________________
प्रकाशकीय
णमोत्थुणं संसारपारगारस्स सुयस्स भगवओ श्रमण भगवान महावीर महाराजाना शासनमा संसारनो पार पामावाने माटे श्रुत परम आधार छे. आथी परमतारक, शासनरक्षामां कटीबद्ध रहेनार, संघ अने साधुसाध्वीने श्रुतनो बोध करवाने माटे सदा तत्पर रहेनारा, ध्यानस्थस्वर्गत, आगमोद्धारक, आ.म. श्रीआनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरजी) महाराजे ते वातने लक्ष्यबिन्दु बनावीने तेना माटे उद्यम को हतो.
श्रेष्ठ श्री देवचन्द्र माइना कुटुंबीजनोने अमुक अमुक रकम मलवानी हती आथी आगमोद्धारकश्रीए सोने समजाव्यु के वडीलनु नाम रहे अने ज्ञाननी उपासना थाय तेवु कांई करो, उपदेशथी ते वातमा सौ एकमत थतां, गुरुदेवश्रीए 'शेठ देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड' एवु नाम जमावतां सौए सहर्ष ते वात वघवी लीधी, अने थोडी थोडी रकम पोते उमेरीने ते फंड सारु कयु. तेमां नक्की करवामां आव्युके आ फंडनी व्याज आदिनी रकममांयी पचास वर्ष पूर्वेना ग्रंथो छपाववा. अने ते ग्रन्थोने पडतर किंमतथी अडधी किंमते वेचवा. अने मुडी स्थायी राखवी. आम अमारी आ संस्थानी शरुआत सं० १६६४ मां थई अने ते तेना धारा धोरणना आधारे अद्यापि पर्यंत चाले छे. ते रीते ग्रन्थो छपावतां आ 'श्रीअल्पपरिचितसैद्धांतिकशब्दकोष १२६' मा प्रन्यांक बरीके प्रगट करीए छीए
आगमोद्धारकश्रीए जे आगम ग्रन्थोमां शब्दो हता तेनु संकलन कयु तेनो समावेश आमां छे. आयी तेओ आ ग्रन्थना श्रीसंकलनाकार छे. रचनकार नथी.
आ कोषने छपाववा माटे लगमग साठ वर्ष पूर्वे नीचेना सद्गृहस्थो तरफथी नीचेनी रकमो अमारी संस्थाने अपावी हती.
१५०१, शाह डाह्याभाइ पीतांबरदास, अमदाबाद १००१ झवेरी सौभाग्यचंद सूरचंद, सुरत ५०१ झवेरी साकरचंद सूरचंद, सुरत
आ रीतेा प्रकाशन करवानी भावना छतां कालबले ते कार्य न ज चाल्यु. अंते सं० २००४मां तेनो उदय थयो अने प्रकाशननो उद्यम शरु थयो.
मेटर तैयार करवा अंगेनो पूर्व भूमिका ने तैयार मेटर एक एवी वात छे के "नहि वंध्या विजानाति गुरवी प्रसव वेदना" ए न्याये महेनतथी तैयार करावायेलु मेटर अमोने गुरुदेवनी आज्ञानुसार मुनिश्रीगुणसागरजी महाराज पासेथी मल्यु अने गुरुदेवनी आज्ञाथी संपादननी जवाबदारी मुनिकंचनविजयजी ( वर्तमान पं. कंचनसागरजी) महाराज तथा मुनि श्रीक्षेमंकरसागरजी महाराजने सोंपी. आ रीते संपादन थतां श्रीअल्पपरिचित - सैद्धान्तिक शब्दकोषनो पहेलो भाग क्रमांक १०१ तरीके बहारपाड्यो.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org