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पिच्छइ नन्नं विणा करणयं ”
रसरसि (मोह २२ ) 1 उम्मत्थ सक [ अभ्या + गम् ] सामने श्राना । उम्मत्थइ ( हे ४, १६५ कुमा) 1 उम्मत्थव [] -मुख, विपरीत (१, ३) IV
उम्मर पुं [दे] देहली, द्वार के नीचे की लकड़ी (दे १, ६५)
उम्र १०० षड् )
[] उद
उम्मल वि[दे] स्त्यान, कठिन, घट्ट (दे १, १) IV
उम्मलणन [ उन्मर्दन] मसलना ( पाच ) 1 उम्मल्ल पुं [दे] १ राजा, नृप । २ मेघ, बारिश । ३ बलात्कार । ४ वि. पीवर, पुष्ट (दे १, १३१) । उम्मल्ला स्त्री [दे] तृष्णा (दे १, ६४ ) | उम्मण[सम्मधन] नाशक, विनाशकारी (मुर ३२३१)।
उम्म अवि [ उन्मादित] उन्मत्त किया हुआ ( पउम २४, १५)
उम्माडियन [दे] उत्सुक, जलता काष्ठ, गुजरातो में 'उबाद" (गिरि १८०) 1
उम्माण न [उन्मान] १ माप, माशा आदि
तुला मान (ठा २, ४ ) । २ जो तौला जाता है वह (ठा १०)
उम्माद देखो उम्माय ( भग १४, २) । उन्मादइत्तअ (शौ) वि [ उन्मादयितृ] उन्माद करानेवाला ( श्रभि ४२ ) । उम्मायक [ उद् + मद्] उन्माद करना, उन्मत्त होना । वकृ. उम्मायंत (उप ६८६ टी) ।
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पाइअसहमह
उम्मत्थ - उम्मूल
उम्मुअ देखो उमुय । वकृ. जरणम्मि पीऊसमि
वुम्मुतं चक्खु पसरणं सइ निक्खिवेज्जा" (उप २०) ।
उम्माहि वि [ उन्माथिन् ] विनाशक (महा- उम्मीलिय देखो उम्मिल्लिय (राज) 1 टि) 1 उम्सीस वि [उन्मिश्र ] मिश्रित, युक्त (सुपा उम्माहिय वि [ उन्माथित ] विनाशित (भवि) । ७८ प्रासू ३२ ) । उम्म पुंस्त्री [ऊर्मि] १ कल्लोल, तरंग (कुमा; दे ३.६ ) । २ भीड़, जन-समुदाय (भग २, १) । मालिपी स्त्री ["मालिनी] नदी-विशेष (ठा २,३) उम्मिंठ वि [३] हस्तिपक- रहित महावतरहित, निरंकुश 'उम्मिंठकरिवरो इव उम्मूलइनयसमूहं सो' (सुवा ३४८, २०३ ) | उम्मिण सक [ उद् + मी ] तौलना, नाप करना । कर्म. उम्मिणिजइ ( १२३) । उम्मियवि [ उन्मित ] प्रमित, कोडाकोडिमिया विहिरणो हाहा विचित्ता गदी' (रंभा
उम्मुअ न [ उल्मुक ] अलात, लूका (पा) । उम्मुंघ सक [ उद् + मुच्] परित्याग करना । व उम्मुचंत (विसे २७५० ) । उम्मुकवि [उन्मुक्त]विक रहित 'ते वीरा बंधामुक्का नावकखति जीवियं' (१) २ उक्षिप्त (श्रीप)। ३ परित्यक्त (आम) 1
उम्मिलिए[उन्मीलितु] विकास मिसिरप पाि
८६)
उम्मिल्ल अक [ उद् + मी ] १ विकसित होना । २ खुलना | ३ प्रकाशित होना । उम्मिल्लइ (गउड) । वकृ. उम्मिल्लत (से १०,
३१)
उम्मिल्ल वि [ उन्मील] १ विकसित (पात्र
से १०, ५०; स ७६) । २ प्रकाशमान ( से ११, ६४ उड)
उम्मण [उम्मीडन] विकास, उल्लास (गड) 12
उम्मिलिय वि [उन्मीलित ] १ विकसित उल्लसित । २ उद्घाटित, खुला हुआ; 'तम्रो उम्मिल्लियारिण तस्स नयगारिग' (श्रावम स ) । २००३ प्रकाशित ४ बहिष्कृतः 'पंजरुम्मिल्लियमणिकरण गथुभियागे' (जीव ४) । ५ न. विकास (अणु) । उम्मिस [+मिप्] उम्मिस अक [ उद् + मिष्]
ना खुलना, विकसना यह उनिसंत (विक्र २४), उम्मिलिय वि [ उन्मिषित ] १ विकसित, प्रभाग १४ १२न, विकास, उन्मेष ( जीव ३)।
।
उम्माय पुं [ उन्माद ] १ चित्त-विभ्रम, पागलपन (डा ६ महा) २ कामाधीनता, विषय में अत्यन्तासकि (उत्त १६३ बालिङ्गन (लिने) IV
उम्माल देखो ओमाल (पान) 1
।
उम्मालय व [ उन्मालित ] सुशोभित (भवि) । उम्माह [उन्माच] विनाश, 'निसेवितावि उम्मिस्स देखो उम्मीस (पत्र ६७) पुं ( कामभोगा) कति महियम्मा (महा) उम्माहय [उन्मायक] विनाशक, 'अहो वि उम्माहुतं विसमाल' (महाभ
उम्मीला देखो उम्मण (कुमा गड उम्मीलगा श्री [उन्मीलना] प्रभव, उत्पत्ति (राज) -
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उम्मुग्ग वि [ उन्मग्न] १ जल के ऊपर तै हुआ । २ न तैरना । 'निमुग्गिया स्त्री [" निमग्नता ] उभचुभ करना; 'से भिक्खू वा० उद्गंसि पवमाणे नो उम्मुग्गनिमुग्गिय करेज्जा' (आचा २, ३, २, ३) । उम्मुग्गा । स्त्री. देखो उम्मग्ग उन्मग्न उम्मुला (१३ १०४ २३४
आचा
उम्मुटु वि [ उन्मृष्ट] स्पृष्ट, छुपा हुआ
( पाच ) 1
उम्मुदिअ वि [उन्मुद्रित ] १ विकसित,
परित्याग, छोड़
(२उटसो हुआ 'उम्मुद्दिश्रो समुग्गो, तम्मज्भे लहुसमुग्गनिया (गुपा १४४) उम्मुयण न [ उन्मोचन] देना (सुर २, १२०) उम्मुयणा स्त्री [ उन्मोचना ] त्याग, उज्झन (बाल ५) 1 उम्मुह [दे] एस श्रभिमानी (३१. वि (दे षड् ) 1
उम्मुह वि [ उन्मुख ] १ संमुख (उप पृ १३४ ) । २ ऊर्ध्व - मुख ( से ६, ८२ ) 1 उम्मूढ वि [ उन्मूढ] विशेष मूढ़, श्रत्यन्त "वया श्री ["विसूचिका] रोगविशेष, हैजा (सुपा १६)
उम्मूल [उन्मूल] उन्मूलन करनेवाला, विनाशक (गा ३५५) । उम्मूल सक [ उद्+ मूल्यू ] उखाड़ना, मूल से उखाड़ फैन उम्ले (महा)।
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