
(पंचा १०, ४८ ठा २, १; कस)।
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