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जिट टुअ-णिण्व पाइअसद्दमहण्णवो
३६७ णिटुअ अक [क्षर ] टपकना, चूना। | ३६) । 'ट्रि वि [र्थिन् मुमुक्षु, मोक्ष का णिण्ण वि [निम्न] १ नीचा, मघस्तन (उत्त णिटुअइ (हे ४, १७३)। । इच्छुक (प्राचा)।
१२ उव १०३१ टी)। २ क्रिवि. नीचे, अधः णिट् टुइअ धि [क्षरित टपका हुमा (पाम)। णिट्ठिय वि [नैष्ठिक] निष्ठा-युक्त, निष्ठावाला | (हे २, ४२)। णिटटुह अक [वि + गल] गल जाना, |
(पएह २, ३)।
णिज्णक्खु क्रि [निस्सारयति] बाहर निकानष्ट होना । णिट् टुहइ (हे ४, १७५)। णिदीव पु [निष्ठीव थूक, मुँह का पानी
लता है, 'ठाणापा ठाणं साहरति, बहिया वा णि? देखो णिवा = नि+स्था । निदुइ (भवि) (रंभा)।
रिणएणक्खु' (माचा २, २, १)।
णिण्णगा स्त्री [निम्नगा] नदी, स्रोतस्विनी णिट्ठय । सक [नि + स्थापय ] १ समाप्त
णिट्टीवण स्त्रीन [निष्ठीवन] थूक, खखार । णिट्ठव
(पएण १; पण्ह २, ४)। २ थूकना (सट्ठि ७८ टी)। स्त्री 'णा (वव करना, पूर्ण करना । २ अन्त करना,
णिण्ण? वि [निनष्ट] नाश-प्राप्त (सुर ६, खतम करना। ३ विशेष रूप से स्थापन
६२)। करना, स्थिर करना । भूका. पिट्ठवंसु (भग णिट् ठुअ न [निष्ठयूत] थूक (कुलक ३०)।
णिग्णय पु [निर्णय] १ निश्चय, अवधारण २६. १) । संकृ. णिविध (पिंग)। कृ. णिट् ठुभय वि [निष्ठीवक थूकनेवाला (पएह | (हे १, ६३)। २ फैसला (सुपा ६६)। णिट्ठयणिज्ज (उप ५९७ टी)।
२, १, प्रौप)।
णिण्णया देखो णिण्णगा (पाम)। णिट्रवण न [निष्ठापन] १ अन्त करना, णिट् ठुयण देखो निट्ठीवण (चेइय ६३)। । णिण्णार वि [निर्नगर नगर से निर्गत (भग समाप्ति । २ वि. नाश-कारक, खतम करने
णिट्ठुर , वि[निष्ठुर] निष्ठुर,परुष, कठिन वाला (सुपा १६१; गउड)। ३ समाप्त करनेणिट् ठुल (प्रातः हे १,२५४ पान; गउड)।
णिण्णाला स्त्री [दे] चञ्चु, चोंच (दे ४, वाला (जी ५)। णिटुबय वि [निष्ठापक] समाप्त करनेवाला णिट् ठुवण न [निष्टीवन] १ थूक, खखार
णिण्णास सक [निर + नाशय ] विनाश (आव ६)। (वव १) । २ वि. थूकनेवाला (ठा ५, १)।
करना । वकृ. निन्नासिंत (सुपा ६५४)। णिविअ वि [निष्ठापित] १ समाप्त किया | णिट् ठुह अक [नि+ स्तम्भ ] निष्टम्भ
|णिण्णास पुं[निर्णाश] विनाश (भवि)। हुमा (पंचव २)। २ विनाशित (से ६,१)। करना, निश्चेष्ट होना, स्तब्ध होना । पिट् ठु
| णिण्णासिय वि [निर्णाशित] विनाशित णिवा अक [नि + स्था] खतम होना, हइ (हे ४, ६७; षड् )।
(सुर ३, २३१, भवि)। समाप्त होना । गिट्ठाइ (विसे ६२७)।
निट छह अक [नि+ष्ठी ] थूकना | णिण्णिद वि [निनिद्र] निद्रा-रहित (गा णिट्ठा स्त्री [निष्ठा] १ अन्त, अवसान, समाप्ति निट ठुहसी (तंदु ४१)।
९५६)। (विसे २८३३; सुपा १३) । २ सद्भाव (पाचू
णिट ठुद्द वि [दे] स्तब्ध, निश्चेष्ट (दे ४, णिण्णिमेस वि [निनिमेष] १ निमेष-रहित, १)। भासि वि [भाषिन्] निष्ठा-पूर्वक
बिना पलक झपकाये, एक-टक । २ चेष्टाबोलनेवाला, निश्चय-पूर्वक भाषण करनेवाला णिट् ठुहण न [दे. निष्ठीवन थूक, मुंह का | रहित । ३ अनुपयोगी (ठा ५, २)।
णिण्णी सक [निर + णी] निश्चय करना । (प्राचा)। णिद्वाण न [निष्ठान] सर्व-गुण-युक्त भोजन | णिट् ठुहावण वि [निष्टम्भक] निश्चेष्ट करने- | संकृ. निण्णइउं (धर्मवि. १३६)।
णिण्णीअ वि [निर्णीत] निश्चित, नक्की वाला, स्तब्ध करनेवाला (कुमा)। (दस ८, २२)।
किया हुमा (श्रा १२)। णिद्राण न [निष्टान] १ दही वगैरह व्यञ्जन
णि ठुहिअ न [दे] थूक, निष्ठीवन, खखार (दे ४, ४१)।
णिण्णुण्णअ वि [निम्नोन्नत] ऊंचा-नीचा, (ठा ४, २; पएह २, ५) । २ समाप्ति (निचू णिड [दे] पिशाच, राक्षस (दे ४, २५)।
विषम (अभि २०६)। १)। कहा स्त्री [कथा] भक्त-कथा-विशेष, णिडल न[ललाट] भाल, ललाट (पि
णिण्णेह वि [निःस्नेह] स्नेह-रहित (हे ४, दही वगैरह व्यञ्जन की बात-चीत (ठा ४, |
णिडाल २६०० पउम १००, ५७, सुपा ३६७; सुर ३, २२२; महा)। २)। २८)।
णिण्हइया स्त्री [निहविका] लिपि-विशेष णिट्ठावण देखो णिट्ठवण (सुपा ३५७)। णिड्ड न [नीड] पक्षि-गृह (पान)।
(सम ३५)। णिट्ठिय वि [निष्ठित] १ समाप्त किया हुआ, णिड्डहण न [निर्दहन] जला देना (उप ५६३ णिण्हग [निह्नव] १ सत्य का अपलाप पूर्ण किया हुअा (उप १०३१ टो; कम्म ४, | | टी)।
णिण्हय करनेवाला, मिथ्यावादी (मोध ७४) । २ नष्ट किया हुआ, विनाशित (सुपा | णिड डह देखो णिट्टुअ । मिड डुहइ (कुमाः |णिण्हव । ४० भाठा ७; प्रौप) २ अप४४६) । ३ स्थिर (से ५, ७) । ४ निष्पन्न, | षड्)।
लाप (सध ४१)। सिद्ध (माचा २, १, ९)। ५ पुं. मोक्ष, मुक्ति | णिणाय पु[निनाद] शब्द, आवाज, ध्वनि णिण्हव सक [नि + हनु] अपलाप करना। (माचा)। वि[ ]] कृतकृत्य (परण | (णाया १,१, पउम २,१०३; से ६,३०)। गिएणहवह (विसे २२६६ हे ४, २३६) ।
वाला गिदी, खखार (महा टम्मक] निश्चेष्ट का
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