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अवमाणणा-अवर
पाइअसहमहण्णवो
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अवमाणणा स्त्री [अवमानना] अवगणना अवयच्छ सक [अव + गम् ] जानना । अव- अवयाय पुं[अक्वाय अपराध, दोष (उप (काल)।
यच्छइ (स ११३)। संकृ. अवयच्छिय १०३१ टी)। अवमाणि वि [अवमानिन्] अवज्ञा करने
(स २१०)।
| अवयाय वि [अवदात] निर्मल (सिरि वाला (अभि १६)।
अवयच्छ सक [दृश] देखना। अवयच्छइ १०२७)। अवमाणिय वि [अपमानित] तिरस्कृत (से
(हे ४,१८१)। वकृ. अवयच्छंत (कुमा)। अवयार पुं [अपकार] अहित-करण (स
अवयच्छिय वि [दृष्ट] देखा हुमा (साया १, ४३७कुमा; प्रासू ६)। १०,६६; सुपा १०५)।
अवयार पुं[अवतार] १ उतरना। २ देहाअवमाणिय वि [अवमानित] १ प्रवज्ञात,
अवयच्छिय वि [दे] प्रसारित, 'फुकारपव- न्तर-धारण, जन्म-ग्रहण । ३ मनुष्य रूप में अनाहत (सुर २, १७६) । २ अपूरित, 'अव
एपिसुरिणयमवयच्छियमकारमहा य (स देवता का प्रकाशित होनाः 'अज! एवं तुमं माणियदोहला' (भग ११, ११)।
देवावयारो विय मागईए' (स ४१६, भवि) । अवमार पुं [अपस्मार] भयंकर रोग-विशेष, अवयज्म सक [ दृश् ] देखना । अषयज्झइ | ४ संगति, योजना (विसे १००८) । ५ प्रवेश पागलपन (आचा)।
(हे १,१८१)। संकृ. अवयज्झिऊण (कुमा)। (विसे १०४३)। अवमारिय वि [अपस्मारित, रिक] अप
अवयदि स्त्री [अवतधि] तनूकरण, पतला अवयार पुं[अवतार ग्मावेश (पद ८६)। स्मार रोग वाला (प्राचा)। करना (प्राचा)।
अवयार पुं[दे] माघ-पूर्णिमा का एक उत्सव, अवमारुय ' [अवभारत] नीचे चलता पवन
अवयट्रि वि [अवस्थायिन् अवस्थिति करने | जिसमें इख से दतवन आदि किया जाता है (गउड)। वाला, स्थिर रहने वाला (प्राचा)।
(दे १, ३२)। अवमिच्चु देखो अवमच्चु (प्रारू)।
अवयट्टि स्त्री [अवकृष्टि] आकर्षण (प्राचा)। अवयारण न [अवतारण] उतारना (सिरि अवमिय वि[दे] जिसको घाव हो गया हो | अवर्याड्ढ अ वि [दे] युद्ध में पकड़ा हुआ |
में पकड़ा इमा १००४)। वह, वणित (बृह ३)।
अवयारय देखो अवगारय (स ६९०)। अवमुक्त वि [अवमुक्त] परित्यक-(पि ५६६)। अवयण न [अवचन कुत्सित वचन, दूषित अवयारि वि [अपकारिन्] अपकार करने अवमेह वि [अपमेघ मेघ-रहित (गउड)। भाषा (ठा ६)।
वाला (स १७६; विवे ७९)। अवय देखो अपय = अपद (सूत्र १, ८; ११)। अवयर सक [अव + ] १ नीचे उतरना। अबयालिय वि [अवचालित] चलायमान अवय न [अब्ज कमल, पद्म (पएण १)। २ जन्म ग्रहण करना। अवयरइ (हे १, किया हुआ (स ४२)। अपय वि [अवच] १ नोचा, अनुच्च (उत्त १७२)। वकृ. अक्बरंत, अवयरमाण अवयास सक [श्लिष्] प्रालिंगन करना।
३) । २ जघन्य, हीन, प्रश्रेष्ठ (सूत्र १, १०)। (पउम ८२, ६३; सुपा १८१)। संकृ. अव- । प्रवयासइ (हे ४, १६०)। कवकृ. अव.३ प्रतिकूल (भग १, ६)।
यरिउ (प्रासू)।
। यासिज्जमाण (प्रौप)। संकृ. अवयासिय अवयंस पुं [अवतंस] १ शिरोभूषण विशेष अवयरिअ पुं [दे] वियोग, विरह (द १, (णाया १, २)। (कुमाः गा १७३)। २ कान का प्राभूषण
अक्यास सक [अव+काश ] प्रकट करना। (पाप)।
अवयरिअ वि [अपकृत] १ जिसका अपकार संकृ. अवयासेऊण (तंदु)। अवयंस सक [अवतंसय ] भूषित करना। किया गया हो वह । २ न. अपकार, अहित- अवयास देखो अवगास (गउड, कुमा)। अवसअंति (पि १४२; ४६०)। करण; 'को हेऊ तुह गमणे तुह अवयरियं मए
अवयास पुंश्लेष] आलिंगन (प्रोध २४४ कि व' (सुपा ४२१)। अवयक्ख सक [अप + ईक्ष ] अपेक्षा करना,
अवयरिअ वि [अवतीर्ण] १ जन्मा हुमा। राह देखना। अवयक्खह (गाया १, ६)।
अवयासण न [श्लेषण प्रालिंगन (बृह १)। वकृ. अवयक्खंत, अवयक्खमाण (णाया २ नीचे उतरा हुआ (सुर ६, १८६)।
अवयासाविय वि [श्लेषित] प्रालिंगन कराया १,६ भग १०,२)।
अवयव पु [अवयव] १ अंश, विभाग। २ । हुआ (विपा १, ४)। अवयक्ख सक [अव + ईच] १ देखना ।
अनुमान-प्रयोग का वाक्यांश (दसनि १; हे १, अवयासिय वि [श्लिष्ट] प्रालिंगित (कुमा; २ पीछे से देखना। वकृ. अवयक्खंत (प्रोष २४५)।
पाप्र)। १८८ भा)।
अवयवि वि [अवयविम् अवयव वाला (ठा अवयासिणी स्त्री [दे] नासा-रज्जु, नाक में अवयक्खा स्त्री [अपेक्षा अपेक्षा (णाया १, १; विसे २३५०)।
डाली जाती डोर (दे १,४६)। अवयाढ देखो ओगाढ (नाट; गउड)। अवर वि [अपर] अन्य, दूसरा, तद्भिन्न (श्रा अवयग्ग न [दे] अन्त, अवसान (भग १, अवयाण नदे] खींचने की डोरी, लगाम २७ महा)। हा अ[था] अन्यथा (पंचा
! (दे १, २४)। १२
भा)।
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