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अणुपालिय-अणुबंधेल्ल
पाइअसद्दमहण्णवो अणुपालिय वि [अनुपालित] रक्षित, प्रति- अणुप्पभु पुं[अनुप्रभु] स्वामी के स्थानापन्न, अणुप्पेसिय वि [अनुप्रेपित] पीछे से भेजा पालित (ठा ८)। प्रतिनिधि (निचू २)।
हुआ (नाट)। अणुपास देखो अणुपस्स। वकृ.अणुपासमाण | अणुप्पया देखो अणुप्पदा। अणुप्पएइ (कस)। अणुप्पेह सक[अनुप्र + ईक्ष ] चिन्तन करना, (दसचू २)। हेकृ. अणुप्पयाउं (उदा)।
विचारना अणुप्पेहंति (पि ३२३) । कृ. अणुअणुपिट्ठ न [अनुपृष्ठ] अनुक्रम, 'अणुपिट्ठः अणुप्पयाण देखो अणुप्पदाण (आचा)। प्पेहियब (पंसू १)। सिद्धाई' (सम्म)।
अणुप्पवत्त सक [अनुप्र + वृत् ] अनुसरण अणुप्पेहा स्त्री [अनुप्रेक्षा] चिन्तन, भावना, अणुपिहा देखो अणुपेहा (द्रव्य ३५)। करना । हेकृ. अणुप्पवत्तए (विमे २२०७)। विचार, स्वाध्याय-विशेष (उत्त २९) । अणुपुंख न [अनुपुत] मूल तक, अन्त-पर्यन्तः अणुप्पवाइत्तु । वि [अनुप्रवाचायत अणुप्फास पुं[अनुस्पर्श] अनुभाव, प्रभावः 'अरणपुंखमावडंतावि प्रावया तस्स ऊसवा हुंति' | अणुप्पवाएत्तु ) अध्यापक, पाठक, पढ़ानेवाला
'लोहस्सेव अणुप्फासो मन्ने अन्नयरामवि' (कुप्र ३३)। (ठा ५, १: गच्छ १)।
(दस ६)। अणुपुव्व वि [अनुपूर्च] क्रमवार, प्रानुक्रमिक र अणुप्पवाद पुं[अनुवाद] कथन (सूअ २,
अणुफुसिय वि [अनुप्रोञ्छित] पोंछा हुप्रा, (ठा ४, ४)। क्रिवि. क्रमशः (पाप)। सो
साफ किया हुआ (स ३४४)। [शस्] अनुक्रम से (प्राचा)। अणुप्पवाय सक[अनुप्र+वाचय ] पढ़ाना।
अणुबंध सक [ अनु + बन्ध ] १ अनुसरण अणुपुव्व न [आनुपूर्व्य] क्रम, परिपाटी, अनुवकृ. अणुप्पवाएमाण (जं ३)।
करना । २ संबन्ध बनाये रखना। अणुबंधंति अणुप्पवाय न [अनुप्रवाद] नववा पूर्व, बारक्रम (राय)।
(उत्तर ७१)। वकृ. अणुबंधंत (वेरणी १८३)। अणुपुव्वी स्त्री [आनुपूर्वी] ऊपर देखो (पास)। हवें जैन अंग-ग्रन्थ का एक अंश-विशेष (ठा है)।
कवकृ. अणुबंधीअमाणः अणुबंधिज्जमाण अणुपेक्खा स्त्री [अनुप्रेक्षा] भावना, चिन्तन, |
अणुप्पविट्ठ देखो अणुपविट्ठ (कस)। विचार (पउम १४, ७७)।
(नाट)। हेकृ. अणुबंधिहूँ (शौ) (मा ६)। अणुप्पवित्ति स्त्री [अनुप्रवृत्ति] अनुप्रवेश, । अनुगम (विसे २१६०)।
अणुबंध पुं [अनुबन्ध] १ सततपन, निरन्तअणुपेहण न [अनुप्रेक्षण] ऊपर देखो (उप
अणुप्पविस देखो अणुपविस। अगप्पविसइ | रता, विच्छेद का प्रभाव (ठा ६ उवर १२८)। १४२ टी)।
(उवा) । संकृ. अणुप्पवेसेत्ता (निचू १)। २ संबन्ध (स १३८: गउड)। ३ कमों का अणुपेहा स्त्री [अनुप्रेक्षा] ऊपर देखो (पि अणुप्पवेस देखो अणुपवेस (नाट)। संबन्ध (पंचा १५)! ४ कर्मों का विपाक, ३२३)।
अणुप्पवेसण न [अनुप्रवेशन] देखो अणुप- परिणाम (उबर ४, पंचा १८)। ५ स्नेह, अणुपेहि वि [अनुप्रेक्षिन] चिन्तन-कर्ता | वेस (नाट)।
प्रेम (स २७६), (सूम १, १०,७)।
अणुप्पसाद (शौ) सक [अनुप्र + सादय् ] 'नयरगाण पडउ वजं, प्रहह्वा वजस्स अणुप्पइन्न वि [अनुप्रकीर्ण] एक दूसरे से | प्रसन्न करना । अणुप्पसादेदि (नाट)।
वडिलं किपि । मिला हुआ, मिश्रित (कप्प)।
अणुप्पसूय वि [अनुप्रसूत] उत्पन्न, पैदा | अमुरिणयजणेवि दिट्ठ', अणुबंध जाणि कुवंति अणुप्पणी सक [अनुप्र + णी] १ प्रणय किया हुआ (प्राचा)।
(मुर ४, २०)। ६ शास्त्र के प्रारम्भ में कहने करना। २ प्रसन्न करना। वकृ. अणुप्पणंत
अणुप्पाइ वि [अनुपातिन्] युक्त, संबद्ध, । लायक अधिकारी, विषय, प्रयोजन और संबन्ध (उप पृ २८)। संबन्धी (निचू १)।
(प्राव १)। ७ निबन्ध, प्राग्रह (स ४५८)। अणप्पिय वि [अनुप्रिय अनुकूल, इष्ट (सूम अणुप्पगंथ [अणप्रग्रन्थ] सन्तोषी, अल्प परि
अणुबंध वि [अनुबन्धक] अनुबन्ध करने१, ७)। ग्रह वाला (ठा है)।
वाला (नाट)। 'अणुप्त वि [अनुत्प्रयत् ] दूर करता, अणुप्पगंथ वि [अनुप्रग्रन्थ] ऊपर देखो |
अणुबंधण न [अनुबन्धन] अनुकूल बन्धन हटाता हुआ;
(उत्त २६, ४५, सुख २९, ४५)। (ठा )।
जम्मि अविसरणहिययत्तोरण ते अणुप्पण्ण वि [अनुत्पन्न] अविद्यमान (नीचू
अणुबंधणा स्त्री [अनुबन्धना] अनुसन्धान, गारवं वलरगति ।
विस्मृत अर्थ का सन्धान (पंचा १२,४५)। तं विसममणुप्तो गरुयाण विही खलो होइ' अणुप्पत्त देखो अणुपत्त (कप्प) ।
अणुबंधि वि [अनुबन्धिन] अनुबन्धवाला, (गउड)। अणुप्पदा सक [अनुप्र+दा] दान देना, फिर- अणुप्पेच्छ देखो अणुप्पेहः ।
अनुबन्ध करनेवाला (धर्म २ स १२७) । फिर देना । अणुप्पदेड (कस)। कृ. अणुप्प- 'तह पुव्विं किं न कयं, न वाहए
अणुबंधिअ न [दे] हिका-रोग, हिचकी (दे दायव्य (कस) । हेकृ. अणुप्पदाउं (उवा)।
जेरण मे समत्थोवि ।
१, ४४)। अणुप्पदाण न [अनुप्रदान दान, फिर-फिर एम्हि किं कस्स व कुणिमोत्ति धीरा ! अणुबंधेल्ल वि [अनुबन्धिन] विच्छेद-रहित, दान देना (प्राव ६)।
अणुप्पेच्छ' (उव)। अनुगमवाला, अविनश्वर (उप २३३) ।
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