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उज्भरिअ -उडव
उमरिअ वि [दे] टेढ़ी नजर से देखा हुआ । २ विक्षिप्त । ३ क्षिप्त, फेंका हुआ । ४ परिofer(2, ERR) I उज्झल वि [दे] प्रबल, बलिष्ठ ( षड् ) । [] १ प्रति फेंका हुआ
२ विक्षिप्त (षड् )
उज्झस पुं [दे] उद्यम, उद्योग, प्रयत्न (दे १, ५) । V
[]
(1
"उज्मा देखो अउज्झा (उप पृ ३७४ ) IV उभा [ उपाध्याय ] विधादाता गुरु शिक्षक, पाठक (महा; सुर १, १८० ) । उज्भासित्र [उद्भासिन् ] चमकनेवाला, देदीप्यमान, भारंभा
[
[] वचनीय, लोकापवाद। २ वि. निन्दनीय । ३ कथनीय (दे ३, ५५ ) 1 [[]] १ परित्यक्त, विमुक्त (कुमा)। २ भिन्न (श्राव ४) । ३ न. परित्याग (ए)।" [क] एक सार्थवाह का पुत्र विया १२) IV
[] शुष्क, सूबा हुआ निम्नीकृत, नीचा किया हुआ (प ) 1
1
२
स्त्री [ उज्झिता] एक सार्थवाहपत्नी (गाया १, ७) 1
[3] करभ (दिपा १, ६ हे २, ३४; उवा) । स्त्री. उट्टी (राज) I उद्धार [अवतार ] पाट, तीर्थ, जलाशय
का तट;
'ग्रह तेरे बहुमरे सत्यमव । लगायत सिमरतलाए कुमारगया ( पउम २८,३०) । उगा देखो उट्टिया (धर्मसं ७८) उट्टिय वि [ औष्ट्रिक ] ऊँट सम्बन्धी । ॐ उट्टियय के रोधों का बना हुआ (ठा ५, ३ श्रघ ७०९ ) । ३ पुं. भृत्य, नौकर (कुमा) । ४ घड़ा, घट (उवा) । V
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[[ट्टिया श्री [ष्ट्रिका] पड़ा, घट (विपा १६) समण ["भ्रमण] भाजीविक-मत का साधु, जो बड़े घड़े में बैठ कर तपस्या करता है (प) IV उट्ठ क [उत् + स्था ] उठना, खड़ा होना ।
पाइअसद्दमहण्णवो
।
उद (हे ४,१७] महा) उट्ठेद्र (पि ३०९) । वकृ. उट्टंत (गा ३८२: सुपा २१९), उट्ठित (४३०११५३) कृ. उट्ठाय उट्ठित्त, उट्ठित्ता, उट्ठेत्ता (राजः श्राचाः पि ५०२) उडडं (उप २ ) 1
उवि [उत्थ] उत्थित, उठा हुआ (प्रोघ ७० उवा)। a) | इस प [पवेरा ] उठ बैठ (हे ४, ४२३)
उट्ठपुं [ओष्ठ ] ओठ, अधर (सम १२५३ सुपा ५२३)
उट्ठपुं [] जलचर-विशेष (सूम,
७, १५
उठ्ठग देखो उट्टा (धर्मवि १२० ) IV उभ सक [ अव + स्तभ्] १ आलम्बन देना सहारा देना । २ श्राक्रमण करना कर्म, उटुब्भइ (हे ४, ३६५) । संकृ. 'उट्ठभिया एगया कार्य (प्राचा १, ६, ३, ११) ।
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उट्ठवण न [उत्थापन ] उत्थापन, ऊँचा करना, उठाना (मोघ २१४; दे १, ८२) उठ्ठविय वि [उत्थापित] उत्पादित उठावा हुआ, खड़ा किया हुआ; 'सा सरिगयं उट्टविया भराइ किमागमकारण मुरहे' (सुर ६, (80) 11 उट्ठा देखो उ उ + स्था (प्रामा) उडा श्री [त्या] उत्पान जान उडाए उगाया ११ श्रीप) IV उट्ठाई व [उत्पादन] उठनेला (बाचा) वि अवि [उत्थित ] १ जो तैयार हुआ हो, ( १२, १६२ उत्पन्न उत्ति ( स ३७९ ) Tv उट्ठाइस देखो उट्टाविअ (उ 1 उद्वाण [उत्थान] १ उठान, ऊँचा होगा (ब) पिडा वोच्छिना परि महरा (से १२, २७) । २ उद्भव उत्पत्ति (खाया १,१४) ३ धारम्भ, प्रारम्भ (भग १५ ) । ४ उद्वसन, बाहर निकलगा (संदि) सुबन["श्रुत] शास्त्र-विशेष (दि) ।
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उट्ठाय देखो उट्ठ = उत् + स्था । उट्ठाव सक [उत् + स्थापय् ] उठाना । उाने (महा) । V
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उट्टाचण देखो उडवण (स) ।
उट्ठावण देखो उबट्ठावणः 'पन्चावरण विहिमुट्ठाचादिहिं निर
उट्ठावणा देखो उबट्टावणा (भत्त २५) उद्वाचिअ वि [उत्थापित] उठाया
द किया हुआ) २ उत्पातितः म उट्टावियो कली एस' (उप ६४६ टी) उडिं
उडित - उडता
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- देखो उट्ठ = उत् + स्था |
उत्तु
उयिवि [उस्थित] उत्थित लड़ा हुआ (गुर
११) २१, ३) 'बिहीशिया व उड़िया एसा (सुपा २४१२ उति उप्त उपम्मि सूरें (अणु) । उद्यत, उद्युक्त ( श्राचा) । उति बाहर निकला हा घोष ६५ भा) IV
उट्ठिर वि [उत्थातृ] उठनेवाला (सण) 1 उट्टिय [उषित] पुलकित, रोमा (घोष कुमा
उट्टी (प) देखो उट्टिय (पिंग ) I लुभ उद्दुद्द
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अ [ अव + ष्ठीव् ] थूकना । उट् ठुभंति, उट् ठुभह (पि १२० ), उट् ठुहह (भग १५ ) । संकृ. उट् उद्दइत्ता (भग १५) । उठि (मप) देखी उद्रिय (पिंग ५८१) ।
उढ पुंग [कुट] पट, कुम्भः
'पडिवक्खमरपुंजे लावर उडे अगगनकुंभे । पुरिससहिरिए कीस थरती थणे वहसि' (गा २६० )
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[कूट] समूह राशि 'सप्पी जहा अंडउडं भत्तारं जो विहिंसई' (सम ५१ ) | 'उड देखो पुढ (उवा महा ग६६० सुर २, १३ प्रासू ३९) उक [उटकू] एक ऋषि तापस-विशेष पुं (नि १२ ) 1
उडंव वि [ई] लिस, लिया हुआ (प ) । [उटज ] [ऋषि- श्राश्रम, पर्णशाला, पत्तों से बना हुआ घर (अभि १११ प्रति ८४ अभि ३७ स
उडज उडय उडव
१०); 'उडवावस' (पाच);
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