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पाइअसहमहण्णवो
भोल्लय-मइहर
भोल्लय न [दे] पाथेय-विशेष, प्रबन्ध-प्रवृत्त | भोवाल (अप) देखो भू-वाल (भवि)। पाथेय (दे ६, १०८)।
भोहा (अप) देखो भूभ्र (पिंग)।
भ्रत्रि (अप) देखो भंति =भ्रान्ति (हे ४, ३६०)।
॥ इअ सिरिपाइअसद्दमहण्णवम्मि भनाराइसहसंकलणो
तीसइमो तरंगो समत्तो।
म पुं[म प्रोष्ठ-स्थानीय व्यजन-वर्ण विशेष मइअ वि [दे. मतिक] १ भत्सित, तिरस्कृत मइल वि [दे. मलिन] गत-तेजस्क, तेज(प्राप)
(दे ६, ११४)। २ न. बोये हुए बीजों के रहित, फोका (दे ६, १४२; से ३, ४७) । म अ [मा] मत, नहीं (हे ४, ४६८ कुमाः
पाच्छादन के काम में लगती एक काष्ठ-मय मइल सक [ मलिनय् ] मैला करना, मलिन पि ६४; ११४ भवि)।
वस्तु, खेती का एक औजार; 'नंगले मइयं | बनाना । मइलइ, मइलेइ, मइलिति, मइलैंति
सिया' (दस ७, २८ परह १,१.-पत्र) (भवि, उव; पि ५५६)। कर्म. मइलिज्जइ मअआ स्त्री [मृगया] शिकार (अभि ५५) मइअ वि ["मय] व्याकरण-प्रसिद्ध एक
(भवि पि ५५६) । बकृ. मइलंत (पउम २, मइस्त्री [मृति मौत, मरण (सुर २,१४३)19 तद्धित-प्रत्यय, निवृत्त, बना हुप्राः 'धम्ममइएहि
१००)। कृ. मइलियव्य (स ३६६) । मइ स्त्री [मति] १ बुद्धि, मेधा, मनीषा अइसुंदरेहि' (उव), "जिएपडिम गोसीसचंद. | मइल अक [दे. मलिनाय ] तेज-रहित 'मेहा मई मणीसा' (पाना सुर २, ६५ णमइय' (महा)।
होना, फीका लगना। वकृ. मइलंत (से ३, कुमाः प्रासू ७१)। २ ज्ञान-विशेष, इन्द्रिय
मइआ स्त्री [मृगया] शिकार (सिरि १११५)। ४७; १०, २७)। और मन से उत्पन्न होनेवाला ज्ञान (ठा ४, मइंद [मैन्द] राम का एक सैनिक, वानर
मइलणन [मलिनना] मलिन करना (गउड)। ४. एंदि; कम्म ३, १८, ४, ११, १४;
विशेष (से ४, ७; १३, ८३)। मइलणा स्त्री [मलिनना] १ ऊपर देखो विसे ६७) । अन्नाण न [ अज्ञान] विपरीत
(प्रोघ ७८८)। २ मालिन्य, मलिनता। ३ मति-ज्ञान, मिथ्यादर्शन-युक्त मति-ज्ञान (भग मईद पुं[मृगेन्द्र] १ सिंह, पंचानन (प्राक
कलंक; 'लहइ कुलं मइलणं जेण' (सुर ६, विसे ११४; कम्म ४, ४१) + °णाण, ३०; सुर १६, २४२, गउड)। २ छन्द का
१२०), 'इमाए मइलगाए प्रमुगम्मि नयरुजाग्णाण, नाण न [ज्ञान] ज्ञान-विशेष एक भेद (पिंग)।
णासन्ने नग्गोहपायवे उब्बंधणेण अत्तारणयं (विसे १०७ ११४, ११७; कम्म १, ४)। मइज्ज देखो मईअ = मदीय (षड् )।
परिच्चइउं ववसिमो चक्कदेवो' (स ६४)। 'नाणावरण न [ज्ञानावरण] मति-ज्ञान मइत्तो अ[मत् ] मुझसे (प्राप्र)। का पावरक कर्म (विसे १०४)। 'नाणि
मइलपुत्ती स्त्री [दे] पुष्पवती, रजस्वला स्त्री मइमोहणी स्त्री [दे. मतिमोहनी] सुरा, वि [ज्ञानिन] मति-ज्ञानवाला (भग)
। (पड्)।
मदिरा, दारू (दे ६, ११३; षड् )। 'पत्तिया स्त्री ["पात्रिका] एक जैन मुनि
मइलिअ वि [मलिनित] मलिन किया हुआ शाखा (कप्प) भंस [भ्रश] बुद्धि- मइरा स्त्री [मदिरा] ऊपर देखो (पान; से (श्रावक ६५; पि ५५६; भवि)। विनाश (भग; सुपा १३४) + म, मंत, २, ११, गा २७० दे ६, ११३) । मइल्ल वि [मृत] मरा हुया । स्त्री. 'ल्लिया, 'वंत वि [°मत् ] बुद्धिमान् (ओघ ६३०; मइरेय न मैरेय] ऊपर देखो (पान)।
'एवं खलु सामी ! पउमावती देवी मइल्लियं याचा भवि) ।
दारियं पयाया। तए णं करणगरहे राया तीसे मइल वि मिलिन मैला, मल-युक्त, अस्वच्छ मई देखो मई = मृगी (कुप्र ४४)।
मइल्लियाए दारियाए नीहरणं करेति, बहूणि (हे २, ३८, पानः गा ३४; प्रासू २५
लोइयाई मयकिच्चाई' (णाया १,१४-पत्र मइअ वि [मत्त] मद-युक्त, उन्मत्त (से ७, भवि)
१८६)। ६६; गा ४६८, ७०६, ७६१)।
मइल पुं[दे] कलकल, कोलाहल (दे ६, मइहर पुं[दे] ग्राम-प्रधान, गाँव का मुखिया मईअ देखो मा=मा ।।
। (दे६, १२१)। देखो मयहर ।
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