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मंख-झणझणारव
पाइअसहमहण्णवो
मंख वि [दे] तुष्ट, संतुष्ट, खुश (दे ३, ५३)। झंडली स्त्री [दे] असती, कुलटा (दे ३,५४) । झज्झरी स्त्री [दे] दूसरे के स्पर्श को रोकने भंखण न [उपालम्भ] उपालम्भ, उलाहना | झंडुअ पुंदे] वृक्ष-विशेष, पीलु का पेड़ (दे के लिए चांडाल लोग जो लकड़ी अपने पास (कुमा)
रखते हैं वह (दे ३, ५४)। भखर पुं दे] शुष्क तरु, सूखा पेड़ (दे | झंडली स्त्री [दे] असती, कुलटा। २ क्रीड़ा, झड प्रक[शद्] १ झड़ना, पके फल आदि ३,५४)। खेल (दे ३, ६१)
का गिरना, टपकना। २ हीन होना। ३ सक. भखरिअ [दे] देखो झंकारिअ (दे ३, ५६) भैदिय वि [दे] प्रद्रुत, पलायित, भगाया हुआ झपट मारना, गिराना । झडइ (हे ४,१३०)। भखावण वि [संतापक] संताप करनेवाला (षड्)।
वकृ. झडंत (कुमा)। कवकृ. 'वासासु सीय(कुमा)।झंप सक [भ्रम् ] घूमना, फिरना । झंपइ
वाएहिं झडिजंतो' (प्राव १)। संकृ. 'झडिझखिर वि [निःश्वसित] निःश्वास लेनेवाला
ऊण पल्लविल्ला, पुणोवि जायंति तरुरवा तुरियं। (कुमा ७, ४४) ।
झंप सक [आ + च्छादय् ] झाँपना, | धीराणवि धरणरिद्धी, गयावि न हु दुल्लहा एवं' । मंझ पुं[भंझ] कलह, झगड़ा (सम ५०)। पाच्छादन करना, ढकना । झपइ (पिंग)।
(उप ७२८)। कर वि [कर] कलहकारी, फूट करानेवाला
संकृ. भपिऊण, झपिवि (कुमाः भवि)। झडत्ति प्र[झटिति] शीघ्र, जल्दी, तुरंत, (सम ३७) । पत्त वि [प्राप्त क्लेश-प्राप्त भंप सक [आ%Dक्रामय ] आक्रमण कर- (उस ७२८ टी; महा)। (सूम १, १३)। वाना। झंपइ (प्राकृ ७०)
झडप्प प्र[दे] शीघ्रता, जल्दी (उप पू११० झंझण ।अक [झंझणाय ] 'झन-झन' झंपण वि [भ्रमण] भ्रमण-कर्ता (कुप्र ४)। | रंभा)। मंझणक शब्द करना। झंझणइ (गा
भंपण न [भ्रममा परिभ्रमण, पर्यटन (कूमा) झडप्प सक [आ + छिदा झपटना, झपट ५७५ प्र) । झंझणक्कइ (पिंग)। झंपणी स्त्री [दे] पक्ष्म, आँख की बरौनी, पाँख
मारना, छीनना । झडप्पमि (भवि)। संकृ. मंझणा स्त्री [झझना] "झन-झन' शब्द
झडप्पिवि (भवि) के बाल (दे ३, ५४ पाम)। (गउड)।
झडप्पड न [दे] झटपट, झटिति, शीघ्र (हे मंझा स्त्री [झझा वाद्य-विशेष, झांझ, झाल झंपा स्त्री [झम्पा] एकदम कूदना, झम्पा-पात
४, ३८८)। (राय ५० टी)। (सुपा १९८)
मडप्पिअ वि [आच्छिन्न] छीना हुआ झंझा स्त्री [मझा] १ प्रचण्ड वायु-विशेष | मंपिअ वि [दे] १ त्रुटित, टूटा हुमा। २ (भवि) (गा १७०) सण)। २ कलह, क्लेश, झगड़ा घट्टित, पाहत (दे ३, ६१)
झडि प्रझिटिति] शीघ्र, जल्दी, तुरन्तः (उक: बृह ३)। ३ माया, कपट । ४ क्रोध,
| "झडि आपल्लवइ पुणो' (गा ६१३)।गुस्सा (सूत्र १, १३)। ५ तृष्णा, लोभ किया हुमा (पिंग); 'पईवो झपिनो झत्ति झडिअ वि [दे] १ शिथिल, ढीला, सुस्त (सूत्र २, २)। ६ व्याकुलता, व्यग्रता (महा); 'तप्रो एवं भणमारणस्स सहत्येणं (गा २३०)। २ श्रान्त, खिन्न, ( षड् )। (प्राचा)।
झंपिनं मुहकुहरं सुमइस्स गाइलेणं' (महानि ३ झड़ा हुआ, गिरा हमाः 'करच्छडाझडियझझिय वि [झझित] बुभुक्षित, भूखा ४)।
पक्खिउले (पउम ६६, १५)। (णाया १,१)।
झक्किअन [दे] वचनीय, लोक-निन्दा (दे ३, झडित्ति देखो झडत्ति (सुर २, ४) । भंट सक [भ्रम्] घूमना, फिरना। अंटइ
५; भवि)।
मडिल देखो जडिल (हे १, १९४)। (हे ४, १६१)। झख देखो भंख = वि + लप् । वकृ. झखंत
झडी स्त्री [दे] निरन्तर वृष्टि, झड़ी गुजराती मंट अक [गुञ्ज] गुजारव करना। वकृ. (जय २३)
में 'झडी (दे ३, ५३)। . 'झंटतभमिरभमरउलमालियं मालियं गहिउ" |
भगड [दे] झगड़ा, कलह (सुपा ५४६; भग सक [जुगुप्स् ] घृणा करना । झण्इ (सुपा ५२६)। ५४७)।
(षड् ) भंटण न [भ्रमण] पर्यटन, परिभ्रमण
झग्गुली स्त्री[दे] अभिसारिका, प्रिय से मिलने झणझण अक [झगझगाय ] 'झन-झन' (कुमा)।
के लिए संकेत स्थान पर जानेवाली स्त्री या | आवाज करना। वकृ. झणझणंत (प्राप) ।। मंटलिआ ली [दे] चंक्रमण, कुटिल गमन न्यायिका (विक्र १०१)।
झणज्झणि अ वि [झणझणित] 'झन-झन' (दे ३, ५५)।
झज्झर पुं [झर्मर] १ वाद्य-विशेष, झाँझ। पावाजवाला (पिंग)। झटिअ वि [दे] जिस पर प्रहार किया गया
२ पटह, ढोल । ३ कलि-युग । ४ नद-विशेष | झणझण देखो झणझण । झणझणइ (वजा हो वह, प्रहृत (दे ३,५५)।
(पि २१४)। मंटी स्त्री [दे छोटा किन्तु ऊँचा केश-कलाप
झपझपारव पुं [झणझणारव] 'झन-झन | शब्द से युक्त (ठा १०)10
आवाज (महा)।
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