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पाइअसहमहण्णवो
णिय-णिप्पुलाय णिय देखो णिद्धय (जीव ३)।
करना, पंख तोड़ना। णिप्पंखेति (विपा १, | णिप्परिग्गह वि [निष्परिग्रह] परिग्रह-रहित णिद्धोअ वि [निधौत] १ धोया हुआ (गा ८)।
(उत्त १४)। ६३६ से १४, १६; स १६१)। २ निर्मल, णिप्पंद वि [निष्पन्द] चलन-रहित, स्थिर
णिप्पलिवयण वि [निष्प्रतिवचन] निरुत्तर, स्वच्छ, 'निरोयउदयकंखिर-(वजा १५८)। । (से २, ४२)।
उत्तर देने में असमर्थ (सम ६०)। णिद्धोभास वि [स्निग्धावभास] चमकीला, णिप्पकंप वि [निष्प्रकम्प] कम्प-रहित, स्थिर
णिप्पसर वि [निष्प्रसर] प्रसर-रहित, स्निग्धपन से चमकता (णाया १,१-पत्र ४)। (सम १०६ परह २, ४)।
जिसका फैलाव न हो (पि ३०५)। णिधण न [निधन] विनाश, मृत्यु, मौत | णिप्पक्ख वि [निष्पक्ष पक्ष-रहित (गउड)।
|णिप्पह देखो णिप्पभ (से १०, १२, हे २, (नाट-मृच्छ २५२)।
| णिप्पगल वि [निष्प्रगल] टपकनेवाला, झरने | ५३)। णिधत्त वि [निधत्त] निकाचित, निश्चित वाला, चूनेवाला (मोघ ३५, प्रोघ ३४ भा)। णिप्पाइय देखो णिप्फाइय (कुप्र १६६) । (ठा -पत्र ४३४)।
णिप्पच्चवाय वि [निष्प्रत्यवाय] १ प्रत्यवाय- | णिप्पाण वि [निष्प्राण] प्राण-रहित, निर्जीव णिधत्त न [निधत्त] १ कर्मों का एक तरह रहित, निर्विघ्न (प्रोघ २४ टी)। २ निर्दोष, का अवस्थान, बधे हुए कर्मों का तप्त सूची- विशुद्ध, पवित्र, 'णिप्पच्चवायचरणा कर्ज
णिप्पाल देखो णेपाल (धर्मवि १६)। समूह की तरह अवस्थान । २ वि. निबिड़ | साहति' (सार्ध ११७)।
णिप्पाव पुं[निष्पाप] एक दिन का उपवास भाव को प्राप्त कर्म-पुदल (ठा ४, २)। णिप्पच्छिम वि [निष्पश्चिम १ अन्तिम,
(संबोध ५८)। णिधत्ति स्त्री [निधत्ति करण-विशेष, जिससे
अन्त का (से १२, २१)। २ परिशिष्ट,
णिप्पाव देखो णिप्फाव (पि ३०५)। कर्म-पुद्गल निबिड़ रूप से व्यवस्थापित होता है
णिप्पिच्छ वि [दे] १ ऋजु, सरल । २ दृढ़, अवशिष्ट, बाकी का; 'णिप्पच्छिमाई असई (पंच ५)।
दुक्खालोपाई महुअपुप्फाई (गा १०४)। मजबूत (दे ४, ४६)। णिधम्म देखो गिद्धम्म % निर्धमन् (मोघ ३७
णिप्पट्ट वि[दे] अधिक (दे ४, ३१)। णिप्पिट्ट वि [निष्पिष्ट] पीसा हुआ (दे ८, भा)।
णिप्पट्ट वि [निःस्पष्ट] अस्पष्ट, अव्यक्त।। २० सरण)। णिधाण देखोणिहाण (नाट-महावीर १२०)।
'पसिणवागरण वि[प्रश्नव्याकरण] निरु- | णिप्पिट्ट न [निष्पिष्ट] पेषण की समाप्ति णिधूय देखो णिझुण। त्तर किया हुआ (भग १५ णाया १,५; ।
(पिंड ६०२)। उवा)।
णिप्पिवास वि [निष्पिपास] पिपासा-रहित, णिन्नाम सक [निर + नमय ] नमाना,
तृष्णा-वर्जित, निःस्पृह (पण्ह १, १; णाया झुकाना। णिन्नामए (सूम १, १३, १५)।
णिप्पट्ट वि [निःस्पृष्ट] नहीं छूआ हुआ ।
पसिणवागरण वि [प्रश्नव्याकरण] १, १, सुर १, १३)। णिनीय देखो णिण्णीअ (धर्मवि ५)।
निरुत्तर किया हुआ (भग १५)। णिप्पिवासा स्त्री [निष्पिपासा] स्पृहा का णिपट्ट न [दे] गाढ़ (प्राकृ ३८)। |णिप्पडिझम्म वि [निष्प्रतिकर्मन्] संस्कार
अभाव (वि १८)। णिपडिय वि [निपतित] नीचे गिरा हुआ | रहित, परिष्कार-वजित, मलिन (सम ५७;
| णिप्पिह वि [निःस्पृह] स्पृहा-रहित, निर्मम (सण)। सुपा ४८५)।
(हे २, २३, उप ३२० टी)। णिपा सक [नि+पा] पीना । संकृ. निपीय णिप्पडियार वि [निष्प्रतिकार] निरुपाय,
|णिप्पीडिअ वि [निष्पीडित] दबाया हुआ (सम्मत्त २३०)। प्रतिकार-वजित (पराह २, ४) ।
(से ५, २५)। णिपाइ वि [निपातिन्] १ नीचे गिरने
| णिप्पीलण न [निष्पीडन] दबाव, दबाना णिप्पणिअ वि[दे जल-धौत, पानी से धोया बाला। २ सामने गिरनेवाला (सून १, ५) ।
(प्राचा)। | हुआ (षड् )। णिपूर पु[निपूर] नन्दीवृक्ष (प्राचा २, १, णिप्पण्ण देखो णिप्फण्ण (गा ६८९)।
| णिप्पीलिय देखो णिप्पीडिअ। २ निचोड़ा
हुमाः निप्पीलियाई पोत्ताई' (स ३३२)। णिप्पण्ण वि [निष्प्रज्ञ] बुद्धि-रहित, प्रज्ञा-णिप्पंसण न [निष्पुंसन] १ पोंछना, णिप्पअंप देखो णिप्पकंप (से ६, ७८)। शून्य (उप १७६ टी)।
मार्जन । २ अभिमर्दन (हे२, ५३)। णिप्पएस वि [निष्प्रदेश १ प्रदेश-रहित । णिप्पत्त वि [निष्पत्र] पत्र-रहित (गा ८८७
णिप्पुन वि [निष्पुण्य] पुण्य-रहित (कुप्र २ पुं. परमाणु (विसे)। वव १)।
३१८)। णिप्पंक वि[निष्पङ्क ] कर्दम-रहित, पाँक
णिप्पत्ति । देखो णिप्फत्ति (पंचा १८ संक्षि णिप्पद्दि६)।
णिप्पुन्नग वि [निष्पुण्यक] १ पुण्य-रहित । रहित (सम १३७७ भग)।
२ पुं. स्वनाम-ख्यात एक कुलपुत्र (सुपा ५४५)। णिप्पकिय वि [निष्पकिन् ] पंक-रहित | णिप्पन्न देखो णिप्पण्ण (कुप्र २०८)।
णिप्पुलाय पुं[निष्पुलाक] आगामी चौबीसी (भवि)।
णिप्पभ वि [निष्प्रभ] निस्तेज, फीका में होनेवाले एक स्वनाम-ख्यात जिन-देव (सम णिप्पंख सक [निर + पक्षय ] पक्ष-रहित (महा)।
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